muslim countries silent war: कतर, सऊदी और यूएई में चल रही है खामोश जंग! अगर युद्ध छिड़ा तो कौन पड़ेगा भारी?
punjabkesari.in Monday, Jun 30, 2025 - 04:17 PM (IST)

नेशनल डेस्क: मध्य पूर्व एक बार फिर तनाव के दौर से गुजर रहा है। हाल ही में ईरान और इजरायल के बीच हुए टकराव के बाद खाड़ी के तीन बड़े मुस्लिम देश – सऊदी अरब, यूएई और कतर – के बीच रिश्तों में खटास फिर से दिखने लगी है। ये तीनों देश इस्लामिक दुनिया के प्रमुख खिलाड़ी हैं, लेकिन इनके बीच की आपसी होड़ कभी भी बड़ी टक्कर में बदल सकती है। बाहर से सब कुछ सामान्य दिखता है, लेकिन अंदर ही अंदर रणनीतिक जंग जारी है।
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कतर बनाम अरब ब्लॉक: एक पुरानी दुश्मनी
वर्ष 2017 में सऊदी अरब, यूएई, बहरीन और मिस्र ने मिलकर कतर पर राजनयिक और आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए थे। इसका कारण था कतर का ईरान से करीबी रिश्ता और उस पर आतंकवादी संगठनों को समर्थन देने के आरोप। यह विभाजन इस क्षेत्र की राजनीति को दो हिस्सों में बांट गया था – एक तरफ अमेरिका के करीबी सऊदी और यूएई, और दूसरी तरफ अमेरिका की साझेदारी वाला लेकिन स्वतंत्र सोच वाला कतर। 2021 में कूटनीतिक समझौतों के जरिए इस विवाद को शांत किया गया, लेकिन विश्वास की खाई आज भी गहरी बनी हुई है। यही अविश्वास इस समय के उभरते तनाव का केंद्र बिंदु बन चुका है।
जानें तीनों देश की सैन्य ताकत की असली तस्वीर
सऊदी अरब:
-बड़ी जनसंख्या और सबसे विशाल सैन्य बल।
-अमेरिका से अरबों डॉलर के आधुनिक हथियार।
-लेकिन यमन युद्ध में कमजोर प्रदर्शन और रणनीतिक असफलता ने इसकी सैन्य क्षमता पर सवाल खड़े किए हैं।
यूएई (लिटिल स्पार्टा):
-छोटी लेकिन हाई-टेक मिलिट्री।
-अत्याधुनिक ड्रोन, साइबर वारफेयर विशेषज्ञता और वर्ल्ड क्लास ट्रेनिंग।
-स्ट्रैटजिकली बेहद एक्टिव और फुर्तीला।
कतर:
-सबसे छोटा, लेकिन अमेरिका का भरोसेमंद साझेदार।
-Al Udeid Airbase जैसे अमेरिकी बेस और अब MQ-9B जैसे एडवांस्ड ड्रोन इसकी सैन्य रीढ़ हैं।
तकनीक और इंटेलिजेंस में इसकी पकड़ लगातार मजबूत हो रही है।
अगर युद्ध होता है तो कौन भारी पड़ेगा?
सऊदी अरब सैन्य संख्या में सबसे बड़ा खिलाड़ी है, लेकिन उसका रणनीतिक रिकॉर्ड कमजोर है।
यूएई तकनीकी व प्रोफेशनल ट्रेनिंग में सबसे आगे है, जो उसे युद्ध के मैदान में स्मार्ट बना देता है।
कतर भले छोटा हो, लेकिन उसके पास अमेरिका की सामरिक छांव है, जो उसे किसी भी आक्रामकता से बचा सकती है। इसका मतलब ये है कि तीनों में से कोई भी अकेले विजेता नहीं बन सकता, लेकिन अगर हालात बिगड़ते हैं, तो पूरा खाड़ी क्षेत्र चपेट में आ सकता है।
क्या वाकई टकराव हो सकता है?
फिलहाल तीनों देशों की आर्थिक ग्रोथ, वैश्विक व्यापार, पर्यटन और निवेश की दिशा में बढ़ती गतिविधियां इस संभावना को कमजोर बनाती हैं कि ये आपस में युद्ध करें। लेकिन ईरान-इजरायल जैसी टकराव की घटनाएं, वैश्विक ध्रुवीकरण और अमेरिकी-चीन हितों की खींचतान कभी भी किसी गठबंधन को तोड़ सकती है।