शराब या सिगरेट, कौन सी लत छोड़ना है ज्यादा मुश्किल? जानिए पूरी सच्चाई
punjabkesari.in Saturday, Aug 02, 2025 - 04:21 PM (IST)

नेशनल डेस्क: आज के युवा वर्ग की लाइफस्टाइल में शराब और सिगरेट का सेवन आम बात हो गई है। दोस्तों के साथ मौज-मस्ती के नाम पर शुरू होने वाला ये कदम अक्सर लत में बदल जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इन दोनों में से किसे छोड़ना ज्यादा कठिन होता है? क्यों कोई व्यक्ति सिगरेट छोड़ने की कोशिशों में असफल रहता है और कोई शराब छोड़ने में असमर्थ हो जाता है? इस खबर में हम आपको पूरी वैज्ञानिक जानकारी सरल भाषा में बताएंगे ताकि आप समझ सकें कि आखिरकार कौन सी लत ज्यादा खतरनाक है।
सिगरेट की लत क्यों लगती है?
सिगरेट में मौजूद मुख्य रसायन निकोटिन होता है। जैसे ही कोई सिगरेट पीता है, निकोटिन तेजी से खून में मिलकर दिमाग तक पहुंच जाता है। दिमाग में निकोटिन डोपामाइन नामक एक केमिकल को रिलीज करता है। डोपामाइन हमें खुशी और संतुष्टि का एहसास कराता है। यही वजह है कि सिगरेट पीने के बाद मन अच्छा महसूस करता है। लेकिन यह खुशी थोड़ी देर की होती है। निकोटिन का असर खत्म होते ही दिमाग फिर से उस तलब को महसूस करता है। यही चक्र बार-बार दोहराता है और व्यक्ति सिगरेट की आदत में फंस जाता है। इसके कारण निकोटिन की लत बहुत तेज़ी से लगती है और इसे छोड़ना काफी मुश्किल हो जाता है।
शराब की लत कैसे बनती है?
नेशनल डेस्क: शराब पीने से भी दिमाग के न्यूरोट्रांसमीटर प्रभावित होते हैं। ये न्यूरोट्रांसमीटर शांति और उत्साह का अनुभव कराते हैं। अक्सर शराब सामाजिक कार्यक्रमों का हिस्सा बन जाती है, जिससे इसका सेवन आदत में बदल जाता है। शराब का असर शरीर और दिमाग दोनों पर होता है। धीरे-धीरे शराब पीने वाला व्यक्ति बिना शराब के सहज महसूस नहीं करता। यही कारण है कि शराब की लत भी शारीरिक और मानसिक दोनों स्तरों पर होती है और इसे छोड़ना आसान नहीं होता।
लत लगने में कितना समय लगता है?
सिगरेट की लत लगने में आमतौर पर 6 महीने से लेकर 2-3 साल का समय लगता है। यदि नियमित सिगरेट का सेवन होता रहे तो लत बहुत गहरी हो जाती है। वहीं, शराब की लत बनने में थोड़ा ज्यादा समय लगता है। आमतौर पर 1 से 2 साल में शराब की आदत बन जाती है, लेकिन लगातार 5 साल तक शराब पीने से लत इतनी मजबूत हो जाती है कि इसे छोड़ना बाद में लगभग असंभव हो जाता है।
कौन सी लत ज्यादा खतरनाक है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार निकोटीन की लत बेहद तेजी से लगती है और इसे छोड़ना भी उतना ही कठिन होता है। सिगरेट की लत मानसिक और शारीरिक दोनों प्रकार की होती है। यह व्यक्ति की दिनचर्या का हिस्सा बन जाती है, जैसे सुबह की चाय के साथ सिगरेट पीना, या काम के बीच में। शराब की लत भी बहुत खतरनाक होती है क्योंकि यह न केवल शरीर को नुकसान पहुंचाती है बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती है। लंबे समय तक शराब पीने से दिमाग के कार्य प्रभावित होते हैं और व्यक्ति खुद को शराब से दूर नहीं रख पाता।
दोनों लतों को छोड़ना क्यों है इतना कठिन?
शराब और सिगरेट की लत छोड़ना इसलिए भी मुश्किल होता है क्योंकि इसमें शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार की निर्भरता होती है। शारीरिक निर्भरता के कारण ये नशे दिमाग में खुशी देने वाले केमिकल्स छोड़ते हैं, जिससे व्यक्ति बार-बार उनका सेवन करना चाहता है। इसके अलावा, मनोवैज्ञानिक निर्भरता भी बड़ी भूमिका निभाती है, क्योंकि तनाव, अकेलापन या सामाजिक दबाव में लोग इन आदतों को अपनाकर आराम महसूस करते हैं, जिससे इन्हें छोड़ना और भी कठिन हो जाता है। सामाजिक कारण भी अहम होते हैं, खासकर शराब तो अक्सर सामाजिक समारोहों और मेलजोल का हिस्सा बन जाती है, जिससे इसे छोड़ना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। साथ ही, ये आदतें व्यक्ति की दिनचर्या का हिस्सा बन जाती हैं, जैसे सुबह की चाय के साथ सिगरेट पीना या काम के बीच में शराब का सेवन करना, जिससे बिना इनके जीवन बिताना असहज महसूस होता है। यही कारण है कि शराब और सिगरेट की लत दोनों ही गहरी और छोड़ने में कठिन होती हैं।
लत छोड़ने के उपाय
लत छोड़ने के लिए सबसे पहले मनोवैज्ञानिक मदद लेना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि काउंसलिंग या थेरेपी से व्यक्ति को मानसिक समर्थन मिलता है और वह अपनी आदतों को समझकर उन्हें छोड़ने में सक्षम होता है। इसके अलावा, अचानक नशे का सेवन छोड़ने से शरीर में नकारात्मक प्रतिक्रिया हो सकती है, इसलिए धीरे-धीरे सेवन कम करना बेहतर रहता है। साथ ही, एक सकारात्मक दिनचर्या अपनाना भी महत्वपूर्ण है, जैसे नियमित व्यायाम, ध्यान और स्वस्थ जीवनशैली से मन को व्यस्त रखना ताकि नशे की तलब कम हो सके। परिवार और दोस्तों का सहयोग भी बहुत जरूरी होता है क्योंकि उनका समर्थन व्यक्ति को लत से लड़ने की ताकत देता है। इसके साथ ही, डॉक्टर की सलाह लेना भी मददगार साबित होता है क्योंकि कुछ दवाइयां होती हैं जो लत को कम करने में सहायक होती हैं और पुनः स्वस्थ जीवन की ओर मार्ग प्रशस्त करती हैं।