USA में रह कर लेती है भारत के सरकारी स्कूल से सैलरी, गुजरात शिक्षा विभाग दिखी गजब लापरवाही

punjabkesari.in Saturday, Aug 10, 2024 - 02:46 PM (IST)

नेशनल डेस्क: गुजरात के बनासकांठा जिले के अंबाजी के पास स्थित सरकारी स्कूल में एक अजीब और हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। पंचा प्राथमिक स्कूल की शिक्षिका, भावना पटेल, जो पिछले आठ वर्षों से अमेरिका में रह रही हैं, का नाम अब भी स्कूल की शिक्षक सूची में दर्ज है। आश्चर्यजनक बात यह है कि भावना पटेल अमेरिका में ग्रीन कार्ड धारक हैं और साल में केवल एक महीने के लिए ही भारत आती हैं, लेकिन उनकी सैलरी लगातार जारी है।

इस मामले का खुलासा होते ही स्थानीय अधिकारियों में हड़कंप मच गया है। जांच में पता चला है कि भावना पटेल दिवाली के समय ही स्कूल आती हैं और बाकी समय अमेरिका में रहती हैं। इस दौरान, स्कूल में उनकी अनुपस्थिति के बावजूद उनकी सैलरी जारी रहती है, जो गंभीर सवाल खड़े कर रही है।

स्कूल और स्थानीय प्रशासन में बढ़ी चिंता
अंबाजी मंदिर के पास स्थित पंचा प्राथमिक स्कूल में भावना पटेल के बारे में यह भी जानकारी मिली है कि वे दो साल पहले स्कूल में आई थीं, लेकिन उसके बाद से उन्होंने स्कूल की ओर रुख नहीं किया। स्कूल की प्रभारी शिक्षिका पारूलबेन ने कहा कि भावना पटेल की अनुपस्थिति के कारण बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। बच्चों ने भी दो साल से उन्हें नहीं देखा है, जबकि उनका नाम अभी भी स्कूल के बोर्ड में दर्ज है।

गुजरात के शिक्षा प्रणाली की कार्यप्रणाली पर उठे गंभीर सवाल
अब सवाल उठ रहे हैं कि भावना पटेल की नौकरी कैसे जारी रही, क्या कभी स्कूल का निरीक्षण नहीं हुआ, और इस पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई? राज्य सरकार के शिक्षा विभाग ने अभी तक इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। यह स्थिति गुजरात के शिक्षा प्रणाली की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाती है।

शिक्षा विभाग की व्यवस्था को दी चुनौती
स्थानीय अधिकारियों ने मामले की जांच शुरू कर दी है और भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति से बचने के लिए कदम उठाने की बात कही है। इस मामले ने न केवल शिक्षा विभाग की व्यवस्था को चुनौती दी है, बल्कि सरकारी स्कूलों में पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता को भी उजागर किया है। फिलहाल, शिक्षा विभाग को इस मामले की जांच के बाद आवश्यक कार्रवाई करनी होगी और सुनिश्चित करना होगा कि सरकारी स्कूलों में ऐसे मामले फिर से न हों।


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Content Editor

Mahima

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