PM मोदी आज 75 लाख महिलाओं के बैंक खातों में ट्रांसफर करेंगे ₹10,000 की पहली किस्त, 7,500 करोड़ का बजट
punjabkesari.in Friday, Sep 26, 2025 - 08:35 AM (IST)

नेशनल डेस्क: बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच NDA सरकार ने महिला मतदाताओं को साधने के लिए एक रणनीतिक दांव खेला है। 26 सितंबर शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ‘मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना’ का उद्घाटन करेंगे, जो राज्य की करीब 75 लाख महिलाओं को सीधे आर्थिक सहायता प्रदान करने वाली महत्वाकांक्षी योजना है। इस योजना के तहत प्रत्येक लाभार्थी महिला को पहली किस्त के रूप में ₹10,000 सीधे उनके बैंक खाते में भेजे जाएंगे। कुल मिलाकर सरकार इस योजना के पहले चरण में ₹7,500 करोड़ की राशि ट्रांसफर करेगी।
क्या है 'मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना'?
यह योजना बिहार की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और उन्हें स्वरोजगार की दिशा में प्रेरित करने के उद्देश्य से शुरू की जा रही है। योजना के तहत हर परिवार से एक महिला को आर्थिक सहायता मिलेगी, जिससे वे अपना छोटा व्यवसाय शुरू कर सकें। महिलाएं इस सहायता राशि का उपयोग कृषि, डेयरी, सिलाई-कढ़ाई, हस्तशिल्प, ब्यूटी पार्लर या अन्य लघु उद्योगों में निवेश कर सकती हैं।
पहले चरण में ₹10,000 की राशि दिए जाने के बाद, योजना में यह भी प्रावधान है कि यदि महिला अपने व्यवसाय को सुचारु रूप से चलाती है और प्रगति दिखाती है, तो उसे ₹2 लाख तक की अतिरिक्त आर्थिक मदद भी दी जा सकती है। योजना का संचालन जीविका स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से किया जाएगा, जो महिलाओं को आवश्यक प्रशिक्षण, मार्गदर्शन और सहयोग भी उपलब्ध कराएंगे।
चुनाव से पहले बड़ी राजनीतिक चाल?
इस योजना को लेकर राजनीतिक हलकों में हलचल तेज है। विश्लेषकों का मानना है कि यह योजना बिहार की राजनीति में "गेम चेंजर" साबित हो सकती है, खासकर महिला वोटर्स के दृष्टिकोण से। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की छवि पहले से ही महिला सशक्तिकरण के पक्षधर नेता की रही है — जैसे कि शराबबंदी, लड़कियों की साइकिल योजना और पंचायती राज में आरक्षण जैसे कदमों ने उन्हें महिलाओं के बीच लोकप्रिय बनाया है।
अब इस नई योजना के जरिए सरकार सीधे महिलाओं के बैंक खाते में बड़ी धनराशि डालकर उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की कोशिश कर रही है, जो चुनावी समीकरणों को प्रभावित कर सकती है।
विपक्ष का आरोप और सत्ता पक्ष की सफाई
विपक्षी दलों ने योजना की टाइमिंग पर सवाल उठाते हुए इसे चुनाव से पहले मतदाताओं को लुभाने की कोशिश करार दिया है। उनका कहना है कि अगर यह योजना वास्तव में महिला सशक्तिकरण के लिए थी, तो इसे चुनावी घोषणा के आसपास नहीं बल्कि पहले लागू किया जाता। हालांकि, सत्ता पक्ष का तर्क है कि यह कदम उनके महिला सशक्तिकरण के दीर्घकालिक एजेंडे का हिस्सा है, न कि कोई तात्कालिक चुनावी चाल।