केंद्र शासित प्रदेश और पूर्ण राज्य में क्या होता है अंतर, यहां जानिए
punjabkesari.in Monday, Aug 05, 2019 - 07:13 PM (IST)
नेशनल डेस्क: भारत में अबतक कुल 29 राज्य और 7 केंद्र शासित प्रदेश थे। लेकिन अब सोमवार को राज्यसभा में पारित हुए बिल के बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भी केंद्र शासित प्रदेश हो जाएंगे। जिससे अब राज्यों की संख्या 28 और केंद्र शासित प्रदेश की संख्या 9 हो जाएगी। अब आपको बताते हैं कि दोनों में अंतर क्या होता है और केंद्र शासित प्रदेशों की जरूरत क्यों होती है।
पूर्ण राज्य
पूर्ण राज्यों की अपनी एक अलग सरकार होती है जिसे जनता चुनती है। इन सरकारों की अपनी प्राशासनिक इकाईयां होती हैं। यहां की सरकार को अपने कानूनों को लागू करने का अधिकार होता है। प्रशासन के लिए प्रत्येक राज्य की अपनी-अपनी विधानसभाएं होती हैं। राज्य के क्षेत्र के बारे में केंद्र और राज्य के बीच संप्रभु विधायी और कार्यकारी शक्तियों का वितरण किया जाता है। पूर्ण राज्य का मुखिया मुख्यमंत्री होता है और राज्यपाल यहां राष्ट्रपति के प्रतिनिधि के रूप में कार्यभार संभालते हैं।
केंद्र शासित प्रदेश
भारत में 7 केंद्र शासित राज्य थे, जो अब बढ़कर 9 हो गए हैं। इनको सीधे-सीधे केंद्र द्वारा शासित किया जाता है। केंद्र शासित प्रदेश में केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कानून के तहत काम होता है। दरअसल ऐसे प्रदेशों के गठन के पीछे कोई स्पष्ट कारण तो है नही, लेकिन अपने क्षेत्रफल, जनसंख्या, संस्कृतिक महत्व आदी को देखते हुए उन्हे सुरक्षा दी जाती है। अब अपने छोटे आकार के कारण इन्हे पूर्ण राज्य का दर्जा तो दिया नहीं जा सकता। इसलिए केंद्र सरकार इन्हे सीधे अपने अधीन लेकर उस पर शासन करती है। भारत के राष्ट्रपति अपने प्रतिनिधि के तौर पर प्रशासक या उपराज्यपाल को यहां की जिम्मेदारियों के लिए नियुक्त करते हैं।
दिल्ली और चंडीगढ़ क्यों अलग है?
पंजाब और हरियाणा में स्वामित्व की लड़ाई के कारण चंड़ीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश बना। यहां का प्रशासक मुख्य आयुक्त होता है। वहीं दिल्ली केंद्र शासित राज्य है लेकिन यहां मुख्यमंत्री का चुनाव होता है। उनका मंत्रिमंडल भी होता है। लेकिन यहां की पुलिस राज्य सरकार नहीं बल्कि केंद्र सरकार के तहत काम करती है। दिल्ली में मुख्यमंत्री से ज्यादा ताकत उपराज्यपाल यानी एलजी के पास होती हैं।