चीन कब देगा पाकिस्तान को सीधी वार्ता की सलाह

punjabkesari.in Tuesday, Apr 26, 2016 - 08:28 PM (IST)

संयुक्त राष्ट्र में मसूद अजहर को प्रतिबंधित कराने की भारत की कोशिशों में आखिरी क्षण में अड़ंगा डालने के बाद चीन अब भारत को सलाह दे रहा है कि उसे और पाकिस्तान को इस मुद्दे को सीधी बातचीत और गंभीर विचार विमर्श से सुलझाना चाहिए। भारत ने हमेशा परिपक्वता दिखाई है, पाकिस्तान ने कभी नहीं चाहा कि सीधी बातचीत हो। मुद्दे से तो वही भटकता रहा है। भारत अपनी बात से कभी नहीं पलटा है,जबकि पाकिस्तान रंग बदलने में माहिर है। यदि चीन वास्तव में आतंकवाद का विरोधी है तो उसे मसूद मामले से दूर रहना चाहिए था। पाक हित में वह अपने वीटो अधिकार का इस्तेमाल कर चुका है। अब किस लिहाज से भारत को सलाह दे रहा है। जब चीन को भारत की गंभीर चिंता से अवगत कराए जाता है तो वह अपना बचाव करते हुए आतंकवाद निरोध पर संयुक्त राष्ट्र की समिति के नियमों के तहत संबंधित देशों के बीच सीधी बातचीत पर जोर देने लगता है। 

गौरतलब है कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मास्को में 18 अप्रैल को रूस, भारत, चीन के मंत्रियों के सम्मेलन के इतर चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ बातचीत में यह मुद्दा उठाया था। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर द्वारा भी बीजिंग में चीन के रक्षा मंत्री के साथ बातचीत में यह मुद्दा उठाया गया था। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने भारत-चीन सीमा वार्ता के 19वें दौर के दौरान अपने चीनी समकक्ष यांग जियेची के समक्ष भी उठाया था। सवाल है कि भारत इससे अधिक और क्या प्रयास करे। क्या पाकिस्तान को पहल नहीं करनी चाहिए।

यह चीन की दोहरी नीति हे। इसके तहत वह पाकिस्तान को पुचकारता है,उसकी हर तरह की सहायता करता है और भारत के खिलाफ भड़काता भी है। पाकिस्तान की हरकतों के खिलाफ जब भारत कड़ा रुख अखित्यार कर ले और अन्य देश उसे समर्थन दें तो चीन दिखावा मात्र के लिए भारत को पड़ोस से बेहतर संबंध बनाने की सलाह देना शुरू कर देता है। जब लोकतंत्र समर्थक कांफ्रेंस में शामिल होने के लिए उइगर नेता डोलकुन ईसा का वीजा के लिए आवेदन किया था तो भारत ने तुरंत इसे स्वीकार कर लिया। चीन की आपत्ति को देखते हुए वीजा को रद्द किया किया गया। यदि ईसा चीन के मुताबिक आतंकी है तो भारत ने भी मसूद अजहर के पठानकोट हमले के मास्टर माइंड होने के सबूत पेश किए थे। उन्हें महत्वहीन क्यों माना गया। भारत ने अब तक हर विषय पर सीधी ही बात की है,चीन इसका गुर पाकिस्तान को कब सिखाएगा ?

भारत के गणतंत्र दिवस के अवसर पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने परस्पर रिश्तों को प्रगाढ़ बनाने की इच्छा जाहिर की। उधर,चीनी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स और पीपुल्स डेली में सरकारी सूत्रों के हवाले से भारत को नसीहत दे डाली कि वह अमरीका उसे चीन के खिलाफ खड़ा करने के लिए झांसा दे रहा है। इसमें भारत को नहीं फंसना चाहिए। इन अखबारों ने कहा था कि चीन और भारत के बीच जितने विवाद हैं, उससे कहीं अधिक साझा हित हैं। उन्हें इन पर मिलकर काम करना चाहिए। चीन को केवल अपने हितों की चिंता है,जब भारत उसकी घुड़की से नहीं डरता है और अपने विवेक के अनुसार फैसला करता है तो चीन उसका सलाहकार बन जाता है। भारत ने जब-जब इन दोनों देशों पर विश्वास करते हुए संबंध मधुर बनानेे का प्रयास किया है, उसे मुंह की खानी पड़ी है। 

जब भी संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थाई सदस्यता की बात उठी है, चीन ने अपनी टांग अड़ाई है। भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. नेहरू के आश्वासन पर 1962 में जब भारत में हिन्दू-चीनी भाई-भाई गीत गुनगुनाया जा रहा था, ठीक उसी समय चीन ने भारत की पीठ में छुरा घोंपा। अब अरुणाचल, तिब्बत और समुद्री सीमा को लेकर भारत को भयभीत करने के प्रयास करता रहता है। विभाजन के बाद से ही जम्मू-कश्मीर के लिए लार टपकाते रहे पाकिस्तान ने चीन के ही सहयोग से दो बार भारत पर प्रत्यक्ष रूप से हमला किया। भारत को एक शक्ति के रूप में उभरता देख कर चीन अब भारत से सीधे टकराने की बजाय पाकिस्तान को उकसा रहा है। वह चाहता है कि पाकिस्तानी आतंकी और सेना भारत में अस्थिरता का माहौल पैदा करें, जिससे भारत का विकास थम जाए।


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