Cancer Cells Kill in 30 Minutes: इस चीज़ के इस्तेमाल से सिर्फ 30 मिनट में कैंसर का खात्मा! वैज्ञानिकों का हैरान कर देने वाला दावा
punjabkesari.in Thursday, Jul 03, 2025 - 04:21 PM (IST)

नई दिल्ली: दुनियाभर में हेल्दी लाइफस्टाइल को बढ़ावा देने वाले Mediterranean Diet का एक अहम हिस्सा है ऑलिव ऑयल यानी जैतून का तेल। ये तेल अब तक दिल की सेहत, मस्तिष्क को तेज रखने और उम्र बढ़ाने में मददगार माना जाता रहा है। लेकिन अब एक चौंकाने वाला और उम्मीद जगाने वाला खुलासा सामने आया है – ऑलिव ऑयल में मौजूद एक खास यौगिक (compound) कैंसर कोशिकाओं को मात्र 30 मिनट में नष्ट कर सकता है। यह चमत्कारी यौगिक है – ओलेओकैंथल (Oleocanthal)। यह एक प्राकृतिक फेनोलिक कंपाउंड है, जो खासतौर पर एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल में पाया जाता है।
क्या कहती है रिसर्च?
यह खुलासा रटगर्स यूनिवर्सिटी और हंटर कॉलेज के वैज्ञानिकों द्वारा 2015 में की गई एक स्टडी में हुआ था, जिसे ‘Molecular & Cellular Oncology’ जर्नल में प्रकाशित किया गया था। इस शोध में वैज्ञानिकों ने पाया कि ओलेओकैंथल कैंसर कोशिकाओं को एक विशेष प्रक्रिया के तहत नष्ट करता है – और वो भी मात्र 30 मिनट से 1 घंटे के भीतर। सबसे खास बात यह थी कि इस यौगिक ने सिर्फ कैंसर कोशिकाओं पर असर डाला, जबकि स्वस्थ कोशिकाओं को कोई नुकसान नहीं पहुंचा।
ओलेओकैंथल कैसे करता है काम?
सामान्यत: शरीर में कोशिकाएं एपोप्टोसिस (Apoptosis) नामक प्रक्रिया से धीरे-धीरे मरती हैं – यह एक प्रकार की प्रोग्राम्ड सेल डेथ होती है, जो 16-24 घंटे में होती है। लेकिन जब शोधकर्ताओं ने ओलेओकैंथल को विभिन्न प्रकार की कैंसर कोशिकाओं पर टेस्ट किया, तो परिणाम चौंकाने वाले थे – कोशिकाएं मात्र आधे घंटे में ही नष्ट हो गईं।
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इस तेज़ असर की वजह जानने के लिए वैज्ञानिकों ने गहराई से जांच की और पाया कि ओलेओकैंथल कैंसर कोशिकाओं के ‘लाइसोसोम’ (Lysosomes) को निशाना बनाता है। ये कोशिका के वेस्ट मैनेजमेंट सेंटर की तरह काम करते हैं। चूंकि कैंसर कोशिकाओं में ये लाइसोसोम ज्यादा बड़े और नाजुक होते हैं, ओलेओकैंथल उन्हें आसानी से फाड़ देता है, जिससे कोशिका के अंदर ज़हर फैल जाता है और वह तुरंत नष्ट हो जाती है। प्रोफेसर पॉल ब्रेसलिन का कहना था – जैसे ही ये लाइसोसोम फटते हैं, कोशिका के अंदर सब कुछ बिगड़ जाता है और वह मरने लगती है।
स्वस्थ कोशिकाओं पर असर क्यों नहीं?
ओलेओकैंथल ने स्वस्थ कोशिकाओं पर कोई घातक प्रभाव नहीं डाला। शोध में देखा गया कि इस कंपाउंड ने उन्हें बस एक दिन के लिए 'सुला' दिया और फिर वे सामान्य रूप से काम करने लगीं। यह संकेत करता है कि यह कंपाउंड सिर्फ कैंसर कोशिकाओं को ही टारगेट करता है, जिससे यह संभावित रूप से एक सेलेक्टिव कैंसर ट्रीटमेंट एजेंट बन सकता है।
कौन से ऑलिव ऑयल में होता है ज्यादा ओलेओकैंथल?
ओलेओकैंथल की मात्रा हर ऑलिव ऑयल में समान नहीं होती। यह तेल की किस्म, पैदावार की जगह, कटाई का समय, और प्रोसेसिंग की तकनीक पर निर्भर करता है। जिन तेलों में ओलेओकैंथल की मात्रा अधिक पाई गई, उन्होंने लैब में कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने में सबसे अधिक प्रभाव दिखाया।
क्या यह कैंसर का इलाज है?
इस रिसर्च ने कैंसर के इलाज की दिशा में एक नई संभावना जरूर खोली है, लेकिन यह इन विट्रो स्टडी (यानि लैब में की गई) है। इसका मतलब है कि यह अध्ययन अभी सिर्फ लैब में कैंसर कोशिकाओं पर परीक्षण तक सीमित है, न कि इंसानों पर।
शोधकर्ता अभी इस पर और काम कर रहे हैं जैसे कि:
-ओलेओकैंथल सिर्फ कैंसर कोशिकाओं को ही क्यों मारता है?
-क्या इसे उच्च खुराक में दवा के रूप में उपयोग किया जा सकता है?
-और यह मानव शरीर में कैसे व्यवहार करता है?
अब तक के लाभ – ऑलिव ऑयल क्यों है सुपरफूड?
-इम्यून सिस्टम को करता है मजबूत
-हड्डियों की सेहत सुधारता है
-ब्रेन फंक्शन को तेज़ करता है
-अल्जाइमर के खतरे को कम करता है
-और अब संभावित रूप से कैंसर से भी लड़ने में सहायक