रोहिंग्या मुस्लिम विवाद: कैसे अपने ही मुल्क में ही बेगाने हुए ये लोग?

punjabkesari.in Monday, Sep 18, 2017 - 04:34 PM (IST)

नई दिल्ली: दुनिया में सबसे प्रताडि़त अल्पसंख्यक समुदाय में से एक म्यांमार के रोहिंग्या मुसलमानों को समझा जाता है। भारत सरकार ने हाल ही में देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए रोहिंग्या मुसलमानों को देश से निकालने का फैसला किया है। सोशल मीडिया पर एक तबका जहां सरकार के इस फैसले का समर्थन कर रहा है तो वहीं कुछ लोग इस फैसले को मानवता के खिलाफ बता रहे हैं। 
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बच्चे और बूढ़ों को करना पड़ा रहा सबसे बड़ी परेशानी का सामना
म्यांमार से बड़ी तादाद में खदेड़े जा रहे रोहिंग्या मुसलमान को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। करीब तीन लाख रोहिंग्या मुसलमान छोटी-छोटी नावों में भरकर समुद्र के रास्ते आ रहे हैं। नाव नहीं मिली तो गले तक पानी में चलकर बांग्लादेश में शरण लेने लिए पहुंचे रहे हैं। खाने के सामान और राहत सामग्री की कमी के कारण बच्चे और बूढ़े सबसे ज्यादा परेशान का सामना करना पड़ा रहा है। समस्या की सबसे बड़ी बात यह है कि वह जिस भी देश में शरण ले रहे हैं, वहां उन्हें हमदर्दी की बजाय आंतरिक सुरक्षा के खतरे के तौर पर देखा जा रहा है। 
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भारत में रहते हैं करीब 40 हजार रोहिंग्या मुसलमान
भारत में करीब 40 हजार रोहिंग्या मुसलमान रहते हैं, जो जम्मू, हैदराबाद, दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में मौजूद हैं।  शरणार्थियों को लेकर हुई संयुक्त राष्ट्र की 1951 शरणार्थी संधि और 1967 में लाए गए प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं इसलिए देश में कोई शरणार्थी कानून नहीं हैं। 
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कौन हैं रोहिंग्या मुसलमान ?
रोहिंग्याओं को संयुक्त राष्ट्र दुनिया के सबसे प्रताडि़त अल्पसंख्यकों में से एक बताता है। हालांकि, रोहिंग्या शब्द की उत्पत्ति और कैसे वो म्यांमार में आए, इस सवाल पर भी विवाद है।  कुछ इतिहासकारों का मानना है कि ये समुदाय सदियों पहले आया, वहीं कुछ का मानना है कि पिछली सदी से ही इनकी उत्पत्ति हुई है। म्यांमार सरकार का कहना है कि ये भारतीय महाद्वीप से हाल ही में आए शरणार्थी हैं। यही कारण है कि देश का संविधान उन्हें नागरिकता प्रदान करने के लिए उपयुक्त नहीं मानता। म्यांमार के रखाइन में लोग बहुसंख्यक रोहिंग्याओं से नफरत करते हैं और उन्हें केवल दूसरे देश से आए मुसलमानों के रूप में देखते हैं। 
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क्या है रोहिंग्या मुसलमानों का मुद्दा
साल 2012 में रखाइन प्रांत में रोहिंग्या मुसलमानों और बौद्धों के बीच भारी हिंसा हुई थी। 2012 में हुई हिंसा में कम से कम 80 लोग मारे गए थे और करीब एक लाख पलायन कर गए थे। बौद्ध भिक्षु अशीन विराथु रोहिंग्या विरोधी भड़काऊ भाषणों के लिए जाने जाते हैं। साल 2012 में हुई हिंसा को भड़काने में उनकी अहम भूमिका मानी गई थी। साल 2015 में रोहिंग्या मुसलमानों का एक बार फिर बड़े पैमाने पर पलायन शुरू हुआ। एक रिपोर्ट के अनुसार करीब 100 रोहिंग्या पलायन के दौरान मारे गए। ज्यादातर रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेश, भारत, इंडोनेशिया, मलेशिया और थाईलैंड में शरणार्थी के तौर पर रह रहे हैं। 
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सुप्रीम कोर्ट में अर्जी
रोहिंग्या शरणार्थियों को भारत से भेजे जाने के लिए चेन्नई के संगठन इंडिक कलेक्टिव ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी है। अर्जी में कहा गया है कि उन्हें भारत में रहने की इजाजत देना अशांति, हंगामा को आमंत्रित करने के समान है। इसके पहले अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका देकर रोहिंग्या मुसलमानों को जबरदस्ती वापस भेजे जाने का विरोध किया था ।
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