Earthquake: बारिश में भूकंप.... और मानसून में ''डबल मार'' आखिर कैसे? जानिए इसके पीछे की वैज्ञानिक वजह
punjabkesari.in Thursday, Jul 10, 2025 - 10:43 AM (IST)

नेशनल डेस्क: गुरुवार सुबह 9 बजकर 4 मिनट पर जब दिल्ली-एनसीआर के लोग बारिश का आनंद ले रहे थे, तभी अचानक धरती हिल गई। हरियाणा के गुरवारा के पास 4.2 तीव्रता का भूकंप आया जिसने कई लोगों को सहमा दिया। बारिश और भूकंप का एक साथ आना लोगों के मन में यह सवाल खड़ा कर गया कि क्या इन दोनों के बीच कोई संबंध है? क्या बारिश से भूकंप आ सकता है?
भूकंप आखिर क्यों आता है?
भूकंप आने की सबसे बड़ी वजह होती है धरती की अंदरूनी सतह पर मौजूद टेक्टोनिक प्लेटों में हलचल। धरती कुल 12 बड़ी टेक्टोनिक प्लेट्स पर टिकी है। ये प्लेटें लगातार धीमी गति से हिलती रहती हैं और जब ये प्लेटें आपस में टकराती या एक-दूसरे पर चढ़ती हैं तो धरती के अंदर ऊर्जा इकट्ठा होती जाती है। जब ये ऊर्जा अचानक बाहर निकलती है तो धरती हिलती है और उसे हम भूकंप कहते हैं। भूकंप का वह बिंदु जहां यह ऊर्जा सबसे पहले निकलती है उसे हाइपोसेंटर (Hypocenter) कहा जाता है और धरती की सतह पर इसका सीधा बिंदु एपिसेंटर (Epicenter) कहलाता है।
बारिश और भूकंप का क्या कोई संबंध है?
यह सवाल आम लोगों के मन में अक्सर आता है, खासकर तब जब दोनों घटनाएं एक साथ हों। वैज्ञानिकों का कहना है कि आमतौर पर बारिश और भूकंप का सीधा संबंध नहीं होता। बारिश भले ही धरती की ऊपरी परत को गीला और भारी कर दे लेकिन यह टेक्टोनिक प्लेट्स की गहराई तक नहीं पहुंच पाती। हालांकि, कुछ मामलों में जैसे बहुत भारी और लगातार बारिश, या बड़े जलाशयों के निर्माण से ज़मीन पर दबाव बढ़ सकता है जिससे ज़मीन की अंदरूनी परतों में अस्थिरता आ सकती है। लेकिन यह असर बहुत धीमा होता है और हर बार नहीं होता। इसलिए दिल्ली-एनसीआर में आज का भूकंप सिर्फ प्राकृतिक भूगर्भीय हलचल का नतीजा है न कि बारिश का।
भारत के किन हिस्सों में ज्यादा आता है भूकंप?
भारत एक भूकंप-संवेदनशील देश है और इसे कुल 5 जोनों में बांटा गया है। जानिए किस ज़ोन में क्या खतरा है:
जोन 5: सबसे ज्यादा खतरा
इस ज़ोन में पूर्वोत्तर भारत, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर बिहार, अंडमान-निकोबार और गुजरात का कच्छ क्षेत्र आते हैं। यहां बार-बार भूकंप आते हैं और यह भारत का सबसे संवेदनशील क्षेत्र है।
जोन 4: उच्च खतरे वाला क्षेत्र
यहां दिल्ली, जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्से, हिमाचल, सिक्किम, उत्तर बिहार, उत्तर प्रदेश का उत्तरी भाग, पश्चिम बंगाल, गुजरात और महाराष्ट्र के कुछ हिस्से शामिल हैं।
जोन 3: मध्यम खतरा
इसमें केरल, राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र जैसे राज्य आते हैं। यहां भूकंप का खतरा मध्यम रहता है।
जोन 2: कम खतरा
हरियाणा, तमिलनाडु, राजस्थान और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्से इस जोन में हैं। यहां भूकंप आने की संभावना बहुत कम होती है।
जोन 1: न्यूनतम खतरा
आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, पूर्वी महाराष्ट्र, पश्चिमी मध्य प्रदेश, और ओडिशा के कुछ हिस्से इस ज़ोन में आते हैं।
क्या हम भूकंप की भविष्यवाणी कर सकते हैं?
भले ही विज्ञान बहुत आगे बढ़ चुका है लेकिन भूकंप की सटीक भविष्यवाणी अब तक संभव नहीं हो सकी है। वैज्ञानिक सिर्फ यह बता सकते हैं कि कोई इलाका कितना संवेदनशील है लेकिन कब और कितनी तीव्रता का भूकंप आएगा, यह अभी भी रहस्य है। इसलिए अगर आप भूकंप-संवेदनशील क्षेत्र में रहते हैं तो सतर्क रहना जरूरी है।
क्या करें जब भूकंप आए?
-
किसी मजबूत मेज या टेबल के नीचे छिप जाएं
-
दीवारों से दूर रहें
-
लिफ्ट का इस्तेमाल न करें
-
खुले मैदान में चले जाएं
-
शांति बनाए रखें और अफवाहों से बचें