True Love की सच्ची मिसाल: Valentine''s Day पर पत्नी का पति को सबसे प्यारा तोहफा, लीवर देकर बचाई जान!
punjabkesari.in Friday, Feb 14, 2025 - 10:03 AM (IST)
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नेशनल डेस्क। प्यार सिर्फ गुलाब, चॉकलेट या कैंडल लाइट डिनर तक सीमित नहीं होता। कभी-कभी यह अस्पताल के ऑपरेशन थियेटर में मॉनिटर की बीप की आवाज के बीच भी झलकता है जब दो जीवनसाथी एक-दूसरे के लिए बलिदान करते हैं। ऐसा ही एक उदाहरण है भरत और सविता की कहानी जिसमें सविता ने अपने पति की जान बचाने के लिए वैलंटाइंस डे के दिन अपना लिवर डोनेट किया। अब हर साल वे इस खास दिन को अनोखे तरीके से मनाते हैं और भरत अपनी पत्नी के इस गिफ्ट को अपनी जिंदगी का सबसे अनमोल तोहफा मानते हैं।
कहानी की शुरुआत
दिल्ली के अशोक विहार निवासी 43 साल के भरत ने 2007 में लव मैरिज की थी। दोनों का एक-दूसरे से खास लगाव था और उनकी जिंदगी सुखमय चल रही थी। लेकिन अचानक 2016 में भरत को जॉन्डिस हो गया और धीरे-धीरे उनका लिवर खराब होने लगा। डॉक्टरों ने बताया कि लिवर ट्रांसप्लांट ही एकमात्र इलाज है। इस समय सविता ने न केवल अपने पति की बीमारी को महसूस किया बल्कि वह उसे ठीक करने के लिए अपनी जान भी जोखिम में डालने को तैयार हो गईं।
पत्नी का बलिदान
सविता ने कहा कि उन्हें ट्रांसप्लांट और डोनेशन के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी लेकिन जब उन्होंने भरत की तबियत बिगड़ते हुए देखी तो वह शांत नहीं रह पाईं। उन्होंने ट्रांसप्लांट के बारे में जानकारी ली और बिना किसी से सलाह किए सीधे फैसला किया कि वह अपने पति की जान बचाने के लिए अपना लिवर डोनेट करेंगी। 13 फरवरी 2016 को सविता और भरत ने गंगाराम अस्पताल में एडमिट होकर 14 फरवरी वैलंटाइंस डे के दिन लिवर ट्रांसप्लांट कराया। सविता का कहना था, "हमने इस दिन के लिए बहुत इंतजार किया लोग वैलंटाइंस डे पर गुलाब गिफ्ट करते हैं लेकिन हमने प्यार डोनेट किया है जिसे महसूस कर हम दोनों खुश रहते हैं।"
प्रेम की सच्ची मिसाल
भरत ने कहा, "यह सविता का प्रेम ही है कि उसने मेरी जान बचाने के लिए अपनी जान की परवाह किए बिना अपना लिवर डोनेट कर दिया। यह गिफ्ट नहीं,बल्कि जीवन है। इसे किसी भी गिफ्ट से नहीं चुका सकते।"
मेडिकल एक्सपर्ट्स की राय
गंगाराम अस्पताल के लिवर ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. उषास्त धीर ने इस बारे में कहा, "प्रेम करने वाले कपल्स बिना सोचे-समझे एक-दूसरे की जान बचाने के लिए तैयार हो जाते हैं चाहे इसके लिए उन्हें खुद दर्द क्यों न सहना पड़े।" डॉ. धीर ने एक और कपल की कहानी साझा की जिसमें अशोक और उनकी पत्नी सुनीता ने भी इसी तरह का उदाहरण पेश किया। अशोक का लिवर खराब होने के बाद सुनीता ने अपना लिवर डोनेट करने का फैसला किया भले ही उनका ब्लड ग्रुप मेल नहीं खाता था। डॉक्टरों ने नए तकनीकी उपायों से ट्रांसप्लांट किया और सुनीता की खुशी का कोई ठिकाना नहीं है। वह कहती हैं, "मेरे लिए यही सबसे बड़ा गिफ्ट है कि मेरे पति मेरे साथ हैं।"