Red Fort blast: ब्लास्ट हादसे के मास्टरमाइंड का नाम आया सामने, जानें इस टेरर का पूरा नेटवर्क
punjabkesari.in Thursday, Nov 13, 2025 - 11:32 AM (IST)
नेशनल डेस्क: दिल्ली कार ब्लास्ट मामले में आए दिन नए- नए खुलासे हो रहे हैं। अब इस तफ्तीश में साजिश के मास्टरमाइंड का नाम सामने आया है। जांच एजेंसियों के रडार पर सबसे ऊपर शोपियां (जम्मू-कश्मीर) का रहने वाला मौलाना इरफान है। ऐसी जानकारी सामने आई है कि मौलाना इरफान उर्फ 'मौलवी' देश के कई हिस्सों में धमाके करने की खतरनाक योजना बना रहा था। उसने ही डॉक्टर मुजम्मिल समेत कई युवाओं का ब्रेन वॉश किया और उन्हें आतंकी गतिविधियों के लिए तैयार किया। वह पाकिस्तान और अन्य देशों में बैठे अपने हैंडलर्स के सीधे संपर्क में था।
कौन है ये मौलाना इरफान?
रिपोर्ट के मुताबिक 28 वर्षीय मौलाना इरफान शोपियां के नदीगाम का निवासी है और मुफ्ती का काम करता है। 2021 में उसका संपर्क AGuH (Ansar Ghazwat-ul-Hind) के मारे गए आतंकी हाफिज मुजम्मिल तांत्रे से था। तांत्रे की मौत के बाद इरफान और डॉक्टर मुजम्मिल को एक और आतंकी ने संपर्क किया, जिसने खुद को AGuH का कमांडर बताया। इरफान कुरान की कक्षाएं लेता था और इसी की आड़ में युवाओं को आतंकवाद के लिए भड़काता था। हथियार उपलब्ध कराने वाले एक हैंडलर 'हाशिम' के साथ उनकी बातचीत मुख्य रूप से टेलीग्राम ऐप के जरिए होती थी।
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मोटी सैलरी वाला डॉक्टर कैसे बना आतंकी
इस जांच में एक चौंकाने वाला डॉक्टर मुजम्मिल शकील का नाम भी सामने आया है । मुजम्मिल अल फलाह यूनिवर्सिटी में चीफ मेडिकल ऑफिसर के पद पर तैनात था, जिसकी सालाना सैलरी करीब 9 से 10 लाख रुपये थी। 2021 में मौलाना इरफान और आतंकी मुजम्मिल तांत्रे ने मिलकर डॉक्टर मुजम्मिल को आतंकवाद की तरफ मोड़ा। उसे तकरीरें, वीडियो और भड़काने वाले पोस्टर्स दिखाए गए।
26 लाख रुपये और IED का सामान
यह ग्रुप कश्मीर में अपना संगठन बनाना चाहता था। इस साजिश को अंजाम देने के लिए डॉक्टर मुजम्मिल, आदिल, शाहीन और अन्य लोगों ने मिलकर कुल 26 लाख रुपये नकद में जुटाए। इसी पैसे से 'उमर' नामक व्यक्ति को 26 क्विंटल NPK फर्टिलाइजर (जिसकी कीमत ₹3 लाख थी) हरियाणा से खरीदने के लिए कहा गया था। इस फर्टिलाइजर का इस्तेमाल इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) बनाने के लिए होना था। बाद में डॉक्टर मुजम्मिल ने जब उमर से ₹26 लाख का हिसाब मांगा, तो दोनों के बीच तकरार हो गई। हिसाब न दे पाने पर उमर ने सारा खरीदा हुआ सामान डॉक्टर मुजम्मिल को सौंप दिया। यहीं से इस बड़े आतंकी साजिश का भंडाफोड़ हुआ। उमर ने ही तीन महीने पहले एक सिग्नल ग्रुप बनाया था और गिरफ्तार हुई 'शाहिना' को भी हथियार मुहैया कराए थे।
