सुप्रीम कोर्ट की रेलवे को फटकार- हाथ पर हाथ रखकर मत बैठिए...अपनी संपत्ति की रक्षा खुद करें
punjabkesari.in Tuesday, Dec 07, 2021 - 02:11 PM (IST)
नेशनल डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात में रेलवे की उस जमीन पर अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने के लिए सोमवार को रेलवे की खिंचाई की जहां एक रेल लाइन का निर्माण होना है। शीर्ष अदालत ने कहा कि अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करना रेलवे का ‘वैधानिक दायित्व' है। शीर्ष अदालत ने कहा कि सार्वजनिक परियोजना को आगे बढ़ाना है और प्राधिकारियों को इस पर कार्रवाई करनी चाहिए थी।
जस्टिस ए.एम.खानविलकर और जस्टिस सी.टी. रविकुमार की पीठ ने कहा कि परियोजना को आगे बढ़ाना है। यह एक सार्वजनिक परियोजना है। आप अपनी योजनाओं और बजट व्यवस्था का मजाक बना रहे हैं। जो अतिक्रमण कर रहे हैं उन्हें हटाए। हटाने के लिए कानून है। आप उस कानून का प्रयोग नहीं कर रहे हैं। पीठ ने रेलवे की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) के एम नटराज से कहा कि यह आपकी संपत्ति है और आप अपनी संपत्ति की रक्षा नहीं कर रहे हैं। अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करना आपका एक वैधानिक दायित्व है।'' शीर्ष अदालत दो अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें गुजरात और हरियाणा में रेलवे की जमीनों से अतिक्रमण हटाने से संबंधित मुद्दे उठाए गए हैं।
गुजरात के मामले में, याचिकाकर्ताओं ने पहले शीर्ष अदालत को बताया था कि गुजरात हाईकोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का अपना अंतरिम आदेश वापस ले लिया था और पश्चिम रेलवे को सूरत-उधना से जलगांव तक की तीसरी रेल लाइन परियोजना पर आगे बढ़ने की अनुमति दी थी। हाईकोर्ट के आदेश के बाद, याचिकाकर्त्ताओं ने शीर्ष अदालत का रुख किया जिसने गुजरात में इन 'झुग्गियों' के ध्वस्तीकरण पर यथास्थिति प्रदान की थी। दूसरी याचिका हरियाणा के फरीदाबाद में रेल लाइन के पास 'झुग्गियों' को तोड़े जाने से संबंधित है। फरीदाबाद मामले में, शीर्ष अदालत ने पहले उन लोगों के ढांचों को ढहाए जाने पर यथास्थिति प्रदान की थी, जिन्होंने हटाए जाने पर रोक के अनुरोध को लेकर अदालत का रुख किया था।
सोमवार को सुनवाई के दौरान एएसजी ने पीठ से कहा कि रेलवे के पास उसकी जमीन पर अतिक्रमण करने वालों के पुनर्वास की कोई योजना नहीं है। उन्होंने 'प्रधानमंत्री आवास योजना' का जिक्र किया जो पात्रता के अधीन है। नटराज ने कहा कि रेलवे की ओर से कुछ ‘‘चूक'' हुई है कि उन्होंने इस पर पहले कोई कार्रवाई नहीं की और अब मुद्दा पुनर्वास का है। पीठ ने कहा, ‘आप हाथ पर हाथ रखकर यह नहीं कह सकते कि यह मेरी समस्या नहीं है। यह आपकी संपत्ति है और आपको अपनी संपत्ति की रक्षा करनी होगी क्योंकि एक निजी व्यक्ति की तरह ही अपनी संपत्ति की रक्षा करनी होगी।'' पीठ ने कहा, ‘‘आपको अतिक्रमण हटाना होगा। यह एक ऐसी परियोजना है जिसे तत्काल क्रियान्वित किया जाना है।