Interest Rate cut: Home Loan सस्ता होगा, दिवाली से पहले ब्याज दरों में हो सकती भारी कटौती

punjabkesari.in Tuesday, Sep 24, 2024 - 03:22 PM (IST)

नेशनल डेस्क: आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि अक्टूबर 2024 में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा ब्याज दरों में कटौती की संभावना है, जो उपभोक्ताओं और व्यवसायों के लिए एक बड़ा राहत का संकेत हो सकता है। यदि यह कटौती होती है, तो यह दिवाली के मौके पर आर्थिक गतिविधियों को तेज करने में मदद कर सकती है।

वैश्विक रेटिंग एजेंसी S&P Global Ratings ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए भारत की जीडीपी विकास दर को 6.8 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। एजेंसी ने कहा है कि वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की विकास दर 6.9 प्रतिशत तक पहुंच सकती है। साथ ही, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की महंगाई प्रबंधन नीतियों की तारीफ करते हुए कहा गया कि अक्टूबर 2024 में ब्याज दरों में कटौती की संभावना है। इसका असर लोन लेने वालों पर भी पड़ेगा उनकी हर माह देने वाली EMI कम हो सकती है। 

इससे पहले अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने भी अपनी नीतिगत ब्याज दर में 0.50 प्रतिशत की कटौती की है. इसके बाद आरबीआई के अगले महीने इसमें 0.25 प्रतिशत की कटौती करने की उम्मीद है।

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:

GDP वृद्धि अनुमान: वित्त वर्ष 2024-25 में 6.8% और 2025-26 में 6.9% विकास दर का अनुमान।

ब्याज दरों में संभावित कटौती: रिपोर्ट के मुताबिक, महंगाई RBI के 4% टारगेट के करीब आ गई है। ऐसे में अक्टूबर 2024 में होने वाली मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) की बैठक में ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद जताई गई है। चालू वित्त वर्ष में दो बार दरों में कटौती की संभावना है।

राजकोषीय नीति: सरकार ने बजट में वित्तीय समेकन पर जोर देते हुए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 2025-26 में 4.5 प्रतिशत रखा है। साथ ही, इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश के लिए 11.11 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जो आर्थिक विकास को गति देने के लिए महत्वपूर्ण होगा।
 
एसएंडपी ग्लोबल ने चीन की विकास दर के अनुमान में कटौती की है। 2024 के लिए चीन की विकास दर 4.8% से घटाकर 4.6% की गई है, और 2025 तक यह 4.3% तक गिर सकती है। इसका मुख्य कारण चीन के प्रॉपर्टी सेक्टर की मंदी और कमजोर घरेलू मांग को बताया गया है।

भारत की मजबूत आर्थिक स्थिति, महंगाई पर नियंत्रण और सरकार की वित्तीय नीतियों को देखते हुए एसएंडपी ग्लोबल को विश्वास है कि देश की आर्थिक वृद्धि संतुलित रहेगी, जबकि ब्याज दरों में संभावित कटौती से घरेलू बाजार में नई जान आएगी।
 


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Content Writer

Anu Malhotra

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