Chandrayaan3: प्रज्ञान रोवर ने पार की पहली रुकावट, सामने आया क्रेटर, ISRO ने दी बड़ी खुशखबरी

punjabkesari.in Tuesday, Aug 29, 2023 - 07:34 AM (IST)

नेशनल डेस्कः भारत का चंद्रयान3 चंद्रमा की सतह पर ठीक से काम कर रहा है। प्रज्ञान रोवर लैंडर के आस-पास घूमकर चंद्रमा की सतह के नमूने ले रहा है और भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी (ISRO) को डेटा भेज रहा है। जब रोवर चंद्रमा की सतह पर विक्रम लैंडर के आस-पास घूम रहा था तभी उसके सामने एक बड़ी चुनौती आ गई। दरअसल, चंद्रमा पर कई गहरे गड्ढे हैं। ऐसे में प्रज्ञान रोवर के सामने चार मीटर व्यास का एक क्रेटर आ गया। इसे रोवर ने सफलतापूर्वक पार कर लिया। इसरो (ISRO) ने सोमवार को इसकी जानकारी दी।


इसरो (ISRO) ने सोशल मीडिया एक्स पर तस्वीरें जारी करते हुए बताया कि 27 अगस्त, 2023 को, रोवर को अपने स्थान से 3 मीटर आगे स्थित 4 मीटर व्यास वाला गड्ढा मिला। रोवर को पथ पर वापस लौटने का आदेश दिया गया। यह अब सुरक्षित रूप से एक नए रास्ते पर आगे बढ़ रहा है। इसरो के वैज्ञानिक ज्यादा उत्साहित हैं। साथ ही उन्हें पूरा विश्वास हो गया है कि प्रज्ञान हर बाधा को पार करके अपनी रिसर्च जारी रखेगा। हालांकि, रोवर के संचालन की सीमाएं हैं। बार जब नेविगेशन कैमरा चित्र भेजता है तो अधिकतम पांच मीटर तक डिजिटल एलिवेशन मॉडल (DEM) उत्पन्न किया जा सकता है। इसका मतलब यह है कि जब भी रोवर को चलने का आदेश दिया जाता है, तो वह अधिकतम पांच मीटर की दूरी तय कर सकता है।
PunjabKesari
तापमान में देखी भिन्नता
इससे पहले इसरो (ISRO) ने चंद्रमा की सतह पर तापमान भिन्नता का एक ग्राफ रविवार को जारी किया और अंतरिक्ष एजेंसी के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने चंद्रमा पर दर्ज किए गए उच्च तापमान को लेकर आश्चर्य व्यक्त किया। राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, ‘चंद्र सर्फेस थर्मो फिजिकल एक्सपेरिमेंट' (चेस्ट) ने चंद्रमा की सतह के तापीय व्यवहार को समझने के लिए, दक्षिणी ध्रुव के आसपास चंद्रमा की ऊपरी मिट्टी का ‘तापमान प्रालेख' मापा। इसरो ने ‘एक्स' (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘यहां विक्रम लैंडर पर चेस्ट पेलोड के पहले अवलोकन हैं। चंद्रमा की सतह के तापीय व्यवहार को समझने के लिए, चेस्ट ने ध्रुव के चारों ओर चंद्रमा की ऊपरी मिट्टी के तापमान प्रालेख को मापा।''

 


इसरो ने एक बयान में कहा, ‘‘इसमें 10 तापमान सेंसर लगे हैं। प्रस्तुत ग्राफ विभिन्न गहराइयों पर चंद्र सतह/करीबी-सतह की तापमान भिन्नता को दर्शाता है। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के लिए ये पहले ऐसे प्रालेख हैं। विस्तृत अवलोकन जारी है।'' वैज्ञानिक दारुकेशा ने कहा, ‘‘जब हम पृथ्वी के अंदर दो से तीन सेंटीमीटर जाते हैं, तो हमें मुश्किल से दो से तीन डिग्री सेंटीग्रेड भिन्नता दिखाई देती है, जबकि वहां (चंद्रमा) यह लगभग 50 डिग्री सेंटीग्रेड भिन्नता है। यह दिलचस्प बात है।''

वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा कि चंद्रमा की सतह से नीचे तापमान शून्य से 10 डिग्री सेल्सियस नीचे तक गिर जाता है। उन्होंने कहा कि भिन्नता 70 डिग्री सेल्सियस से शून्य से 10 डिग्री सेल्सियस नीचे तक है। इसरो ने कहा कि ‘चेस्ट' पेलोड को भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल), अहमदाबाद के सहयोग से इसरो के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) की अंतरिक्ष भौतिकी प्रयोगशाला (एसपीएल) के नेतृत्व वाली एक टीम द्वारा विकसित किया गया था।

अंतरिक्ष अभियान में बड़ी छलांग लगाते हुए 23 अगस्त को भारत का चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-3' चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा, जिससे देश चांद के इस क्षेत्र में उतरने वाला दुनिया का पहला तथा चंद्र सतह पर सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग' करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को घोषणा की थी कि चंद्रमा पर चंद्रयान-3 के लैंडिंग स्थल का नाम ‘शिवशक्ति' प्वाइंट रखा जाएगा और 23 अगस्त का दिन 'राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस' के रूप में मनाया जाएगा। मोदी ने कहा था कि चंद्रमा की सतह पर जिस स्थान पर चंद्रयान-2 ने 2019 में अपने पदचिह्न छोड़े थे, उसे ‘तिरंगा' प्वाइंट के नाम से जाना जाएगा।

 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Yaspal

Related News