शवों के साथ प्रदर्शन को ''दंडनीय अपराध'' घोषित करे राज्य सरकार : मानवाधिकार आयोग

punjabkesari.in Friday, Oct 18, 2019 - 07:09 PM (IST)

जयपुर: राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग ने मुआवजे तथा ऐसी अन्य मांगों को लेकर शवों के साथ प्रदर्शन के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई है। आयोग ने राज्य सरकार से कहा है कि वह इस तरह की गतिविधि को दंडनीय अपराध (क्रिमिनल आफेंस) बनाने के लिए प्रावधान करे। आयोग के अध्यक्ष न्यायाधीश प्रकाश टाटिया ने कुछ सिफारिशों के साथ इस बारे में एक आदेश पारित किया है। यह आदेश राज्य में शवों के साथ विरोध प्रदर्शन करने के बढ़ते ‘चलन' की पृष्ठभूमि में आया है। अनेक मामलों में लोग मुआवजे और कार्रवाई जैसी मांगों के लिए सरकार तथा प्रशासन पर दबाव बनाने के लिए शवों के साथ प्रदर्शन करते हैं। 

आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि इस तरह उचित या अनुचित मांगों को पूरा करने को सरकार पर दबाव बनाने के लिए न केवल शवों का दुरुपयोग किया जाता है बल्कि यह मृतक के अधिकारों का भी उल्लंघन है कि उसका उचित मानवीय गरिमा के साथ अंतिम संस्कार हो। पिछले कुछ समय में राजस्थान में इस तरह के अनेक मामले हुए हैं जिनमें लोगों ने किसी घटना विशेष में मुआवजे, जांच या कार्रवाई संबंधी अपनी मांगों को लेकर शवों के साथ प्रदर्शन किया। 

कई बार इस तरह के प्रदर्शन हिंसक रूप ले चुके हैं जिसका बड़ा उदाहरण 2017 में अपराधी आनंदपाल सिंह की मौत व उसके बाद हिंसक प्रदर्शन का है। इसके अलावा राजस्थान के आदिवासी इलाकों में जारी 'मौताणा' की प्रथा भी ऐसा ही मामला है। आयोग ने 17 अक्टूबर को जारी अपने आदेश में सरकार से "शवों के साथ धरना प्रदर्शन की प्रथा को दंडनीय अपराध घोषित करने के लिए प्रावधान करने के लिए कहा है।" 


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shukdev

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