Summer Season: फरवरी में ठंड नहीं, पड़ेगी भीषण गर्मी! IMD के पूर्वानुमान ने बढ़ाई चिंता
punjabkesari.in Wednesday, Feb 05, 2025 - 01:29 PM (IST)
नेशनल डेस्क: भारत में फरवरी 2025 के मौसम में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। मौसम विज्ञान से जुड़े पूर्वानुमानों के अनुसार, इस महीने देश के कई हिस्सों में वर्षा सामान्य से कम रहने की संभावना है, जबकि तापमान औसत से अधिक दर्ज किया जा सकता है। कमजोर ला नीना प्रभाव और बदलते जलवायु पैटर्न के कारण तापमान में अप्रत्याशित वृद्धि देखी जा रही है।
वर्षा का पूर्वानुमान
उत्तर भारत के पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में फरवरी 2025 के दौरान औसत से कम वर्षा होने की संभावना है। इससे कृषि और जल संसाधनों पर प्रभाव पड़ सकता है। देश के अधिकांश हिस्सों में वर्षा का स्तर सामान्य से नीचे (81% से कम) रह सकता है, हालांकि पश्चिम मध्य भारत और दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत के कुछ क्षेत्रों में वर्षा सामान्य या सामान्य से अधिक हो सकती है।
तापमान का पूर्वानुमान
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, फरवरी 2025 में देश के अधिकतर हिस्सों में न्यूनतम तापमान सामान्य से अधिक रहेगा। केवल उत्तर पश्चिम भारत और दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत में तापमान सामान्य रह सकता है। वहीं, उत्तर-पश्चिम भारत के मैदानी इलाकों में ठंड का असर जारी रहेगा, जहां शीत लहर के दिन सामान्य से अधिक हो सकते हैं।
अधिकतम तापमान के लिहाज से देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक गर्मी पड़ने की संभावना है। हालांकि, पश्चिम मध्य भारत और दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत के कुछ इलाकों में तापमान सामान्य से कम रह सकता है, जिससे वहां ठंडक बनी रह सकती है।
ला नीना और एल नीनो का प्रभाव
मौसम विज्ञानियों का कहना है कि फिलहाल भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में कमजोर ला नीना प्रभाव बना हुआ है, जो अप्रैल 2025 तक जारी रह सकता है। इसके बाद ईएनएसओ (El Niño-Southern Oscillation) पैटर्न में बदलाव की संभावना जताई जा रही है।
हालांकि, वैज्ञानिकों को उम्मीद थी कि ला नीना के कारण तापमान सामान्य से कम रहेगा, लेकिन जनवरी 2025 अब तक का सबसे गर्म जनवरी साबित हुआ। ईआरए5 डेटा के अनुसार, जनवरी का औसत तापमान औद्योगिक युग (1850-1900) की तुलना में 1.75 डिग्री सेल्सियस अधिक था।
यह पहली बार है कि एल नीनो के प्रभाव के समाप्त होने के बाद भी तापमान रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। जलवायु वैज्ञानिकों का मानना है कि जनवरी 2025 ने 2024 का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया है और यह बदलते जलवायु चक्र की ओर इशारा करता है।
क्या असर पड़ेगा?
बदलते मौसम के कारण कृषि, जल संसाधनों और जनजीवन पर व्यापक प्रभाव पड़ सकता है। कम वर्षा से फसलों पर असर पड़ सकता है, जबकि बढ़ते तापमान से गर्मियों की अवधि लंबी और अधिक तीव्र हो सकती है। मौसम विज्ञानियों का सुझाव है कि आने वाले महीनों में जलवायु के रुझानों पर नज़र रखना जरूरी होगा।