भारत की GDP ने मारी छलांग, S&P का नया अनुमान सुनकर चीन-पाकिस्तान की उड़ी नींद

punjabkesari.in Tuesday, Jun 24, 2025 - 01:44 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत के लिए वैश्विक बाजार से एक राहत भरी खबर आई है। प्रतिष्ठित ग्लोबल रेटिंग एजेंसी S&P ग्लोबल ने देश की आर्थिक विकास दर (GDP ग्रोथ) का अनुमान बढ़ा दिया है। अब यह अनुमानित ग्रोथ वित्त वर्ष 2025-26 में 6.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। यह पहले के अनुमान 6.3 प्रतिशत से अधिक है। इसका मतलब है कि भारत की अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे फिर से रफ्तार पकड़ रही है। S&P ने अपनी नई रिपोर्ट एशिया पैसिफिक इकोनॉमिक आउटलुक में कहा है कि भारत की मजबूत घरेलू मांग, बेहतर मानसून की संभावना, तेल की कीमतों में गिरावट और सरकार की ओर से आयकर में राहत जैसे कदमों से आर्थिक गतिविधियों को गति मिल रही है। साथ ही ब्याज दरों में कटौती की संभावना भी उपभोक्ताओं की जेब पर अच्छा असर डाल सकती है।

आरबीआई भी दिखा चुका है भरोसा

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) पहले ही यह उम्मीद जता चुका है कि वित्त वर्ष 2025-26 में देश की GDP ग्रोथ 6.5 प्रतिशत के आसपास रह सकती है। अब S&P ने भी उसी दिशा में भरोसा जताया है, जिससे यह साफ होता है कि वैश्विक एजेंसियां भारत की आर्थिक स्थिरता को लेकर सकारात्मक हैं।

अमेरिका-ईरान तनाव और तेल की कीमतों से खतरा

हालांकि S&P की रिपोर्ट में कुछ सावधानियां भी बताई गई हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि मिडिल ईस्ट में तनाव, विशेषकर ईरान-इजरायल संघर्ष और अमेरिका की सैन्य कार्रवाइयां, कच्चे तेल की कीमतों को प्रभावित कर सकती हैं। अगर तेल की कीमतें ज्यादा समय तक ऊंचे स्तर पर बनी रहती हैं, तो इसका असर भारत जैसे तेल आयातक देशों पर पड़ेगा। भारत अपनी जरूरत का करीब 90 प्रतिशत कच्चा तेल और 50 प्रतिशत प्राकृतिक गैस आयात करता है। ऐसे में अगर क्रूड ऑयल महंगा हुआ, तो इससे देश का व्यापार घाटा बढ़ेगा, महंगाई में तेजी आएगी और GDP ग्रोथ पर भी असर पड़ेगा।

अमेरिकी टैरिफ का भी हो सकता है असर

S&P ने यह भी चेतावनी दी है कि अमेरिकी टैरिफ के कारण निवेश और वैश्विक व्यापार को नुकसान हो सकता है। इससे न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी पड़ सकती है। ऐसे समय में भारत को सतर्क रहना होगा और अपने आर्थिक फैसलों को संतुलित रखना होगा।

भारत के लिए क्यों अहम है यह अनुमान?

वैश्विक एजेंसियों द्वारा भारत की ग्रोथ का अनुमान बढ़ाया जाना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक सकारात्मक संदेश देता है। इससे विदेशी निवेशकों का भरोसा बढ़ता है और देश में निवेश के नए अवसर बनते हैं। इसके अलावा, सरकार के लिए भी यह एक संकेत है कि उसकी आर्थिक नीतियां सही दिशा में जा रही हैं।

चीन और पाकिस्तान को क्यों लगेगी मिर्ची?

जब भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ती है, तो इससे क्षेत्रीय प्रतिस्पर्धा भी तेज होती है। चीन और पाकिस्तान जैसी अर्थव्यवस्थाएं पहले से ही कई चुनौतियों से जूझ रही हैं। ऐसे में भारत की मजबूती उन्हें चिंतित कर सकती है। खासकर जब वैश्विक संस्थाएं भारत को आगे बढ़ती अर्थव्यवस्था मान रही हों।


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Content Editor

Ashutosh Chaubey

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