नेपाल के आंतरिक मामले में फिर कूदी चीनी राजदूत, PM ओली के लिए दहल से की गुप्त बैठक

punjabkesari.in Thursday, Jul 09, 2020 - 05:36 PM (IST)

 

इंटरनेशनल डेस्कः नेपाल में चल रहा सियासी घमासान बढ़ता  ही जा रहा है। नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और कम्युनिस्ट पार्टी के उप-चेयरमैन पुष्प कमल दहल के खेमों ने स्टैंडिंग कमिटी की बैठक दोबारा शुरू करने पर रजामंदी जताने के बावजूद चीन की राजदूत एकबार फिर नेपाल के आंतिरक मामले में जा घुसी हैं। पुष्प कमल दहल ने ओली के साथ बैठक के बाद किसी प्रकार के विरोध प्रदर्शन न करने को कहा था लेकिन फिर भी ओली के खिलाफ बुधवार को कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन हुए। उधर ये मामला तब ज्यादा भड़क गया जब नेपाल में चीन की राजदूत हाओ यान्की ने दहल और पीएम ओली के बीच सुलह कराने के लिए दहल से मुलाकात की।

 

विश्वसनीय सूत्र ने काठमांडू पोस्ट को बताया यान्की ने दहल के घर जाकर उनसे मुलाकात की । यान्की गुरुवार सुबह 9 बजे दहल के निवास पर पहुंचीं और करीब 50 मिनट तक बात की। बैठक में क्या चर्चा हुई, इसे लेकर विस्तृत जानकारी नहीं मिली। चर्चा है कि नेपाल की राजनीति में हलचल होने के साथ ही हाओ ने एक के बाद एक कई नेताओं के संग बैठकें की हैं, जिनमें राष्ट्रपति बिद्या भंडारी, पीएम ओली, पार्टी के सीनियर नेता माधव कुमाप नेपाल और झालनाथ खनाल शामिल रहे। हालांकि, अभी तक प्रचंड उनसे मिलने के लिए तैयार नहीं थे। इससे पहले ओली और दहल ने मंगलवार को चर्चा में फैसला किया कि बुधवार को स्टैंडिंग कमिटी की बैठक की जाएगी लेकिन बैठक को शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दिया। पार्टी के सूत्र इसे दोनों नेताओं के बीच बातचीत की विफलता के तौर पर देखते हैं।

 

सोमवार को दोनों नेताओं ने एक के बाद एक 6 बैठकें कीं। बावजूद उसके कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। दहल के प्रेस कोऑर्डिनेटर बिश्नु सपकोटा ने बताया है कि बुधवार शाम को भी ओली और दहल ने पीएम आवास में दो घंटे की बैठक की लेकिन फिर भी कोई फायदा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि दोनों के मतभेद सुलझे नहीं हैं और वे फिर से मिलेंगे। पार्टी प्रवक्ता नारायण काजी श्रेष्ठ ने भी बताया है कि दोनों नेता अपने-अपने रुख पर कायम हैं और बीच का रास्ता नहीं निकला है। बता दें कि नेपाल सरकार और सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के बीच चल रहे घमासान से प्रधानमंत्री ओली की कुर्सी खतरे में है। पार्टी की मंगलवार को हुई बैठक में एक बार फिर सीनियर नेताओं ने ओली के इस्तीफे की मांग की ।

 

नेताओं का कहना है कि ओली की सरकार अपने काम में विफल रही है और इसलिए उससे इस्तीफा दे देना चाहिए। साथ ही, ओली के उस आरोप का खंडन भी किया गया जिसमें उन्होंने इसके पीछे भारत का हाथ बताया था। दोनों धड़ों के समर्थक भी सड़कों पर हैं जिससे हालात सुधर नहीं रहे। काठमांडू में बुधवार को ओली के समर्थकों ने कई प्रदर्शन किए जिसके बाद पूरे देश में रैलियां होने लगीं। हालात ऐसे हो गए कि सपतरी में दोनों समर्थक दल आमने-सामने आ गए। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Tanuja

Recommended News

Related News