लॉकडाउन में सैलून और ब्यूटी पार्लर पर ताला, मुश्किलों से कैसे बाहर निकलेे सौंदर्य उद्योग?

punjabkesari.in Friday, May 29, 2020 - 08:44 PM (IST)

नेशनल डेस्क: सैलून और ब्यूटी पार्लर में जाकर सजना संवरना अब बीते दिनों की बात होती नजर आ रही है....क्योंकि कोरोना वायरस से निपटने के लए लगे लॉकडाउन के कारण दो महीने से अधिक समय से ये दुकानें बंद पड़ी है। लॉकडाउन के चौथे चरण में भी अधिकतर सैलून और पार्लर बंद हैं, जिससे सौंदर्य उद्योग से जुड़े लोगों की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गई है। आरिफ (40) को अपनी दुकान खोले दो महीने से अधिक समय हो गया हैं। पैसों की तंगी के कारण थक-हारकर उन्होंने उत्तर प्रदेश के बिजनौर स्थित अपने घर लौटने की सोची क्योंकि वहां उन्हें कम से कम खाने के लिए कुछ मिलने की उम्मीद थी। 

 

आरिफ ने फोन पर कहा कि हम छोटे लोगों के बारे में शहर में कौन सोचता है। गाजियाबाद में मैंने घर और दुकान दोनों किराय पर ले रखे है, मैं किराया कैसे भरूं? गांव में हमारा खुद का घर हैं और एक छोटा खेत भी। हमने कुछ गेंहू उगाया है और अब बस यही मेरे पास है। तेलंगाना, गुजरात और राजस्थान में हालांकि गृह मंत्रालय के चौथे चरण के लॉकडाउन के नियमों के तहत सैलून और पार्लर खुले हैं। वहीं दिल्ली, असम और महाराष्ट्र आदि राज्यों ने 31 मई तक इन दुकानों को बंद रखने का फैसला किया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने केवल सैलून खोलने की अनुमति दी है ब्यूटी पार्लर खोलने की नहीं, जिससे दुकानदारों में नियम को लेकर भ्रम की स्थिति कायम है। आरिफ ने कहा, कि  मेरे कुछ ग्राहकों ने मुझे बताया है कि कुछ दुकानें खुली हैं वहीं कुछ अन्य का कहना है कि दुकानें बंद हैं। मैं दिशा-निर्देश स्पष्ट होने तक वापस जाकर दुकान नहीं खोलना चाहता ।

 

गाजियाबाद में ‘ब्यूटी क्लिनिक' की संध्या राय ने भी नियमों के स्पष्ट ना होने तक दुकान ना खोलने का निर्णय लिया है। पार्लर की मालिक ने कहा कि उद्योग बुरी तरह प्रभावित है लेकिन मैंने अभी तक इस बारे में कुछ सोचा नहीं है। मुझे शायद अपने कुछ कर्मचारियों को भी निकालना होगा लेकिन मैं किसी भी नियम को तोड़ने का जोखिम नहीं उठाना चाहती। कर्मचारियों के बकाया वेतन, बढ़ते किराये ने दुकान मालिकों की चिंता बढ़ा दी है। वहीं कुछ दुकानदार 31 मई के बाद दुकानें खोलने की तैयारी कर रहे हैं। लक्ष्मी नगर में ब्यूटी पार्लर की मालिक पूजा गुप्ता को केवल अपनी दुकान बंद होने की ही नहीं बल्कि पति के सम्पत्ति के व्यापार के ठप पड़ने की भी चिंता है। उन्होंने कहा कि हालांकि पार्लर बहुत छोटा है लेकिन लॉकडाउन की वजह से हमें काफी परेशानी हुई है। मेरे पति का सम्पत्ति का काम भी मंद पड़ गया है। मैंने अपने कर्मचारियों को निकाल दिया है लेकिन अब भी हमें पार्लर का किराया और बिजली का बिल तो देना ही है।

 

गुप्ता ने कहा कि सरकार ने हमारी कोई मदद नहीं की है, कम से कम उन्हें इस बारे में सोचना चाहिए।  वहीं बढ़ते खर्चों और क्रेडिट कार्ड के बिलों के बावजूद, पश्चिम विहार में ‘सैन्रिक्स सैलून' के प्रशांत राजपूत ने अपने कर्मचारियों को नए माहौल के अनुकूल तैयार किया है। राजपूत ने ना केवल डिस्पोजेबल हैंड टॉवल, कटिंग किट, पीपीई किट, सैनिटाइजर का इंतजाम किया है, बल्कि अपने कर्मचारियों को भी नए दिशा-निर्देशों का पालन करने के लिए प्रशिक्षित किया। हालांकि बिना मुनाफे के व्यापार कब तक चल पाएगा इस बात को लेकर अब भी वह असमंजस में हैं। राजपूत ने कहा कि लॉकडाउन हटने के बाद भी ग्राहक आएंगे या नहीं इसका कुछ पता नहीं है।
 


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vasudha

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