राज्य 1 अप्रैल 2005 से खनिज अधिकारों पर लगा सकते हैं टैक्स : सुप्रीम कोर्ट
punjabkesari.in Wednesday, Aug 14, 2024 - 11:07 AM (IST)
नेशनल डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है जिसमें कहा गया है कि राज्य सरकारें खनिज अधिकारों पर कर की मांग को 1 अप्रैल, 2005 से पूर्वव्यापी रूप से लागू कर सकती हैं। इस फैसले से खनिज उद्योगों और कंपनियों में उथल-पुथल मच गई है और यह निर्णय देशभर में महत्वपूर्ण चर्चाओं का विषय बन गया है। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के अनुसार, राज्य सरकारें अब खनिज अधिकारों पर कर की मांग को पीछे की तारीख से लागू कर सकती हैं, अर्थात् 1 अप्रैल 2005 से। इसका मतलब है कि खनिजों की खुदाई और उत्पादन से जुड़े कारोबार अब उस समय की अवधि के लिए भी कर के दायरे में आ सकते हैं, जब इन करों को लागू नहीं किया गया था।
क्या है फैसले के प्रभाव
1. खनिज उद्योग पर प्रभाव
- इस फैसले के लागू होने से खनिज उद्योग को बड़े पैमाने पर वित्तीय दायित्वों का सामना करना पड़ सकता है। कंपनियों को पुराने करों का भुगतान करना होगा, जो उनके लिए आर्थिक दबाव का कारण बन सकता है।
2. राज्य सरकारों की वित्तीय स्थिति
- राज्य सरकारों के लिए यह फैसला फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि इससे उन्हें पिछले वर्षों के लिए भी करों की वसूली का अवसर मिलेगा। इससे उनके राजस्व में वृद्धि हो सकती है।
3. कानूनी और प्रशासनिक पहलू
- कंपनियों और खनिज उत्पादकों को इस निर्णय के अनुसार अपने वित्तीय रिकॉर्ड और कर देनदारियों की समीक्षा करनी होगी। इसके लिए उन्हें पुराने दस्तावेजों और लेन-देन की जांच करनी होगी।
जानिए क्या है सुप्रीम कोर्ट का दृष्टिकोण
सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा है कि इस फैसले के तहत खनिज अधिकारों पर कर की मांग पूर्वव्यापी रूप से लागू की जा सकती है, क्योंकि यह निर्णय खनिजों के वैध उपयोग और वित्तीय अनुशासन को सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है। कोर्ट का मानना है कि यह निर्णय कानूनी और वित्तीय पारदर्शिता को बढ़ावा देगा। अब राज्य सरकारें इस निर्णय को लागू करने के लिए अपनी योजनाओं को अंतिम रूप देंगी और खनिज कंपनियों को नई कर दायित्वों की जानकारी देंगी। कंपनियों को इस फैसले से संबंधित आवश्यकताओं और प्रक्रियाओं को पूरा करने के लिए समय दिया जाएगा।