सुप्रीम कोर्ट में क्रिकेट पर हुई मजेदार बहस, जस्टिस रॉय ने वकील को दिया 30 सेकंड का मौका, जानें क्या पूछा
punjabkesari.in Saturday, Jan 18, 2025 - 01:08 PM (IST)
नेशनल डेस्क: सुप्रीम कोर्ट में हाल ही में एक मजेदार और अजीब घटनाक्रम देखने को मिला। कोर्ट एक आपराधिक मामले में आरोप तय करने के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई कर रहा था, तभी जस्टिस ऋषिकेश रॉय ने एक वकील को 30 सेकंड का वक्त दिया। लेकिन यह समय किसी कानूनी दलील देने के लिए नहीं था, बल्कि जस्टिस रॉय ने वकील से कहा कि वह अपने केस के अलावा किसी और विषय पर बात करें।
क्रिकेट पर बात करने का मौका!
यह पूरी घटना तब हुई जब जस्टिस रॉय ने हल्के-फुल्के अंदाज में वकील से पूछा, "अब आपके पास 30 सेकंड हैं, तो क्यों न क्रिकेट पर बात करें?" इसके बाद उन्होंने मजाकिया लहजे में यह भी कहा, "ऑस्ट्रेलिया में हमारी क्रिकेट टीम के साथ क्या गलत हो रहा है?" यह सुनकर वकील थोड़े असमंजस में पड़ गए, क्योंकि वे कानूनी मामले की सुनवाई में व्यस्त थे और अचानक क्रिकेट पर बात करने में उन्हें कठिनाई महसूस हुई। जस्टिस रॉय ने अपनी हल्की-फुल्की शैली के तहत यह माहौल बनाने की कोशिश की थी, ताकि अदालत के गंभीर मामलों के बीच थोड़ी राहत मिल सके। उनका उद्देश्य दिनभर की कानूनी सुनवाई में हास्य और ताजगी का तत्व लाना था। इसके बावजूद वकील ने क्रिकेट पर बात करने का अवसर नहीं लिया लेकिन यह घटना उनके हास्यपूर्ण दृष्टिकोण को प्रदर्शित करती है।
जस्टिस रॉय का अनोखा अंदाज आया सामने
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस ऋषिकेश रॉय को उनकी हास्यपूर्ण शैली के लिए जाना जाता है। वे अक्सर अपने सत्रों में हल्के-फुल्के सवाल और टिप्पणियाँ करते हैं, जिससे माहौल तनावमुक्त रहता है। उनके इस रवैये को पूर्व मुख्य न्यायाधीश धनंजय चंद्रचूड़ भी पसंद करते थे, जो रॉय के सत्रों को हमेशा ताजगी से भरपूर मानते थे। 31 जनवरी को जस्टिस रॉय का सेवानिवृत्ति हो रहा है और उनकी यह अनोखी कोर्ट रूम घटना उनके न्यायिक कार्य के साथ-साथ उनकी सेंस ऑफ ह्यूमर को भी उजागर करती है। यह घटना बताती है कि कैसे जस्टिस रॉय ने सुप्रीम कोर्ट में हल्की-फुल्की बातें करने की परंपरा को बढ़ावा दिया।
निचली अदालतों के फैसले पर जस्टिस भट्टी का बयान
इस सुनवाई में जस्टिस एस.वी.एन. भट्टी भी शामिल थे। उन्होंने मामले में निचली अदालतों के फैसलों की स्थिरता का हवाला देते हुए हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं बताया। उनका यह बयान इस बात को दर्शाता है कि सुप्रीम कोर्ट के जज कैसे आपस में सहयोग करते हैं और एक-दूसरे की दृष्टिकोण का सम्मान करते हैं।