स्वर्गीय सरदार जसवंत सिंह गिल के नाम एक दिन, 16 नवंबर को उनकी याद में मनाया जाता है Rescue Day
punjabkesari.in Tuesday, Aug 15, 2023 - 01:08 PM (IST)

नई दिल्ली/। लेट सरदार जसवंत सिंह गिल उन लेजेंड्री हीरोज में से एक थे जिन्होंने अपनी बहादुरी और हिम्मत से भारत के लोगों के दिलों में अपना नाम हमेशा के लिए लिख दिया है। हालांकि उनकी बहादुरी के लिए जितना भी शुक्रियादा किया जाए वो बहुत कम है, लेकिन ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड ने तब 16 नवंबर को उनके नाम करते हुए रेस्क्यू डे की घोषणा की थी।
स्वर्गीय सरदार जसवन्त सिंह गिल के जीवन को श्रद्धांजलि देने की यह वास्तव में एक बहुत बड़ी पहल है। 16 नवंबर को रेस्क्यू डे के रूप में भी जाना जाता है, यह उस गुमनाम हीरो को याद करने का दिन है जिसकी कहानी कम लोग जानते हैं। यह वास्तव में हमारे देश के एक हीरो के लिए एक बहुत ही उल्लेखनीय श्रद्धांजलि है जो देश के लिए गौरव और प्रेरणा है।
अमृतसर के सथियाला के रहने वाले, जसवंत सिंह गिल का जन्म 22 नवंबर, 1937 को हुआ था और वह एक कोल माइनिंग ऑफिसर थे, जिन्होंने 1989 में पश्चिम बंगाल के रानीगंज में कोयला खदान ढहने के दौरान अकेले ही खनिकों की जान बचाई थी। यह भारत का पहला कोल माइनिंग रेस्क्यू था।
इसके अलावा, जसवन्त सिंह गिल ने 1991 में भारत के माननीय राष्ट्रपति द्वारा भारत का सबसे बड़ा ब्रेवरी अवॉर्ड 'सर्वोत्तम जीवन रक्षा पदक' जीता था। कोयला वर्कर्स को बचाने की उनकी उपलब्धि पर उन्हें दो मानद सम्मान भी मिले। ऑल इंडिया ह्यूमन राइट्स काउंसिल ने उन्हें 2022 के लिए 'लीजेंड ऑफ बंगाल' अवॉर्ड दिया है और देश में युवाओं को प्रोत्साहित करने वाले बिजनेस प्लेटफॉर्म आरएन टॉक्स एलएलपी ने उन्हें 2023 के लिए 'विवेकानंद करमवीरा' पुरस्कार दिया है।
इस रेस्क्यू ऑपरेशन का उल्लेख वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में 'वर्ल्ड के सबसे बड़े कोल माइन रेस्क्यू ऑपरेशन' के रूप में और लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में राष्ट्रीय रिकॉर्ड के रूप में किया गया है।