'मेरे साथ रिश्ता बनाओ, नहीं तो मैं...' महिला Teacher के प्यार में दीवानी हुई छात्रा, मोबाइल पर I Love You और आपत्तिजनक...
punjabkesari.in Sunday, Dec 28, 2025 - 12:09 PM (IST)
नेशनल डेस्क। महाराष्ट्र की सांस्कृतिक राजधानी पुणे के एक प्रतिष्ठित स्कूल से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने शिक्षा जगत और अभिभावकों को चिंता में डाल दिया है। नौवीं कक्षा में पढ़ने वाली एक 14 वर्षीय छात्रा अपनी ही महिला शिक्षिका के प्रति इस कदर आकर्षित हो गई कि उसने अपनी जान देने तक की धमकी दे डाली। इस संवेदनशील मामले को पुणे पुलिस की विशेष दामिनी पथक (Damini Squad) टीम ने बेहद सूझबूझ और मानवीय दृष्टिकोण से सुलझाया।
'आई लव यू' मैसेज और खुद को नुकसान पहुंचाने की कोशिश
मिली जानकारी के अनुसार छात्रा पिछले कई दिनों से अपनी टीचर को मोबाइल पर आपत्तिजनक और प्रेम का इजहार करने वाले मैसेज भेज रही थी। छात्रा ने शिक्षिका पर मानसिक दबाव बनाते हुए मैसेज किया जब आप किसी और से बात करती हैं तो मुझे बर्दाश्त नहीं होता। शिक्षिका द्वारा समझाने और डांटने पर छात्रा और अधिक उग्र हो गई। उसने ब्लेड से अपने हाथ पर शिक्षिका का नाम लिख लिया और खुद को चोट पहुंचाई। छात्रा ने अल्टीमेटम दिया कि यदि टीचर ने उसके प्यार को स्वीकार नहीं किया तो वह स्कूल की सातवीं मंजिल से कूदकर अपनी जान दे देगी।
स्कूल में दहशत का माहौल
छात्रा का यह व्यवहार केवल शिक्षिका तक सीमित नहीं था। जांच में पता चला कि वह क्लास में पढ़ाई के दौरान शिक्षिका को एकटक निहारती रहती थी और कॉरिडोर में उनका पीछा करती थी। वह अपनी क्लास की अन्य लड़कियों को भी 'आई लव यू' के मैसेज भेजकर परेशान कर रही थी। स्थिति हाथ से निकलते देख स्कूल प्रशासन ने तुरंत पुलिस को इसकी सूचना दी।
दामिनी पथक की सराहनीय भूमिका
पुणे पुलिस की विशेष महिला यूनिट दामिनी पथक तुरंत स्कूल पहुंची। इस टीम ने मामले की संवेदनशीलता को समझते हुए कोई कानूनी कार्रवाई करने के बजाय मनोवैज्ञानिक रास्ता अपनाया। छात्रा की मनोदशा को समझते हुए विशेषज्ञों की मदद से उसकी लंबी काउंसलिंग की गई। पुलिस ने छात्रा और उसके परिवार को विश्वास में लिया ताकि उसे इस मानसिक भ्रम से बाहर निकाला जा सके।
विशेषज्ञों की राय: किशोरावस्था और मानसिक स्वास्थ्य
मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि किशोरावस्था (Adolescence) में हार्मोंस के बदलाव के कारण कई बार बच्चे इस तरह के जुनूनी आकर्षण (Infatuation) का शिकार हो जाते हैं। ऐसे मामलों में सजा के बजाय सही मार्गदर्शन और थेरेपी की अधिक आवश्यकता होती है।
