बादली के कानूनगो पर 10,000 रु जुर्माना
punjabkesari.in Monday, Mar 27, 2023 - 07:57 PM (IST)

चण्डीगढ़, 27 मार्च- (अर्चना सेठी) हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने अधिसूचित सेवा को समय पर देने के मामले में अपनी डयूटी में लापरवाही करने वाले झज्जर में बादली के कानूनगो के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया है।
इस संबंध में अधिक जानकारी देते हुए आरटीएस सचिव ने बताया कि अधिसूचित सेवा के तहत अपीलकर्ता ने भूमि पर फसल खड़ी नहीं होने पर निशानदेही करवाने के लिए आवेदन किया था। ऑटो अपील प्रणाली के माध्यम से यह अपील सामने आई थी।
आयोग के मामला संज्ञान में आते ही तत्काल जांच कराई गई। इस संबंध में एक सुनवाई 7 मार्च, 2023 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से की गई, जिसमें बादली के तहसीलदार श्रीनिवास, कानूनगो विजय सिंह और शिकायतकर्ता विजय पाल ने भाग लिया ।
उन्होंने बताया कि सुनवाई के दौरान कानूनगो विजय सिंह ने शिकायतकर्ता द्वारा किराए पर लिये गए डीजीपीएस मशीन के ऑपरेटर के कारण निशानदेही में देरी होना बताया। शिकायतकर्ता विजय पाल ने अपना पक्ष रखते हुए अवगत करवाया कि प्रार्थी ने निशानदेही रिपोर्ट के संबंध में कानूनगो से कई बार संपर्क किया , लेकिन कई बार याद दिलाने के बाद भी कानूनगो की ओर से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली। इसके अलावा, कानूनगो ने प्रार्थी को कभी भी ऑपरेटर से निशानदेही की अनुपलब्धता के बारे में भी सूचित नहीं किया, बल्कि कानूनगो ने प्रार्थी के आवेदन पर हस्ताक्षर गायब होने की बात कहकर गुमराह करने की कोशिश की।
आरटीएस सचिव ने कहा कि आयोग ने सभी तथ्यों को ध्यानपूर्वक विचार किया करने पर पाया गया है कि इस मामले में कानूनगो विजय सिंह ने 6 माह से अधिक की अधिसूचित सेवा को लंबित रखकर अपनी डयूटी में काफी लापरवाही की जिसके कारण समय पर रिपोर्ट देने में देरी हुई है।
आरटीएस सचिव ने कहा कि उन्होंने न केवल शिकायतकर्ता को यह कहकर गुमराह किया कि आवेदन पर उनके हस्ताक्षर नहीं होने के कारण रिपोर्ट में देरी हुई, बल्कि डीजीपीएस ऑपरेटर से आवश्यक नक्शा प्राप्त करने का भी कोई प्रयास नहीं किया।
आरटीएस सचिव ने आगे बताया कि आयोग अधिसूचित सेवा प्रदान करने में अपने कर्तव्य की अवहेलना के आदेश देता है और कानूनगो विजय सिंह पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाता है। इसके अलावा शिकायतकर्ता को अधिसूचित सेवा का लाभ देने में कानूनगो द्वारा किए गए उत्पीड़न की भरपाई के लिए 2,000 रुपये का मुआवजा देने के भी आदेश देता हैं।