ईरान को डबल झटका:अब हिजबुल्लाह ने तोड़ा भरोसा! मझदार में छोड़ा साथ, बोला- इजराइल और अमेरिका से पंगा नहीं लेंगे
punjabkesari.in Sunday, Jun 22, 2025 - 04:16 PM (IST)

International Desk: अमेरिका द्वारा ईरान के तीन प्रमुख परमाणु स्थलों पर किए गए हमले के बाद मध्य पूर्व में तनाव और गहरा गया है। इस हमले से जहां ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं को गहरा धक्का पहुंचा है, वहीं अब उसका सबसे मजबूत सहयोगी हिजबुल्लाह भी पीछे हटता नजर आ रहा है। लेबनान स्थित इस ईरान समर्थित संगठन ने स्पष्ट किया है कि वह अमेरिका और इजराइल के खिलाफ फिलहाल कोई जवाबी हमला नहीं करेगा।
हिजबुल्लाह ने क्यों डाले हथियार?
हिजबुल्लाह को ईरान के "एक्सिस ऑफ रेजिस्टेंस" का सबसे ताकतवर स्तंभ माना जाता है, लेकिन अब अमेरिकी हमलों के बाद उसकी प्रतिक्रिया चौंकाने वाली रही। न्यूजवीक को दिए गए एक इंटरव्यू में हिजबुल्लाह के प्रवक्ता ने कहा, "ईरान एक सक्षम देश है जो खुद का बचाव कर सकता है। हमारे पास अमेरिका और इजराइल के खिलाफ फिलहाल कोई जवाबी कार्रवाई की योजना नहीं है।" यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुद ईरानी परमाणु ठिकानों पर हमले के आदेश दिए।
ईरान की उम्मीदों को झटका
ईरान ने पहले ही चेताया था कि अगर अमेरिका इस युद्ध में प्रत्यक्ष रूप से कूदता है, तो क्षेत्र में उसके सभी ठिकानों को निशाना बनाया जाएगा। लेकिन हिजबुल्लाह की ओर से मिली इस निराशाजनक प्रतिक्रिया ने ईरान को रणनीतिक रूप से कमजोर कर दिया है। अब तक माना जाता था कि ईरान क्षेत्रीय संघर्ष में अपने समर्थक संगठनों के जरिए जवाबी हमले करवा सकता है, लेकिन हिजबुल्लाह का यह कदम एक बड़ी रणनीतिक सेंध है।
इजराइल के साथ युद्धविराम का भी प्रभाव
हिजबुल्लाह और इजराइल के बीच नवंबर 2024 में युद्धविराम हुआ था। उस समय गाजा में इजराइली कार्रवाई के विरोध में हिजबुल्लाह ने लेबनान से रॉकेट दागे थे, जिसके जवाब में इजराइल ने लेबनान पर हमला कर संगठन के कई वरिष्ठ नेताओं और सैकड़ों नागरिकों को मार गिराया था। तब से हिजबुल्लाह सीजफायर पर कायम है।
मध्य पूर्व में युद्ध की आहट
ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका द्वारा ईरान पर सीधा हमला करना न केवल क्षेत्रीय अस्थिरता को और भड़काएगा, बल्कि इससे वैश्विक सुरक्षा और आर्थिक बाजारों पर भी व्यापक असर पड़ सकता है। इजराइल ने ट्रंप के फैसले की खुले तौर पर सराहना की है, वहीं संयुक्त राष्ट्र और कई देशों ने संयम बरतने और बातचीत का रास्ता अपनाने की अपील की है। हिजबुल्लाह के इस फैसले ने ईरान की रणनीतिक स्थिति को कमजोर कर दिया है। अब सभी की नजरें इस पर टिकी हैं कि ईरान आगे क्या कदम उठाएगा और अमेरिका की अगली रणनीति क्या होगी। इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर मध्य पूर्व को युद्ध के मुहाने पर लाकर खड़ा कर दिया है।