PM मोदी ने राष्ट्रीय स्वच्छता केंद्र का किया उद्घाटन, ‘गंदगी भारत छोड़ो का दिया नारा’

punjabkesari.in Saturday, Aug 08, 2020 - 07:22 PM (IST)

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को यहां राजघाट के समीप स्थित ‘राष्ट्रीय स्वच्छता केंद्र' का उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने नया नारा दिया ‘गंदगी भारत छोड़ो’। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का दिन बहुत एतिहासिक है, देश की आजादी में आज की तारीख 8 अगस्त का बहुत बड़ा योगदान है। आज के ही दिन 1942 में गांधी जी की अगुवाई में आजादी के लिए एक विराट जनआंदोलन शुरू हुआ था। अंग्रेजो भारत छोड़ो का का नारा उस दिन लगा था। ऐसे एतिहासिक दिवस पर राजघाट के समीप राष्ट्रीय स्वच्छता केंद्र का लोकार्पण अपने आप में बहुत ही प्रासंगिक है। यह केंद्र बापू स्वच्छाग्रह के प्रति 130 करोड़ भारतीयों की कार्यांजलि है। श्रद्धांजलि है। उन्होंने कहा कि पूज्य बापू स्वच्छता में स्वराज का प्रतिबिंब देखते थे। वो स्वराज के सपने की पूर्ति का एक मार्ग स्वच्छता को भी मानते थे। मुझे संतोष है कि स्वच्छता के प्रति बापू के आग्रह को पूरी तरह समर्पित एक आधुनिक स्मारक का नाम अब राजघाट के साथ भी जुड़ रहा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वच्छता केंद्र गांधी जी के स्वच्छाग्रह और उसके लिए समर्पित कोटि-कोटि भारतीयों के विराट संकल्प को एक जगह में समेटने का प्रयास है।
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पीएम मोदी ने कहा कि 6 साल पहले लालकिले के प्राचीर से शुरू हुए सफर के पल-पल के चित्र मेरे स्मृति पटल पर आते गए। जिस प्रकार करोड़ों साथियों ने हर सीमा, हर बंदिश को तोड़ते हुए एकजुट होकर, एक स्वर में स्वच्छ भारत अभियान को अपनाया उसको इस केंद्र में संजोया गया है। इस केंद्र में सत्याग्रह की प्रेरणा से स्वच्छाग्रह की हमारी यात्रा को आधुनिक टेक्नोलॉजी के माध्यम से दर्शाया गया है दिखाया गया है। स्वच्छता के मूल्य से यही जुड़ाव देश दुनिया से आने वाला हर साथी बार बार यहां आना पसंद करेंगे अनुभव करेगा और भारत की नई तस्वीर नई प्रेरणा लेकर जाएगा। उन्होंने कहा कि आज के विश्व के लिए गांधी जी से बड़ी प्रेरणा नहीं हो सकती। गांधी जी के जीवन और उनके आदर्शों को अपनाने के लिए आज पूरी दुनिया आगे आ रही है।
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पीएम मोदी ने कहा कि बीते वर्ष जब पूरी दुनिया में 150वीं जन्म जयंती को भव्य रूप से मनाया गया। गांधी के प्रिय गीत वैष्णव वजंतो तैने कहिए अनेक देशों के गायकों ने गीतकारों ने संगीतकारों ने गाया। सीखा इस गीत को समझा और गाया। संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में विशेष आयोजन से लेकर दुनिया के बड़े-बड़े देशों में गांधी जी की शिक्षाओं को याद उनके आदर्शों को याद किया। ऐसा लगता था कि गांधी जी ने पूरे विश्व को एक सूत्र में एक बंधन में बांध दिया है। उन्होंने कहा कि गांधी जी की स्वीकार्यता और लोकप्रियता देशकाल और परिस्थिति से परे है। क्या दुनिया में कोई सोच सकता था कि एक बेहद शक्तिशाली सत्ता तंत्र से मुक्ति का रास्ता स्वच्छता भी हो सकता है। गांधी जी ने न केवल इस बारे में सोचा बल्कि इसको आजादी की भावना से जोड़ा। इसे जनआंदोलन बना दिया है।
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मोदी ने कहा कि गांधी जी कहते थे। स्वराज सिर्फ साहसी और स्वच्छजन ही ला सकते हैं। स्वच्छता और स्वराज के बीच के रिश्ते को गांधी जी का रिश्ता समझते थे क्योंकि उन्हें विश्वास था कि गंदगी सबसे ज्यादा नुकसान गरीब भाई बहनों का करती है। गरीब परिवारों का करती है। गंदगी गरीब से उसकी ताकत छीन लेती है। शारीरिक ताकत भी। मानसिक ताकत भी। गांधी जी जानते थे कि भारत को जब तक गंदगी में रखा जाएगा। तब तक भारतीय जनमानस में आत्मविश्वास नहीं हो पाएगा। जब तक जनता में आत्मविश्वास पैदा नहीं होता, तब तक वो आजादी खड़े कैसे हो सकते थे। इसलिए साउथ अफ्रीका से लेकर चंपारण और साबरमती आश्रम तक उन्होंने स्वच्छता को ही अपना बड़ा माध्यम बनाया।
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प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे संतोष है कि गांधी जी की प्रेरणा से बीते वर्षों में देश के कोने-कोने लाखों-लाख स्वच्छाग्रहियों ने स्वच्छ भारत अभियान को अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया है। यही कारण है कि 60 महीने करीब करीब 60 करोड़ भारतीय शौचालय की सुविधा से जुड़ गए हैं। आत्मविश्वास से जुड़ गए। इसकी वजह से देश की देश की बहनों को सम्मान सुरक्षा और सुविधा मिली। इसकी वजह से देश की लाखों बेटियों को बिना रुके पढ़ाई का भरोसा मिला। इसकी वजह से लाखों गरीब बच्चों को बीमारियों से बचने का उपाय मिला। इसकी वजह से देश के करोंड़ों देश दलितों, वंचितों, शोषितों, पीड़तों, आदिवासियों को समानता का विश्वास मिला। उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत अभियान ने हर देश के आत्मविश्वास, आत्मबल को नई ऊर्जा दी है। नई ताकत दी है। उसको बढ़ाया है। उसका सबसे अधिक लाभ देश के गरीब पर दिख रहा है।
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मोदी ने कहा कि देश के बच्चे बच्चे में पर्सनल और सोशल हाइजिन को लेकर जो चेतना पैदा हुई है। उसका बहुत बड़ा लाभ कोरोना से लड़ाई में भी मिल रहा है। कोरोना जैसी महामारी 2014 से पहले आती तो क्या स्थिति होती। शौचालय के अभाव क्या संक्रमण की गति को रोक पाते। लॉकडाउन जैसी व्यवस्थाएं संभव हो पाती। भारत की 60 प्रतिशत आबादी खुले में शौच को मजबूर थी। स्वस्छाग्रह ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में बहुत बड़ा सहारा दिया है। माध्यम दिया है। उन्होंने कहा कि स्वच्छता का अभियान एक सफर है, जो निरंतर चलता रहेगा। यह पीढ़ी दर पीढ़ी करने वाला काम है। देश को ओडीएफ के बाद अब ओडीएफ प्लस बनाने का काम चल रहा है। शहर हो या गांव कचरे का मैनेंजमेंट को बेहतर बनाना ही है। कचरे से कंचन बनाने के काम को तेज करना है। आज भारत छोड़ो आंदोलन के दिन से बेहतर दिन और कौन हो सकता है। देश को कमजोर बनाने वाली बुराईयां भारत छोड़े। बीते 6 साल से देश में भारत छोड़ो अभियान चल रहा है।
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भारत छोड़ो के ये सभी संकल्प स्वराज से सुराज की भावना के अनुरूप ही हैं। हम सभी को गंदगी भारत छोड़ो का भी संकल्प दोहराना है। 15 अगस्त तक देश में ‘गंदगी भारत छोड़ो’ का एक सप्ताह लंबा अभियान चलाएं। गंदगी से कंपोस्ट बनाने का काम हो, गोबरधन हो, वॉटर रिसाइकिलिंग हो, सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्ति हो इसके लिए हमें मिलकर आगे बढ़ना है। उन्होंने कहा कि गंगा जी की निर्मलता को लेकर उत्साहजनक परिणाम मिल रहे हैं। देश की दूसरी नदियों को भी गंदगी से मुक्त करना होगा। यमुना जी को अभी गंदे नालों से मुक्त करने का अभियान तेज करना होगा। यमुना जी के आस-पास हर गांव, हर शहर के लोगों का सहयोग बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि दो गज की दूरी, मास्क है जरूरी।

 


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Yaspal

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