E20 पेट्रोल पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: पूरे देश में 20% एथेनॉल वाले पेट्रोल की बिक्री का रास्ता साफ

punjabkesari.in Monday, Sep 01, 2025 - 05:26 PM (IST)

नेशनल डेस्क: देशभर में 20% एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (E20) के उपयोग को लेकर दायर की गई एक जनहित याचिका (PIL) को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। इस फैसले से केंद्र सरकार की एथेनॉल सम्मिश्रण नीति को बड़ी राहत मिली है और अब इस योजना के क्रियान्वयन का रास्ता साफ हो गया है।

क्या था मामला?
याचिकाकर्ता ने अदालत से गुहार लगाई थी कि देश में लाखों वाहन अभी ऐसे हैं जो E20 ईंधन के उपयोग के लिए डिज़ाइन नहीं किए गए हैं, फिर भी उन्हें मजबूरन यही पेट्रोल इस्तेमाल करना पड़ रहा है। याचिका में यह भी आरोप था कि सरकार ने बिना किसी सार्वजनिक सूचना या अधिसूचना के इस पेट्रोल को एकमात्र विकल्प बना दिया है।

याचिका में मांग की गई थी कि:
-तेल एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय को निर्देशित किया जाए कि सभी पेट्रोल पंपों पर शुद्ध (एथेनॉल-मुक्त) पेट्रोल की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
-पेट्रोल पंपों पर ईंधन में मौजूद एथेनॉल की मात्रा स्पष्ट और दृश्य रूप से दर्शाई जाए।
-उपभोक्ताओं को यह जानकारी दी जाए कि उनके वाहन E20 के अनुकूल हैं या नहीं।
-उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय को कदम उठाने के निर्देश दिए जाएं।
-E20 से असंगत वाहनों पर इसके प्रभाव को लेकर एक राष्ट्रव्यापी अध्ययन कराया जाए।

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने याचिका को सुनवाई के लायक नहीं माना और खारिज कर दिया। वरिष्ठ अधिवक्ता शादान फरासत, जिन्होंने याचिकाकर्ता की ओर से पक्ष रखा, ने दलील दी कि उनका उद्देश्य E20 को हटाना नहीं है, बल्कि उपभोक्ताओं को विकल्प देना है। उन्होंने कहा,  हमें केवल विकल्प चाहिए, जबरन नहीं। 

 सरकार का जवाब
सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल ने याचिका का विरोध करते हुए इसके पीछे "छिपे हुए हितों" की ओर इशारा किया। उन्होंने कहा कि, "यह तय करने का अधिकार देश के भीतर होना चाहिए कि कौन सा ईंधन इस्तेमाल किया जाए, न कि बाहर से कोई हमें यह बताए।" उन्होंने यह भी जोर देकर कहा कि इस नीति से देश के गन्ना किसानों को बड़ा लाभ हुआ है, क्योंकि एथेनॉल उत्पादन के लिए गन्ने की खपत बढ़ी है।

 सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए किसी भी प्रकार का निर्देश जारी करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने माना कि यह नीति सरकार द्वारा पूरी सोच-विचार के बाद लागू की गई है और इसमें हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Anu Malhotra

Related News