ऑफ द रिकॉर्डः प्रेम गुप्ता ने लालू को दिया धोखा
punjabkesari.in Thursday, Apr 19, 2018 - 11:24 AM (IST)
नेशनल डेस्कः एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता हाल ही में एम्स में राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव से मिलने गए, जहां वह उपचाराधीन हैं। राबड़ी देवी और लालू के छोटे पुत्र तेजस्वी भी वहां मौजूद थे। अभी लालू पुलिस हिरासत में हैं इसलिए उनसे मिलने वाले लोगों की संख्या सीमित रखी गई है। यद्यपि लालू को कुछ आराम है मगर वह हमेशा ही इस बात को लेकर चिंतित हैं कि डाक्टर उनको ‘फिटनैस सर्टीफिकेट’ दे सकते हैं और उन्हें जेल में वापस भेज दिया जाएगा, मगर लालू की कुछ अन्य समस्याएं भी हैं क्योंकि ई.डी. और सी.बी.आई. ने भ्रष्टाचार के विभिन्न मामलों में उनके समूचे परिवार के खिलाफ केस दर्ज किए हुए हैं। उनकी बेटी रागिनी को छोड़कर लगभग उनकी सभी पुत्रियां, दामाद और पत्नी भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे हैं। रागिनी गुडग़ांव में अकेले रहती है।
रागिनी ने एक दशक पूर्व झारखंड में अपने ब्वॉयफ्रैंड की रहस्यमय मौत के बाद परिवार के साथ संबंध तोड़ लिए थे। लालू ने उस समय चिल्लाना शुरू कर दिया जब यह नेता उनके कमरे में आया। लालू ने उस नेता के हाथ पकड़ लिए और उनसे कहा कि उनकी मदद करो क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति ने उनको धोखा दिया है। कांग्रेस नेता इस पर हैरान हुए और पूछा कि उनके विश्वासपात्र प्रेम गुप्ता के साथ क्या हुआ जो उनके संकटमोचक रहे। लालू ने यू.पी.ए.-1 सरकार के दौरान प्रेम गुप्ता को कैबिनेट मंत्री बनवाया था और उनको 4 बार राज्यसभा में भेजा था। लालू ने इस बारे कोई जवाब नहीं दिया मगर यह स्पष्ट था कि प्रेम गुप्ता ने भी उनको धोखा दिया है। ऐसी चर्चा है कि प्रेम गुप्ता लालू प्रसाद को देखने नहीं आए, यद्यपि वह 3 दशकों तक राजद प्रमुख के चहेते रहे।
लालू को इस समय प्रेम गुप्ता की काफी जरूरत है क्योंकि वह जरूरत पड़ने पर उनके परिवार की जरूरतों को पूरा करते थे और पार्टी को फंड भी देते थे लेकिन प्रेम गुप्ता इस बात को लेकर चिंतित हैं क्योंकि उनकी पत्नी के खिलाफ आई.आर.सी.टी.सी. होटल स्कैम में सी.बी.आई. द्वारा आरोप पत्र दाखिल किया गया है। भीतरी सूत्रों का कहना है कि प्रेम गुप्ता की पत्नी इस मामले में सरकारी गवाह बन जाएगी। प्रेम गुप्ता और सरकार के बीच ऐसा समझौता हुआ है। लालू इस बात को लेकर चिंतित हैं कि अगर प्रेम गुप्ता उनके दुश्मन बन गए तो वह आजीवन भर जेल जाने से नहीं बच सकते और उनके परिवार को भी काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा। इस कहानी का निष्कर्ष यह है कि किसी पर विश्वास न करो और न ही धन बटोरो मगर इसकी कौन परवाह करता है।