मोदी का विजय रथ रोकने के लिए राहुल गांधी का प्लान 2019, बदले-बदले लग रहे राजकुमार

punjabkesari.in Sunday, Aug 20, 2017 - 11:09 AM (IST)

नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणि शंकर अय्यर ने कहा है कि भाजपा-आरएसएस का विरोध करने के लिए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी सभी विपक्षी पार्टियों को एक मंच पर लाने का प्रयास कर रहे हैं। अय्यर ने गांधी के नेतृत्व में विश्वास जताया है। वहीं राहुल ने अभी से 2019 लोकसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं। राहुल अक्सर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर ज्यादा हमलावर होते हैं। 'मेल टुडे' की खबर के मुताबिक पीएम मोदी को मिल रहे जनाधार के आगे राहुल गांधी ने संघ पर अपना फोकस शिफ्ट कर लिया है। राहुल को अक्सर 'अनिच्छुक राजकुमार' के रूप में ही पेश किया जाता है। आलोचकों का आरोप रहता है कि राहुल सत्ता में तो बने रहना चाहते हैं लेकिन वे जिम्मेदारियों से भागते हैं लेकिन माना जा रहा है कि अब राहुल ने स्ट्रेटजी बदल ली है और वे पहले से ज्यादा एक्टिव हो गए हैं।
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मोदी से ज्यादा आरएसएस पर हमले
राहुल गांधी कई मंचों से अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधा हमला नहीं करते हुए संघ को आड़े हाथों ले रहे हैं क्योंकि मोदी भाजपा के साथ-साथ संघ से भी जुड़े हुए हैं। मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही संघ नेताओं को पिछले 3 सालों में खासी तव्ज्जों मिली है, जितनी शायद पूर्व अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में भी कभी प्रत्यक्ष रूप से नहीं मिली थी। हाल ही में राहुल नेे जेडीयू के बागी नेता शरद यादव के साझी विरासत बचाओं के मंच से संघ पर तीखे हमले किए। इस दौरान राहुल ने कहा कि संघ अपने बल पर चुनाव नहीं जीत सकती है, इसलिए भाजपा के जरिए अपने पांव पसारने और तानाशाही शुरू कर दिए है। राहुल ने कहा कि इन लोगों ने संघ के लोगों ने तिरंगे को सलाम करना भी सत्ता में आने के बाद सीखा।राहुल की मानें तो आरएसएस कहता है कि ये देश हमारा है, तुम इसके नहीं हो। जब तक इस देश में 'वन मैन वन वोट रहेगा' ये देश उनका हो नहीं सकता।

बदले-बदले से राजकुमार, पार्टी नेता उत्साहित
कांग्रेस के दिग्गज नेता राहुल की इस बदली-बदली छवि और रणनीति से खासे उत्साहित दिख रहे हैं। पार्टी अंदरखाने से खबर है कि अगर राहुल ने अपना रवैया और रणनीति ऐसे ही रखी तो वे अपत्यक्ष रूप से पीएम और भाजपा पर हावी हो जाएंगे जिसका 2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को यकीनन फायदा होगा। इसी तरह से अब राहुल लगातार संघ पर हमला बोलते हुए बीजेपी और पीएम मोदी पर अपत्यक्ष रूप से हावी हो जाएंगे।जिसके बाद 20 महीने में 2019 लोकसभा चुनाव तक उनकी राह कुछ बदलावों के साथ यकीनन आसान हो जाएगी।
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राहुल ने खुद बनाया आइडिया
आरएसएस की विचारधारा और उनके कट्टरपंथी तरीके से लोगों के बीच बहुत असंतोष है। कई लोग आरएसएस की विचारधारा से सहमत नहीं जिसकी नब्ज राहुल ने पकड़ी है। एक वरिष्ठ कांग्रेसी पदाधिकारी ने कहा कि संघ पर हमला करने की रणनीति मुख्य रूप से राहुल गांधी का आइडिया है और एक बार वे जब पार्टी को पूरी तरह से संभाल लेंगे तो 2019 के लिए पार्टी की रणनीति में उल्लेखनीय बदलाव दिखाई देने लगेगा।

आरएसएस सत्ता का भूखा
राहुल ये सब ऐसे समय में बोल रहे हैं, जब कांग्रेस पार्टी एक के बाद एक चुनाव हार रही है. राहुल गांधी ने संघ के देश को देखने के नजरिए पर भी सवाल किया था और कहा था कि देश को देखने को दो तरीके होते हैं, ये देश मेरा है, एक कहता है कि मैं इस देश का हूं, ये हम में और आरएसएस में अंतर है. आरएसएस कहता है कि ये देश हमारा है. तुम इसके नहीं हो. हालांकि संघ ने राहुल पर पलटवार भी किया. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नेता मनमोहन वैद्य ने कहा है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी संघ के बारे में कुछ भी नहीं जानते हैं. आरएसएस के सदस्यों ने स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया था. कांग्रेस के शीर्ष नेता कांग्रेस उपाध्यक्ष की इस रणनीति से खुश हैं और वे शब्दों के इस युद्ध को बनाए रखना चाहते हैं. उनका मानना है कि मोदी को क्यों अनुचित श्रेय दिया जाए? यह आरएसएस है, जिसने उन्हें पेश किया है. वह सिर्फ एक प्रतिफल हैं. यह कैसे समझाया जा सकता है कि शिवराज सिंह चौहान और रमन सिंह के बेहतर प्रदर्शन के बावजूद मोदी को प्रधानमंत्री पद के लिए चुना गया था?
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कांग्रेस-आरएसएस के बीच विचारधाराओं का संघर्ष
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव सीपी जोशी ने कहा कि 'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का अस्तित्व 1925 से लेकर 1947 तक रहा लेकिन स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका ज्यादा नहीं थी? आरएसएस हमेशा से राजनीतिक सत्ता पर कब्जा करने के लिए प्रयासरत रहा। अब जब वह सत्ता में है, तो वह इतिहास को दोबारा लिखने और हर चीज को बदलने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह अब कांग्रेस और आरएसएस के बीच विचारधाराओं का सीधा संघर्ष है।


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