'शिवसेना और कांग्रेस ने भी राम मंदिर आंदोलन में योगदान दिया', मोहन भागवत पर संजय राउत का पलटवार
punjabkesari.in Saturday, Dec 21, 2024 - 01:04 PM (IST)
नेशनल डेस्क: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए शिवसेना सांसद संजय राउत ने शनिवार को कहा कि राम मंदिर देश के इतिहास में एक आंदोलन था और न केवल भाजपा और पीएम मोदी ने इसमें योगदान दिया, बल्कि आरएसएस, शिवसेना, विहिप और यहां तक कि कांग्रेस सहित सभी ने इस आंदोलन में योगदान दिया। राउत ने भागवत पर निशाना साधा और कहा कि वह ही हैं जिन्होंने ऐसे लोगों को सत्ता में लाया और अब उन्हें जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
एएनआई से बात करते हुए राउत ने कहा, "राम मंदिर इस देश के इतिहास में एक आंदोलन था। मेरा मानना है कि सभी ने उस आंदोलन में योगदान दिया। न केवल भाजपा और पीएम मोदी ने इसमें योगदान दिया, बल्कि आरएसएस, भाजपा, शिवसेना, वीएचपी, बजरंग दल और कांग्रेस ने भी आंदोलन में योगदान दिया... यह सही है कि कोई भी सिर्फ मंदिर बनाकर नेता नहीं बन सकता। यह देश एक मंदिर है, आपको इसे बनाना चाहिए... मोहन भागवत, आप ही ऐसे लोगों को सत्ता में लाए हैं। इसलिए अब आप जिम्मेदारी लें।"
#WATCH | Pune, Maharashtra | On RSS chief Mohan Bhagwat's statement, Shiv Sena UBT MP Sanjay Raut says, "Ram mandir was a movement in the history of this nation. I believe everyone contributed to that movement. Not only BJP and PM Modi contributed to it but RSS, BJP, Shiv Sena,… pic.twitter.com/fL9bAhyROo
— ANI (@ANI) December 21, 2024
क्या बोले मोहन भागवत?
शुक्रवार को मोहन भागवत ने देश में एकता और सद्भाव का आग्रह करते हुए इस बात पर जोर दिया कि दुश्मनी पैदा करने के लिए विभाजनकारी मुद्दे नहीं उठाए जाने चाहिए। साथ ही उन्होंने हिंदू भक्ति के प्रतीक के रूप में अयोध्या में राम मंदिर के महत्व पर भी प्रकाश डाला। पुणे में गुरुवार को हिंदू सेवा महोत्सव के उद्घाटन के अवसर पर बोलते हुए भागवत ने कहा, "अब भक्ति के सवाल पर आते हैं। वहां राम मंदिर होना चाहिए और वास्तव में ऐसा हुआ भी। यह हिंदुओं की भक्ति का स्थल है।" हालांकि, उन्होंने विभाजन पैदा करने के खिलाफ चेतावनी दी।
आरएसएस प्रमुख ने कहा, "लेकिन हर दिन तिरस्कार और दुश्मनी के लिए नए मुद्दे नहीं उठाए जाने चाहिए। इसका समाधान क्या है? हमें दुनिया को दिखाना चाहिए कि हम सद्भाव से रह सकते हैं, इसलिए हमें अपने देश में थोड़ा प्रयोग करना चाहिए।" भारत की विविधतापूर्ण संस्कृति पर प्रकाश डालते हुए भागवत ने कहा, "हमारे देश में विभिन्न संप्रदायों और समुदायों की विचारधाराएँ हैं।"
भागवत ने हिंदू धर्म को एक शाश्वत धर्म बताया
भागवत ने हिंदू धर्म को एक शाश्वत धर्म बताते हुए कहा कि इस शाश्वत और सनातन धर्म के आचार्य "सेवा धर्म" या मानवता के धर्म का पालन करते हैं। श्रोताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने सेवा को सनातन धर्म का सार बताया, जो धार्मिक और सामाजिक सीमाओं से परे है। उन्होंने लोगों से सेवा को पहचान के लिए नहीं बल्कि समाज को कुछ देने की शुद्ध इच्छा के लिए अपनाने का आग्रह किया।