RSS के वरिष्ठ सिख प्रचारक सरदार चिरंजीव सिंह का 93 साल की उम्र में निधन
punjabkesari.in Monday, Nov 20, 2023 - 04:13 PM (IST)

नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ सिख प्रचारक सरदार चिरंजीव सिंह अब दुनिया में नहीं रहे। उनका सोमवार की सुबह 93 साल की उम्र में निधन हो गया। पंजाब में आतंकवाद के दिनों में उन्होंने गुरू नानक देवजी के संदेशों के माध्यम से हिन्दू-सिख समाज के बीच में बढ़ रहे तनाव को दूर करने का अविस्मरणीय कार्य किया था। चिरंजीव राष्ट्रीय सिख संगत के पहले महासचिव और बाद में अध्यक्ष भी रहे थे। उनका जन्म 1 अक्तूबर, 1930 को पटियाला में हुआ था। उनके पिता एक किसान थे, जिनका नाम हरकरण दास (तरलोचन सिंह) तथा माता का नाम द्वारकी देवी (जोगेन्दर कौर) था। मां सरकारी विद्यालय में पढ़ाती थीं।
1952 में उन्होंने राजकीय विद्यालय पटियाला से बी.ए. किया। वे बचपन से ही सब धर्म और पंथों के संतों के पास बैठते थे। 1944 में कक्षा सात में पढ़ते समय वे अपने मित्र रवि के साथ पहली बार शाखा गए थे। वहां के खेल, अनुशासन, प्रार्थना और नाम के साथ ‘जी’ लगाने से वे बहुत प्रभावित हुए। शाखा में वे अकेले सिख थे। 1946 में वे प्राथमिक वर्ग और फिर 1947, 50 और 52 में तीनों वर्ष के संघ शिक्षा वर्गों में गए। 1946 में गीता विद्यालय, कुरुक्षेत्र की स्थापना पर सर संघचालक श्री गुरुजी के भाषण ने उनके मन पर अमिट छाप छोड़ी। गला अच्छा होने के कारण वे गीत कविता आदि खूब बोलते थे। श्री गुरुजी को ये सब बहुत अच्छा लगता था। अतः उनका प्रेम चिरंजीव जी को खूब मिला।
With the demise of respected Sardar Chiranjeev Singh Ji, the earthly journey of an inspiring life dedicated to the nation has come to an end.
— RSS (@RSSorg) November 20, 2023
Sardar Chiranjeev Singh ji, a lifelong pracharak of the Sangh, worked for decades in Punjab. Subsequently, through the work of Rashtriya… pic.twitter.com/kSQX4YuoDi
1948 के प्रतिबंध काल में वे सत्याग्रह कर दो मास जेल में रहे। बी ए के बाद वे अध्यापक बनना चाहते थे, लेकिन विभाग प्रचारक बाबू श्रीचंद जी के आग्रह पर 1953 में वे प्रचारक बन गए। वे मलेर कोटला, संगरूर, पटियाला, रोपड़, लुधियाना में तहसील, जिला, विभाग व सह संभाग प्रचारक रहे। लुधियाना 21 वर्ष तक उनका केन्द्र रहा। संघ शिक्षा वर्ग में वे 20 वर्ष शिक्षक और चार बार मुख्य शिक्षक रहे। 1984 में उन्हें विश्व हिन्दू परिषद, पंजाब का संगठन मंत्री बनाया गया। इस दायित्व पर वे 1990 तक रहे।