राहुल गांधी की कैसे हुई राजनीतिक एंट्री, जानें क्यों तीन साल तक लंदन में नाम बदलकर किया काम?
punjabkesari.in Thursday, Jun 19, 2025 - 01:15 PM (IST)

नेशनल डेस्क: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और रायबरेली से लोकसभा सांसद राहुल गांधी 19 जून को अपना 55वां जन्मदिन मना रहे हैं। इस मौके पर देशभर के कांग्रेस कार्यकर्ता उन्हें शुभकामनाएं दे रहे हैं। लेकिन इस अवसर पर हम आपको राहुल गांधी की जिंदगी से जुड़ी कुछ अनसुनी बातें बताने जा रहे हैं, जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। राहुल गांधी भारत के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके परदादा जवाहरलाल नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री थे। उनकी दादी इंदिरा गांधी भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री रहीं और उनके पिता राजीव गांधी देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री बने। ऐसे में राहुल गांधी का राजनीति में आना लगभग तय माना जा रहा था, लेकिन उनका सफर उतना आसान नहीं था।
क्यों बदलना पड़ा नाम?
1984 में जब राहुल गांधी सिर्फ 14 साल के थे तब इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई। इसके बाद उनके पिता राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने। लेकिन 1991 में राजीव गांधी की भी हत्या हो गई। इन घटनाओं के बाद राहुल गांधी की सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा बन गई। यही वजह थी कि जब उन्होंने विदेश में पढ़ाई और फिर नौकरी के लिए कदम रखा तो उन्हें अपनी असली पहचान छुपानी पड़ी। राहुल गांधी ने “राउल विंसी” नाम से अपनी शिक्षा और पेशेवर करियर की शुरुआत की। यह नाम सिर्फ कुछ अधिकारियों और सुरक्षा एजेंसियों को पता था। इसका मकसद था उन्हें आम लोगों की नजरों से दूर रखना और संभावित खतरों से बचाना।
पढ़ाई और प्रोफेशनल सफर
राहुल गांधी की शुरुआती शिक्षा दिल्ली के सेंट कोलंबस स्कूल और फिर देहरादून के दून स्कूल में हुई। इसके बाद उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से ग्रेजुएशन की शुरुआत की लेकिन सुरक्षा कारणों से हार्वर्ड विश्वविद्यालय भेजे गए। राजीव गांधी की मौत के बाद उन्हें फ्लोरिडा के Rollins College में ट्रांसफर कर दिया गया, जहां उन्होंने ग्रेजुएशन पूरा किया। इसके बाद उन्होंने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के ट्रिनिटी कॉलेज से डेवलपमेंट स्टडीज में एमफिल की डिग्री ली।
राउल विंसी के नाम से की नौकरी
राहुल गांधी ने Rollins College से स्नातक के बाद तीन साल तक लंदन में “Monitor Group” नाम की मैनेजमेंट कंसल्टिंग फर्म में काम किया।
यह कंपनी मशहूर मैनेजमेंट गुरु माइकल पोर्टर की थी। इस दौरान भी उन्होंने अपनी पहचान राउल विंसी के रूप में रखी। उनके साथ काम करने वाले ज़्यादातर लोगों को नहीं पता था कि वे भारत के पूर्व प्रधानमंत्री के बेटे हैं।
2004 में की राजनीति में एंट्री
करीब एक दशक तक खुद को राजनीति से दूर रखने के बाद राहुल गांधी ने 2004 में अमेठी से अपना पहला लोकसभा चुनाव लड़ा। यह वही सीट थी जहां से उनके पिता राजीव गांधी और मां सोनिया गांधी सांसद रह चुके थे। राहुल ने इस चुनाव में 1 लाख से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की और संसद में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
कांग्रेस अध्यक्ष बने, फिर दिया इस्तीफा
राहुल गांधी को 2017 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया। उनके कार्यकाल के दौरान कांग्रेस ने कई चुनाव लड़े लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को बड़ी हार मिली। खुद राहुल गांधी को भी अमेठी सीट से हार का सामना करना पड़ा, जहां से बीजेपी की स्मृति ईरानी ने उन्हें हराया। इस हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया।हालांकि उन्होंने राजनीति से दूरी नहीं बनाई और पार्टी के वरिष्ठ नेता के तौर पर सक्रिय रहे।