खराब मौसम की वजह से शुभांशु शुक्ला की उड़ान टली, अब इस दिन Axiom-4 मिशन लॉन्चिंग के लिए भरेंगे उड़ान
punjabkesari.in Monday, Jun 09, 2025 - 09:01 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत के पहले वाणिज्यिक अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए उड़ान अब 11 जून, 2025 को निर्धारित की गई है। पहले यह मिशन 10 जून को निर्धारित था, लेकिन मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण इसे एक दिन के लिए स्थगित कर दिया गया है।
मिशन का महत्व
Axiom Mission 4 (Ax-4) भारत के लिए एक ऐतिहासिक कदम है, क्योंकि यह पहला अवसर है जब एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री निजी अंतरिक्ष मिशन के तहत ISS पर जाएगा। इससे पहले, 1984 में राकेश शर्मा ने सोवियत संघ के Soyuz T-11 मिशन के तहत अंतरिक्ष यात्रा की थी ।
मिशन की विशेषताएं
लॉन्च तिथि: 11 जून, 2025, भारतीय समयानुसार शाम 5:30 बजे
लॉन्च स्थल: NASA का कैनेडी स्पेस सेंटर, फ्लोरिडा, USA
लॉन्च वाहन: SpaceX Dragon कैप्सूल
अंतरिक्ष यात्री दल: ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला (भारत), कमांडर पेगी व्हिट्सन (पूर्व NASA अंतरिक्ष यात्री), स्लावोश उज़नांस्की-विस्निव्स्की (पोलैंड), और तिबोर कपू (हंगरी)
मिशन अवधि: 14 दिन
मुख्य उद्देश्य: माइक्रोग्रैविटी में वैज्ञानिक प्रयोग, जैसे मांसपेशियों की कोशिका पुनर्जनन, मूंग दाल और सलाद के बीजों की वृद्धि, माइक्रोएल्गी का विकास, टार्डिग्रेड्स (वॉटर बियर) की जीवित रहने की क्षमता, और मानव-प्रौद्योगिकी इंटरएक्शन का अध्ययन ।
शुभांशु शुक्ला की भूमिका
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, भारतीय वायुसेना के एक अनुभवी परीक्षण पायलट, इस मिशन में पायलट के रूप में कार्य करेंगे। उन्होंने रूस, भारत और अमेरिका में कठोर प्रशिक्षण प्राप्त किया है और वे भारत के Gaganyaan मिशन के लिए भी एक प्रमुख उम्मीदवार हैं ।
मिशन की वैश्विक सहयोगिता
यह मिशन NASA, ISRO और Axiom Space के बीच एक संयुक्त पहल है, जो अंतरिक्ष में वाणिज्यिक यात्रा को बढ़ावा देने और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहित करने का एक महत्वपूर्ण कदम है ।
कैसे देखें लाइव
मिशन की लाइव स्ट्रीमिंग के लिए NASA और Axiom Space की आधिकारिक वेबसाइटों पर जानकारी उपलब्ध होगी। प्रशंसक और उत्साही लोग इस ऐतिहासिक क्षण को लाइव देख सकते हैं। यह मिशन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है और आने वाले वर्षों में अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत की भूमिका को और सशक्त बनाएगा।