ट्रूडो की उलटी गिनती शुरू ! भारत से पंगे पर अपनी ही पार्टी के सांसदों ने दिया अल्टीमेटम- 28 अक्तूबर तक इस्तीफा दो वर्ना...

punjabkesari.in Thursday, Oct 24, 2024 - 12:27 PM (IST)

Ottawa: कनाडा में राजनीतिक संकट गहराता जा रहा है। प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो वर्तमान में एक गंभीर मुश्किलों में घिरे नजर आ रहे हैं। जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी के भीतर बढ़ती असंतोष की लहर उनके भविष्य पर सवाल खड़ा कर रही है। वजह है उनकी अपनी पार्टी के सांसदों ने  उनके खिलाफ खुलकर बगावत कर दी है और  इस्तीफा देने की मांग की है । यह विवाद खासकर भारत के साथ बढ़ते तनाव के बाद और भी बढ़ गया है। सांसदों ने ट्रूडो को 28 अक्टूबर तक अपना फैसला लेने का समय दिया है, वरना पार्टी के भीतर और अधिक कठोर कदम उठाए जा सकते हैं। इस अल्टीमेटम के  साथ ही ट्रूडो की सत्ता में उलटी गिनती शुरू हो गई है। 

क्या है मामला?
हालिया कॉकस मीटिंग में लिबरल पार्टी के सांसदों ने ट्रूडो के नेतृत्व पर सवाल उठाए और उनसे अगली चुनावी दौड़ से बाहर रहने के लिए कहा। सूत्रों के अनुसार, पार्टी के 24 सांसदों ने एक पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें ट्रूडो को पद छोड़ने की अपील की गई है। कनाडा के हाउस ऑफ कॉमन्स में कुल 153 लिबरल सांसद हैं, और 20% सांसदों का समर्थन मिलने पर गुप्त मतदान का विकल्प भी खुला है।

 

 बाइडेन का दिया उदाहरण 
बैठक में प्रतिभागियों ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के उदाहरण को भी सामने रखा, जब उन्होंने प्रेसिडेंशियल रेस से बाहर होने के बाद अपने पार्टी के प्रति सकारात्मक प्रभाव डाला। ब्रिटिश कोलंबिया के सांसद पैट्रिक वीलर ने कहा, "यदि हम एक स्पष्ट नेतृत्व परिवर्तन करते हैं, तो हमें भी पहले की तुलना में बेहतर स्थिति में होना चाहिए।"

 

ट्रूडो का रुख
हालांकि, ट्रूडो ने कॉकस मीटिंग में सांसदों की चिंताओं को सुनने का आश्वासन दिया, लेकिन उन्होंने इस्तीफे के बारे में कोई स्पष्ट संकेत नहीं दिया। उन्होंने कहा कि वे अपनी सुनवाई पर विचार करेंगे, लेकिन उनकी इच्छा है कि वे अगले चुनाव में पार्टी का नेतृत्व करें।

 

डेडलाइन के आगे की रणनीति
अगर ट्रूडो 28 अक्टूबर की डेडलाइन के पहले इस्तीफा नहीं देते हैं, तो पार्टी में गुप्त मतदान का आयोजन किया जा सकता है। यदि सांसदों ने ट्रूडो के खिलाफ मतदान किया, तो उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ सकता है। यह स्थिति उनके लिए और पार्टी के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती है, क्योंकि इस मामले के राजनीतिक प्रभाव बहुत व्यापक हो सकते हैं।

 

भारत-कनाडा संबंधों पर प्रभाव
ट्रूडो का ये विवाद भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों को भी प्रभावित कर सकता है। कुछ पूर्व राजनायकों ने चेतावनी दी है कि मौजूदा हालात में ट्रूडो के नेतृत्व में भारत-कनाडा रिश्तों में सुधार की कोई संभावना नहीं है।
 


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Content Writer

Tanuja

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