Shibu Soren: शिबू सोरेन के निधन पर 3 तीन का राजकीय शोक, 2 दिन बंद रहेंगे सरकारी ऑफिस

punjabkesari.in Monday, Aug 04, 2025 - 12:58 PM (IST)

नेशनल डेस्क: झारखंड की राजनीति का एक युग आज समाप्त हो गया। आदिवासी चेतना की आवाज, झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का सोमवार सुबह दिल्ली में निधन हो गया। 81 वर्षीय दिशोम गुरु बीते कई सप्ताह से किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे और सर गंगाराम अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। उनके निधन की जानकारी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने साझा की, जिन्होंने भावुक होते हुए कहा कि उन्होंने सिर्फ अपने पिता नहीं, बल्कि राज्य की आत्मा को खो दिया है।

अंतिम दर्शन की तैयारियां, आज पहुंचेगा पार्थिव शरीर रांची
दिशोम गुरु का पार्थिव शरीर आज शाम दिल्ली से रांची लाया जा रहा है। शाम 4 से 5 बजे के बीच उनका शव रांची एयरपोर्ट पहुंचेगा, जहां से उसे मोराबादी स्थित उनके आवास ले जाया जाएगा। वहीं, कल सुबह 11 बजे, शिबू सोरेन को अंतिम दर्शन के लिए झारखंड विधानसभा परिसर में रखा जाएगा, जहां राज्य सरकार, विधायक और आमजन उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। इसके बाद, उनका पार्थिव शरीर रामगढ़ जिले के नेमरा गांव, जो उनका पैतृक स्थान है, ले जाया जाएगा। मंगलवार दोपहर 3 बजे नेमरा में अंतिम संस्कार किया जाएगा। उनके सम्मान में पूरे राज्य में शोक की लहर है।

श्रद्धांजलियों का सिलसिला: देशभर से नेताओं ने जताया दुख
शिबू सोरेन के निधन पर शोक जताने वालों का सिलसिला जारी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें गरीबों और वंचितों के लिए समर्पित एक जमीनी नेता बताया।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें एक संघर्षशील और ऐतिहासिक व्यक्तित्व करार देते हुए कहा कि उनका जाना देश की राजनीति के लिए अपूरणीय क्षति है। राजधानी रांची स्थित झामुमो मुख्यालय में पार्टी का झंडा झुकाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।

राज्य में तीन दिन का राजकीय शोक
झारखंड सरकार ने शिबू सोरेन के सम्मान में तीन दिनों का राजकीय शोक घोषित किया है।
4 से 6 अगस्त 2025 तक पूरे राज्य में राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा।
4 और 5 अगस्त को राज्य सरकार के सभी कार्यालय बंद रहेंगे।
शोक अवधि में कोई भी सरकारी आयोजन नहीं किया जाएगा।

एक आंदोलन का नाम थे दिशोम गुरु
शिबू सोरेन महज़ एक नेता नहीं, बल्कि एक आंदोलन का चेहरा थे। आदिवासी समाज के अधिकारों की लड़ाई, महाजनी शोषण के खिलाफ धनकटनी आंदोलन और झारखंड राज्य की मांग—इन सभी में उनकी भूमिका केंद्रीय रही। ‘दिशोम गुरु’ का मतलब ही लोगों के लिए न्याय और आवाज बन जाना था। उनकी राजनीतिक यात्रा संघर्ष, बलिदान और जनसेवा की मिसाल है।
 


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Content Writer

Anu Malhotra

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