डॉक्टरों ने पवार से कहा था-6 महीने बची है जिंदगी, जरूरी काम निपटा लें...ऐसे पाई कैंसर पर जीत
punjabkesari.in Monday, Aug 29, 2016 - 09:09 AM (IST)

मुंबई: शरद गोविंदराव पवार एक वरिष्ठ भारतीय राजनेता हैं जो नैशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के संस्थापक और अध्यक्ष भी हैं। वे तीन अलग-अलग समय पर महाराष्ट्र राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। एक प्रभावशाली नेता के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले शरद पवार केंद्र सरकार में भी रक्षा और कृषि मंत्री रह चुके हैं। पवार ने जितनी मजबूती से राजनीति में अपनी पैठ बनाई है वैसे ही उन्होंने मजबूत इच्छाशक्ति के बल पर कैंसर के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी और उस पर जीत भी हासिल की। पवार खुद कहते हैं कि मैं कैंसर के खिलाफ जंग इसलिए जीत सका क्योंकि इस बीमारी से लड़ने की मेरी इच्छाशक्ति बहुत प्रबल थी। यदि मैंने लड़ाई में हार मान ली होती या काम करना बंद कर दिया होता तो कैंसर जीत जाता।
एक वक्त तो डॉक्टर भी हार मान चुके थे। सिर्फ छह महीने की जिंदगी बताते हुए डॉक्टरों ने पवार को जरूरी काम निपटाने की नसीहत तक दे दी थी, लेकिन उनके जीने की जिद्द के आगे कैंसर को हार माननी ही पड़ी। पवार ने बताया कि 2004 के लोकसभा चुनाव के दौरान उन्हें कैंसर का पता चला था। इलाज के लिए वे न्यूयॉर्क गए, वहां के डॉक्टरों ने भारत के ही कुछ एक्सपर्ट्स के पास जाने को कहा। इस दौरान उन्हें 36 बार रेडिएशन का ट्रीटमेंट लेना था। यह बहुत दर्दनाक था। सुबह 9 से 2 बजे तक शरद काम करते। फिर 2.30 बजे अपोलो हॉस्पिटल में कीमोथैरेपी लेते। पवार बताते हैं कि दर्द इतना होता था कि घर जाकर सोना ही पड़ता। इसी दौरान एक डॉक्टर ने उनसे कहा कि जरूरी काम पूरे कर लें। आप सिर्फ 6 महीने और जी सकेंगे।
पवार ने डाॅक्टर से कहा कि मैं बीमारी की चिंता नहीं करता, आप भी मत करो। पवार ने माना कि वे गुटखा खाया करते थे इसलिए मुंह का कैंसर हुआ, जिसका उन्हें ऑपरेशन कराना पड़ा।’ पवार ने कहा कि ‘मैंने समय रहते इसका इलाज करा लिया इस वजह से मैं इससे बच पाया। पवार ने लोगों को नसीहत दी कि कैंसर से बचना है तो तंबाकू और गुटखा का सेवन तुरंत बंद कर दें। पवार ने बताया कि कैंसर का इलाज अत्यधिक पीड़ादायक था क्योंकि मेरे मुंह के अंदर त्वचा जल गई थी जिससे खाना खाना काफी मुश्किल हो रहा था लेकिन उन्हें जीना था और कैंसर को हराना था इसलिए उन्होंने ये लड़ाई लड़ी और एक ऑपरेशन के बाद उन्होंने एक महीने के अंदर केंद्रीय मंत्री के रूप में शपथ ली।
इस दौरान उन्हें परिवार का बहुत सहयोग मिला। बता दें कि शरद पवार का जन्म 12 दिसंबर 1940 को हुआ था। पवार ने अपने सियासी सफ़र की शुरुआत कांग्रेस के साथ 1967 में की। पवार अब अपनी राजनीतिक विरासत बेटी सुप्रिया सुले को सौंप चुके हैं। सुप्रिया एनसीपी की टॉप लीडर्स में से एक होने के साथ ही पिछले 2 बार से 2009 और 2014 में अपनी पिता की सीट बारामती से एमपी हैं।