सैलरी आती ही हो जाती है खत्म? अपनाएं 50/30/20 नियम और शुरू करें बचत का सफर
punjabkesari.in Sunday, Aug 17, 2025 - 01:39 PM (IST)

नेशनल डेस्क: आजकल ज्यादातर नौकरीपेशा युवाओं की आम समस्या बन चुकी है – "सैलरी तो आती है, लेकिन कुछ दिनों में खत्म हो जाती है!" महीने की शुरुआत में बैंक अकाउंट भर जाता है और हफ्तेभर में ही खाली भी। इसका बड़ा कारण है बिना प्लानिंग के खर्च करना और फाइनेंशियल डिसिप्लिन की कमी। क्रेडिट कार्ड्स की आसान उपलब्धता, ऑनलाइन शॉपिंग के बढ़ते ट्रेंड और लाइफस्टाइल को बनाए रखने की होड़ में कई लोग जरूरत से ज्यादा खर्च कर बैठते हैं। परिणामस्वरूप, लोन की ईएमआई, क्रेडिट कार्ड बिल और फिर से कर्ज लेने की मजबूरी... ये एक ऐसा चक्रव्यूह बन जाता है, जिससे निकलना मुश्किल हो जाता है। ऐसी स्थिति से बचने के लिए जरूरी है एक स्मार्ट बजटिंग सिस्टम अपनाना, जो आपकी कमाई को सही दिशा में मोड़ सके। ऐसे में 50/30/20 का नियम एक बेहद आसान और प्रभावी तरीका है जो न केवल खर्चों को कंट्रोल करता है बल्कि बचत भी सुनिश्चित करता है।
क्या है 50/30/20 का नियम?
50/30/20 रूल एक बजट प्लानिंग की सरल लेकिन प्रभावी रणनीति है, जो आपकी टैक्स कटने के बाद की सैलरी को तीन हिस्सों में बांटने का सुझाव देती है। इस नियम के अनुसार, आपकी कुल इनकम का 50% हिस्सा आपकी जरूरतों पर खर्च होना चाहिए, जैसे कि किराया, राशन, बिल और ईएमआई जैसी अनिवार्य चीजें। इसके बाद 30% हिस्सा आपकी व्यक्तिगत इच्छाओं यानी शौक जैसे बाहर खाना, घूमना, शॉपिंग या मनोरंजन पर खर्च किया जा सकता है। अंत में, शेष 20% हिस्सा बचत और निवेश के लिए रखा जाना चाहिए, जो भविष्य की आपात स्थितियों, रिटायरमेंट प्लानिंग या वित्तीय लक्ष्यों को हासिल करने में मदद करता है। इस नियम का उद्देश्य केवल बजट को नियंत्रित करना नहीं, बल्कि आपकी आर्थिक स्थिति को संतुलित बनाना और धीरे-धीरे आपको फाइनेंशियल फ्रीडम की ओर ले जाना है।
50% जरूरतों के लिए (Essential Needs)
इस हिस्से में आपकी उन अनिवार्य मासिक खर्चों को शामिल किया जाता है, जिन्हें नजरअंदाज करना या टालना संभव नहीं होता। इनमें घर का किराया या लोन की EMI, बिजली और पानी के बिल, राशन और दैनिक जरूरतों का खर्च, बच्चों की स्कूल या कॉलेज की फीस, इंश्योरेंस प्रीमियम और ट्रांसपोर्ट से जुड़े खर्च जैसे फ्यूल या पब्लिक ट्रांसपोर्ट का खर्च शामिल होता है। यदि आपकी टैक्स कटने के बाद की इनकम ₹1,00,000 है, तो 50/30/20 नियम के अनुसार आपको अपनी जरूरतों पर अधिकतम ₹50,000 खर्च करने चाहिए। लेकिन अगर आपके जरूरी खर्च इस दायरे से बाहर जा रहे हैं, तो यह संकेत है कि आपकी जीवनशैली आपकी कमाई के अनुसार नहीं है। ऐसे में आपको अपने खर्चों का दोबारा मूल्यांकन करना चाहिए और कुछ चीजों में कटौती करने की जरूरत है, ताकि आप वित्तीय रूप से संतुलित रह सकें।
30% शौक और इच्छाओं के लिए (Personal Wants)
ये वो खर्चे होते हैं जो जीवन के लिए जरूरी तो नहीं होते, लेकिन इन्हें हम अपनी खुशियों और मानसिक संतुलन के लिए करते हैं। इनमें बाहर खाना या कैफे जाना, मूवी देखना या ओटीटी सब्सक्रिप्शन लेना, ट्रैवल करना, फैशन और गैजेट्स की शॉपिंग, ब्यूटी ट्रीटमेंट या स्पा जैसी चीजें शामिल होती हैं। हालांकि ये खर्चे हमारी लाइफस्टाइल का हिस्सा बन चुके हैं, लेकिन अगर इन्हें कंट्रोल में न रखा जाए तो ये बजट पर भारी पड़ सकते हैं। इसलिए 50/30/20 नियम के तहत सलाह दी जाती है कि टैक्स के बाद बची हुई इनकम का अधिकतम 30% ही इन इच्छाओं पर खर्च किया जाए। उदाहरण के लिए, अगर आपकी सैलरी ₹1 लाख है तो इन गैर-जरूरी खर्चों के लिए ₹30,000 से अधिक खर्च करना आपकी वित्तीय योजना को बिगाड़ सकता है। संतुलन बनाए रखना यहां सबसे जरूरी है।
20% बचत और निवेश के लिए (Savings & Investments)
यही वह हिस्सा है जो आपके भविष्य को सुरक्षित करता है और इसलिए इसे बिल्कुल नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, चाहे आपकी इनकम कम ही क्यों न हो। इस हिस्से में आप इमरजेंसी फंड बना सकते हैं, ताकि अचानक आए आर्थिक संकट में मदद मिल सके। इसके अलावा SIP, म्युचुअल फंड या शेयर बाजार में निवेश करना चाहिए, जिससे लंबी अवधि में अच्छा रिटर्न मिल सके। रिटायरमेंट फंड भी आपके भविष्य को सुरक्षित करने में अहम भूमिका निभाता है। साथ ही हेल्थ इंश्योरेंस या टर्म प्लान लेना जरूरी है ताकि बीमारी या अप्रत्याशित परिस्थितियों में वित्तीय सुरक्षा मिल सके। इसके अलावा फिक्स्ड डिपॉजिट या रिक्रिंग डिपॉजिट में भी निवेश कर सकते हैं। अगर आपकी सैलरी टैक्स कटने के बाद ₹1 लाख है, तो आपको कम से कम ₹20,000 बचत और निवेश में डालना चाहिए। इससे न केवल इमरजेंसी की स्थिति में आर्थिक मदद मिलेगी, बल्कि समय के साथ आपकी संपत्ति भी बढ़ेगी।
क्यों जरूरी है 50/30/20 रूल?
50/30/20 रूल इसलिए बहुत जरूरी है क्योंकि यह आपके अनावश्यक खर्चों पर नियंत्रण लगाने में मदद करता है, जिससे फालतू खर्चों से बचा जा सकता है। इससे आपके वित्तीय तनाव में भी कमी आती है क्योंकि आप अपनी आमदनी के अनुसार सही तरीके से बजट बनाते हैं। इसके अलावा, जब आप अपनी बचत और निवेश पर ध्यान देते हैं तो अचानक आने वाली जरूरतों के लिए लोन लेने की आवश्यकता नहीं पड़ती। यह नियम आपके भविष्य की आर्थिक सुरक्षा को सुनिश्चित करता है और साथ ही आपके खर्च, बचत और लाइफस्टाइल के बीच संतुलन बनाए रखने में सहायक होता है। इस तरह आप अपने पैसे को सही दिशा में इस्तेमाल कर एक मजबूत वित्तीय आधार तैयार कर पाते हैं।
फाइनेंशियल प्लानिंग के लिए सुझाव
हर महीने की शुरुआत में ही अपने पूरे मासिक बजट को सही तरीके से बना लेना चाहिए ताकि आप अपनी आय और खर्चों का पूरा हिसाब-किताब रख सकें। इसके साथ ही खर्चों का रिकॉर्ड बनाना बहुत जरूरी है, चाहे आप इसे मोबाइल ऐप के जरिए करें या डायरी में लिखें, इससे पता चलता रहता है कि पैसा कहां खर्च हो रहा है और अनावश्यक खर्चों से बचा जा सकता है। शौक वाले खर्चों में हमेशा संयम रखना चाहिए ताकि वे आपके जरूरी खर्चों और बचत को प्रभावित न करें। EMI का कुल हिस्सा आपकी सैलरी का 50% से अधिक नहीं होना चाहिए, क्योंकि इससे बाकी खर्चों और बचत पर दबाव पड़ता है। बचत को हमेशा “पहले खर्च” की तरह मानें, यानी जैसे ही सैलरी आती है, सबसे पहले बचत का हिस्सा अलग कर लें ताकि भविष्य के लिए धन सुरक्षित रहे। अंत में, निवेश करते समय पूरी समझ और जानकारी लेकर ही निर्णय लें, बिना सलाह या शोध के किसी भी योजना में पैसा लगाना जोखिम भरा हो सकता है।