''1984 के दंगों का असर दशकों तक आतंकित करने वाला था''

punjabkesari.in Wednesday, Nov 02, 2016 - 01:57 PM (IST)

नई दिल्ली: देश के सामाजिक ताने बाने को हमेशा के लिए बदल कर रख देने वाले 1984 के सिख विरोधी दंगों की रौंगटे खड़े करने वाली दास्तां को कहानियों के रूप में एक नई किताब में पेश किया गया है। विक्रम कपूर और अमेरिलिस पब्लिशिंग हाऊस द्वारा प्रकाशित ‘‘1984 : 1984 के सिख विरोधी दंगों के निजी संस्मरण और काल्पनिक कहानियां ’’ शीषर्क वाली इस किताब में दंगा पीड़ितों के अनुभवों के आधार पर सच्ची कहानियों और वास्तविक घटनाओं पर रची गई काल्पनिक कहानियां हैं।

ये कहानियां उन पुरुषों, महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों की हैं जिनकी जिंदगी को उन दंगों ने एक त्रासदीपूर्ण मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया था। कपूर किताब के बारे में बताते हैं, ‘‘इस किताब का गैर काल्पनिक हिस्सा जहां उस समय के तथ्यात्मक इतिहास को खंगालते हुए समाज के बदलते मिजाज की जांच करता है तो वहीं काल्पनिकता के ताने-बाने में बुनी गई कहानियां उन दहशत भरे दिनों का बखान करती हैं जब मानवीय आतंक रंग रूप बदल बदलकर सामने आया था।’’

  ‘‘1984: एक समीक्षा’’ में पंजाब के तत्कालीन डीजीपी कृपाल ढिल्लों कहते हैं कि 1984 की घटनाएं एक तानाशाह और दमनकारी राष्ट्र को बेनकाब करती हैं। वह लिखते हैं, ‘‘1984 की उन खौफनाक घटनाओं के बाद जो असर पड़ा वह तात्कालिक नहीं बल्कि दशकों तक आतंकित करने वाला था तथा सामाजिक और राजनीतिक संदर्भ में जो टकराव और बिखराव अपने पैर पसार चुका था उसने लगातार शासन को गंभीर नुकसान पहुंचाया।’’  ढिल्लों को तीन जुलाई 1984 को पंजाब पुलिस प्रमुख नियुक्त किया गया था और इस नियुक्ति ने उन्हें एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा कर दिया। राज्य में सेना के हस्तक्षेप के चलते वह कई दहला देने वाली घटनाओं के पर्यवेक्षक थे तो इसके बाद उन घटनाओं से उपजे कुछ बेहद गंभीर मुद्दों को सुलझाने में उन्होंने सक्रिय भागीदारी निभाई।


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