सचिन और धोनी की सेना के वर्दी में होगी वापसी! भारत-पाक तनाव के बीच बड़ी चर्चा, जानिए सबकुछ

punjabkesari.in Monday, Apr 28, 2025 - 01:34 PM (IST)

नेशनल डेस्क: पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव की चिंगारी को भड़का दिया है। सीमाओं पर सेना चौकन्नी है और जंग जैसे हालात बनते नजर आ रहे हैं। इसी माहौल में एक हैरान करने वाली चर्चा ज़ोर पकड़ रही है - क्या भारतीय क्रिकेट के दिग्गज सचिन तेंदुलकर और महेंद्र सिंह धोनी अब वर्दी पहनकर देश की रक्षा के लिए मोर्चा संभालेंगे? सेना और वायुसेना में सम्मानित पदों पर आसीन ये सितारे क्या वाकई अब जंग के मैदान में नजर आएंगे? सोशल मीडिया से लेकर न्यूज़ चैनलों तक इस सवाल ने हलचल मचा दी है। लेकिन हकीकत क्या है? आइए, जानते हैं पूरी कहानी।

धोनी और तेंदुलकर की सेना में भूमिका

महेंद्र सिंह धोनी को 2011 में भारतीय सेना की टेरिटोरियल आर्मी में मानद लेफ्टिनेंट कर्नल की रैंक दी गई थी। धोनी ने सेना के साथ 2019 में कश्मीर में 106 टेरिटोरियल आर्मी बटालियन (पैरा) के साथ समय बिताया था। उन्होंने विक्टर फोर्स के साथ गश्त और कई सैन्य गतिविधियों में हिस्सा लिया। धोनी का देश के प्रति प्रेम और सेना के प्रति सम्मान जगजाहिर है। हालांकि उनकी भूमिका मुख्य रूप से प्रचार और सैनिकों का मनोबल बढ़ाने तक सीमित रही है। दूसरी तरफ, सचिन तेंदुलकर को 2010 में भारतीय वायु सेना ने मानद ग्रुप कैप्टन की उपाधि से सम्मानित किया था। सचिन ने भी अपनी इस भूमिका में वायु सेना की छवि को मजबूत करने और युवाओं को प्रेरित करने का कार्य किया है। वे कभी भी सक्रिय सैन्य ऑपरेशन का हिस्सा नहीं रहे।

और कौन-कौन से सितारे जुड़े हैं सेना से?

भारतीय सेना और टेरिटोरियल आर्मी में कई मशहूर हस्तियों को मानद रैंक दी गई है, जैसे:

  • कपिल देव: टेरिटोरियल आर्मी में मानद लेफ्टिनेंट कर्नल।

  • अभिनव बिंद्रा: ओलंपिक स्वर्ण विजेता निशानेबाज, टेरिटोरियल आर्मी से जुड़े।

  • मोहनलाल: मलयालम फिल्मों के सुपरस्टार, टेरिटोरियल आर्मी में मानद लेफ्टिनेंट कर्नल।

  • अनुराग ठाकुर: केंद्रीय मंत्री और बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष, टेरिटोरियल आर्मी में कैप्टन।

इन सभी की भूमिका मुख्य रूप से सेना का समर्थन करना, प्रेरणा देना और आपदा प्रबंधन जैसे कार्यों में मदद करना रही है।

भारतीय सेना और टेरिटोरियल आर्मी में क्या अंतर है?

भारतीय सेना देश की नियमित और पूर्णकालिक सशस्त्र सेना है। इसमें सैनिक कठोर प्रशिक्षण और चयन प्रक्रिया से गुजरते हैं और हमेशा सेवा में रहते हैं। थल सेना, नौसेना और वायु सेना - ये तीनों अंग इसमें शामिल हैं। वहीं, टेरिटोरियल आर्मी एक स्वैच्छिक अंशकालिक संगठन है। इसमें सामान्य नागरिक, जैसे पेशेवर, खिलाड़ी और अन्य लोग शामिल हो सकते हैं। ये साल में कुछ हफ्ते सैन्य प्रशिक्षण लेते हैं और आपात स्थिति में देश की सेवा के लिए तैयार रहते हैं। टेरिटोरियल आर्मी का मुख्य उद्देश्य जरूरत पड़ने पर भारतीय सेना को सहयोग देना है।

क्या धोनी और सचिन वाकई सीमा पर लड़ेंगे?

धोनी और सचिन को दी गई सैन्य रैंकें मानद हैं। इनका मुख्य उद्देश्य प्रेरणा देना और सैन्य बलों की छवि को मजबूत करना है, न कि युद्ध में भाग लेना। महेंद्र सिंह धोनी इस समय 43 साल के हैं जबकि सचिन तेंदुलकर 51 वर्ष के हैं। उनकी उम्र, सीमित सैन्य प्रशिक्षण और सार्वजनिक प्रोफाइल को देखते हुए यह बेहद असंभव है कि उन्हें सीमा पर युद्ध जैसी परिस्थितियों में तैनात किया जाए।

युद्ध के समय क्या होगी इन सितारों की भूमिका?

अगर युद्ध जैसे हालात बनते हैं तो धोनी और तेंदुलकर जैसे सितारे सैनिकों का मनोबल बढ़ाने, जागरूकता अभियानों में भाग लेने और देशभक्ति का संदेश फैलाने का कार्य कर सकते हैं। वे सैनिकों के बीच जाकर उनकी हौसला अफजाई कर सकते हैं, लेकिन सीधी लड़ाई में हिस्सा लेने की संभावना बहुत ही कम है।


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Content Editor

Ashutosh Chaubey

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