50% टैरिफ के बाद PM मोदी के एक दांव से हिल गया अमेरिका... भारत से मदद मांग रहा है US
punjabkesari.in Sunday, Aug 10, 2025 - 12:06 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव अब वैश्विक राजनीति की नई पटकथा लिख रहा है। अमेरिका द्वारा भारत पर 50% टैरिफ लगाए जाने के कुछ ही दिन बाद जो प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं, वे इस टकराव को केवल एक आर्थिक जंग नहीं रहने दे रहीं। अब यह मुद्दा सीधे यूक्रेन युद्ध और वैश्विक शांति प्रयासों से जुड़ गया है। जहां अमेरिका भारत पर दबाव बनाना चाह रहा था, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ऐसा रणनीतिक कदम उठाया है, जिसने व्हाइट हाउस और वॉशिंगटन की राजनीति में हलचल मचा दी है।
अमेरिकी सीनेटर ने भारत से मांगी मदद
सीनेटर लिंडसे ग्राहम, जो अमेरिका के प्रभावशाली रिपब्लिकन नेताओं में गिने जाते हैं, ने सार्वजनिक रूप से भारत से अपील की है कि वह यूक्रेन युद्ध को खत्म कराने में अपने प्रभाव का इस्तेमाल करे और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को इस मामले में रास्ता दिखाए।
ग्राहम ने शुक्रवार को अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा: भारत अगर ट्रंप को यूक्रेन में चल रहे खूनी संघर्ष को खत्म करने में मदद करता है, तो इससे भारत-अमेरिका संबंधों में नया मोड़ आ सकता है। यह बयान तब आया है जब अमेरिका ने हाल ही में भारत पर 50% आयात शुल्क (टैरिफ) लगाने की घोषणा की थी। इस शुल्क का उद्देश्य भारत पर व्यापारिक दबाव बनाना था, लेकिन भारत ने ना केवल इसका कड़ा जवाब दिया, बल्कि अपनी विदेश नीति में तटस्थता और संतुलन बनाए रखते हुए, रूस से रिश्तों को भी मजबूत बनाए रखा।
पीएम मोदी की पुतिन से बातचीत ने बढ़ाया अमेरिका का तनाव
अमेरिका में जहां ट्रंप प्रशासन भारत पर दबाव बना रहा है, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर बातचीत की। इस बातचीत में यूक्रेन युद्ध से जुड़े ताज़ा हालात पर चर्चा हुई और मोदी ने रूस को 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए आमंत्रित भी किया।
पीएम मोदी ने बातचीत के बाद सोशल मीडिया पर लिखा था: “मेरे मित्र पुतिन के साथ सार्थक बातचीत हुई, जिसमें उन्होंने यूक्रेन से जुड़ी घटनाओं की जानकारी दी। हमने वर्ष के अंत में भारत में होने वाले शिखर सम्मेलन को लेकर भी चर्चा की।” यह घटनाक्रम ऐसे समय पर हुआ है जब अमेरिका चाहता है कि भारत रूस पर दबाव बनाए और यूक्रेन युद्ध के मुद्दे पर पश्चिमी देशों की लाइन पर चले। लेकिन भारत ने स्पष्ट संकेत दिया है कि वह किसी दबाव में आकर अपने राष्ट्रीय हितों और रणनीतिक संतुलन से समझौता नहीं करेगा।
भारत क्यों बना अमेरिका के लिए ‘कुंजी’?
भारत रूस से सस्ते कच्चे तेल का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार है, जिससे रूस को आर्थिक ताकत मिल रही है। अमेरिका की चिंता है कि भारत रूस के इस राजस्व स्रोत को बंद करवा सकता है, लेकिन भारत की स्थिति है कि वह अपने ऊर्जा हितों से समझौता नहीं करेगा। साथ ही, भारत का वैश्विक प्रभाव और तटस्थता की छवि उसे यूक्रेन संकट में मध्यस्थता की भूमिका के लिए योग्य बनाती है। ग्राहम का बयान भी इसी सोच को दर्शाता है। उन्होंने कहा: “मुझे उम्मीद है कि पीएम मोदी पुतिन को यह समझा रहे होंगे कि युद्ध को न्यायपूर्ण, सम्मानजनक और स्थायी रूप से समाप्त किया जाना चाहिए।”
टैरिफ जंग और मोदी की जवाबी रणनीति
डोनाल्ड ट्रंप ने जब 50% टैरिफ का एलान किया, तो अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों को लगा कि भारत शायद झुक जाएगा। लेकिन मोदी सरकार ने तुरंत सख्त आर्थिक और कूटनीतिक प्रतिक्रिया दी:
-अमेरिकी रक्षा सौदों की समीक्षा की खबरें आईं
-भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर स्वतंत्र रुख अपनाए रखा
-रूस के साथ ऊर्जा, रक्षा और रणनीतिक सहयोग जारी रखा
-अमेरिका को ये संदेश दिया गया कि भारत बिना झुके संवाद के लिए तैयार है, लेकिन दबाव में नहीं आएगा