सुप्रीम कोर्ट ने एलोपैथी के डॉक्टरों पर दिखाई सख्ती... ''जनता को धोखा देने की अनुमति नहीं''

punjabkesari.in Wednesday, Apr 24, 2024 - 12:40 PM (IST)

नेशनल डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापनों के संबंध में मंगलवार को कहा कि ‘‘ हम जनता को धोखा देने की अनुमति नहीं दे सकते।" इसके साथ ही न्यायालय ने केंद्र एवं राज्य के लाइसेंस अधिकारियों को भ्रामक विज्ञापनों से निपटने के लिए खुद को ‘तैयार' होने के लिए कहा। न्यायालय ने आयुष मंत्रालय के अगस्त 2023 के पत्र को लेकर केंद्र से भी सवाल किया, जिसमें लाइसेंस अधिकारियों को औषधि एवं प्रसाधन सामग्री नियमावली, 1945 के नियम 170 के तहत कोई कार्रवाई शुरू नहीं करने को कहा गया था। न्यायालय ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के सदस्यों द्वारा अत्यधिक महंगी दवाइयां लिखने के लिए उसकी भी खिंचाई की। 

 सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एलोपैथी के डॉक्टरों पर सख्ती दिखाई।  इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) को फटकार लगाते हुए कोर्ट ने कहा कि वह पतंजलि पर अंगुली उठा रहा है, जबकि चार अंगुलियां उस पर इशारा कर रही है। फास्ट मुविग कंज्यूमर गुाइस (FMCG) भी जनता को भ्रमित करने वाले विज्ञापन प्रकाशित कर रहे हैं। इससे विशेष रूप से शिशुओं, स्कूल जाने वाले बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। कोर्ट ने केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय और सूचना-प्रसारण मंत्रालय के साथ सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लाइसेंसिंग अधिकारियों को मामले में पक्षकार बनाने के निर्देश दिए।

जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने या कराते हुए कि याचिकाकर्ता आइएमए को अपना घर व्यवस्थित करने की जरूरत है, उसे भी एफएमसीजी के विज्ञापनों के मामले में एक पक्ष के रूप में जोड़ने का निर्देश दिया। 

न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के भ्रामक विज्ञापनों से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि कई अन्य कंपनियां (एफएमसीजी) भी इस रास्ते पर जा रही हैं और केंद्र को इस बारे में जवाब देना होगा कि उसने क्या किया है। पीठ ने कहा, ''हम जनता को धोखा देने की अनुमति नहीं सकते। अगर यह (भ्रामक विज्ञापन) हो रहा है, तो भारत सरकार को खुद को सक्रिय करने की जरूरत है और राज्य के लाइसेंस अधिकारियों को भी ऐसा करना होगा।'' 

आयुष मंत्रालय के पत्र पर मांगा स्पष्टीकरण
इसके साथ ही न्यायालय ने केंद्र एवं राज्य के लाइसेंस अधिकारियों को भ्रामक विज्ञापनों से निपटने के लिए खुद को ‘तैयार' होने के लिए कहा। न्यायालय ने आयुष मंत्रालय के अगस्त 2023 के पत्र को लेकर केंद्र से भी सवाल किया, जिसमें लाइसेंस अधिकारियों को औषधि एवं प्रसाधन सामग्री नियमावली, 1945 के नियम 170 के तहत कोई कार्रवाई शुरू नहीं करने को कहा गया था। न्यायालय ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के सदस्यों द्वारा अत्यधिक महंगी दवाइयां लिखने के लिए उसकी भी खिंचाई की। न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के भ्रामक विज्ञापनों से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि कई अन्य कंपनियां (एफएमसीजी) भी इस रास्ते पर जा रही हैं और केंद्र को इस बारे में जवाब देना होगा कि उसने क्या किया है। पीठ ने कहा, ''हम जनता को धोखा देने की अनुमति नहीं सकते। अगर यह (भ्रामक विज्ञापन) हो रहा है, तो भारत सरकार को खुद को सक्रिय करने की जरूरत है और राज्य के लाइसेंस अधिकारियों को भी ऐसा करना होगा।'' पीठ ने याचिकाकर्ता आईएमए के वकील से कहा कि जब एसोसिएशन पतंजलि की ओर उंगली उठा रहा है तो "अन्य चार उंगलियां आप (आईएमए) पर भी उठ रही हैं।" 

 जांच पतंजलि तक सीमित नहीं 
कोर्ट ने ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट और ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम जैसे कानूनों के कार्यान्वयन पर बारीकी से विचार करने का फैसला किया। पीठ ने स्पष्ट किया कि यह जांच सिर्फ इस बात तक सीमित नहीं होगी कि इन कानूनों को पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ कितनी अच्छी तरह लागू किया गया, बल्कि अन्य फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) के भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ भी इसका अमल देखा जाएगा। पीठ ने कहा, हम यहां किसी विशेष पार्टी पर बंदूक चलाने नहीं आए हैं। यह उपभोक्ताओं/जनता के व्यापक हित में है, क्योंकि उन्हें गुमराह किया जा रहा है।
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Anu Malhotra

Recommended News

Related News