PM मोदी और सांचेज ने टाटा-एयरबस कारखाने का उद्घाटन किया, ''मेक इन इंडिया'' पहल को मिली मजबूती
punjabkesari.in Tuesday, Oct 29, 2024 - 02:32 PM (IST)
नेशनल डेस्क: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और स्पेन के राष्ट्रपति पेड्रो सांचेज ने सोमवार को वडोदरा में टाटा एयरक्राफ्ट कॉम्प्लेक्स का उद्घाटन किया, जो सैन्य विमान बनाने वाली भारत की पहली निजी इकाई है, जहां विशेष तौर पर सी295 विमान का निर्माण किया जाएगा। मोदी ने उद्घाटन के दौरान भारत और स्पेन के बीच साझेदारी के मजबूत होने का उल्लेख करते हुए कहा कि यह परियोजना 'मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड' पहल में एक महत्वपूर्ण कदम है। मोदी ने एयरबस और टाटा की टीम को शुभकामनाएं दीं और स्वर्गीय रतन टाटा को श्रद्धांजलि भी अर्पित की।
कुल 56 विमानों की आपूर्ति की जाएगी
एयरबस सी295 एक मध्यम सामरिक परिवहन विमान है, जिसे शुरुआत में स्पेनिश एयरोस्पेस कंपनी सीएएसए द्वारा डिजाइन और निर्मित किया गया था, जो एयरबस डिफेंस एंड स्पेस का हिस्सा है। सी295 का उपयोग चिकित्सकीय आपात स्थिति में फंसे लोगों को निकालने, आपदा प्रतिक्रिया और समुद्री गश्ती कार्यों के लिए भी किया जा सकता है। आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, सी295 कार्यक्रम के तहत कुल 56 विमानों की आपूर्ति की जानी है, जिनमें से 16 स्पेन से एयरबस द्वारा सीधे आपूर्ति किए जाएंगे तथा शेष 40 का निर्माण टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड द्वारा भारत में किया जाएगा।
PM मोदी और सांचेज ने इकाई के शुभारंभ के अवसर पर एक प्रदर्शनी का अवलोकन किया, जहां मोदी ने कारखाने को भारत में नयी कार्य संस्कृति के तौर पर प्रदर्शित किया। उन्होंने बताया कि यह इकाई, जिसकी आधारशिला अक्टूबर 2022 में रखी गई थी, विचार संकल्पना से लेकर क्रियान्वयन तक देश की तीव्र प्रगति का उदाहरण है। मोदी ने परियोजनाओं की योजना और क्रियान्वयन में अनावश्यक देरी को समाप्त करने पर जोर देते हुए मोदी ने स्वयं के गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए वडोदरा में बॉम्बार्डियर ट्रेन कोच विनिर्माण सुविधा की स्थापना को याद किया।
भारत का रक्षा विनिर्माण नयी ऊंचाइयों को छू रहा- पीएम मोदी
PM मोदी ने कहा कि उस कारखाने में बने मेट्रो कोच निर्यात किए जा रहे हैं और उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सोमवार को उद्घाटन किए गए कारखाने में बने विमान निर्यात भी किए जाएंगे। मोदी ने प्रसिद्ध स्पेनिश कवि एंतोनियो मचाडो को उद्धृत करते हुए कहा, ‘‘जब हम लक्ष्य की ओर कदम बढ़ाते हैं, तो लक्ष्य की ओर जाने वाला रास्ता अपने आप बन जाता है।'' उन्होंने कहा कि भारत का रक्षा विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र नयी ऊंचाइयों को छू रहा है। उन्होंने कहा कि अगर 10 साल पहले ठोस कदम नहीं उठाए गए होते तो इस लक्ष्य तक पहुंचना असंभव होता। प्रधानमंत्री ने पिछले दशक में भारत के रक्षा क्षेत्र में हुए महत्वपूर्ण परिवर्तन का उल्लेख करते हुए कहा कि दस वर्ष पहले की गई निर्णायक कार्रवाई के बिना इस मील के पत्थर तक पहुंचना अकल्पनीय होता।
PM मोदी ने कहा कि एक दशक पहले रक्षा विनिर्माण की प्राथमिकता और पहचान आयात के बारे में थी और कोई भी कल्पना नहीं कर सकता था कि भारत में इतने बड़े पैमाने पर रक्षा विनिर्माण हो सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी सरकार ने एक नये रास्ते पर चलने और भारत के लिए नये लक्ष्य निर्धारित करने का फैसला किया, जिसके परिणाम आज स्पष्ट हैं।'' मोदी ने रक्षा विनिर्माण के लिए एक नई पहचान स्थापित करने पर सरकार के जोर को दोहराया, जिसमें आयात की तुलना में घरेलू उत्पादन को प्राथमिकता दी जाएगी। कौशल विकास और रोजगार सृजन पर जोर देते हुए मोदी ने कहा कि टाटा-एयरबस कारखाने जैसी परियोजनाएं हजारों नौकरियां पैदा करेंगी।
नये उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा
उन्होंने कहा कि यह कारखाना 18,000 विमान हिस्सों के स्वदेशी निर्माण का समर्थन करेगा, जिससे पूरे भारत में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) के लिए अपार अवसर उपलब्ध होंगे। मोदी ने कहा कि भारत दुनिया की प्रमुख विमान कंपनियों के लिए पुर्जों के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ताओं में से एक है। उन्होंने कहा कि नये विमान कारखाने से भारत में नवाचार और नये उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा। पिछले दशक में भारत के विमानन क्षेत्र के ‘‘अभूतपूर्व विकास और परिवर्तन'' पर प्रकाश डालते हुए मोदी ने कहा कि सरकार देश के सैकड़ों छोटे शहरों को हवाई संपर्क प्रदान कर रही है, साथ ही साथ भारत को विमानन और रखरखाव, मरम्मत और संचालन (एमआरओ) क्षेत्र का केंद्र बनाने के लिए काम कर रही है।
यह देखते हुए कि विभिन्न भारतीय एयरलाइन ने 1200 नये विमानों का ऑर्डर दिया है, मोदी ने कहा कि नवनिर्मित कारखाना भारत और दुनिया की जरूरतों को पूरा करने के लिए नागरिक विमानों के डिजाइन से लेकर निर्माण तक में प्रमुख भूमिका निभाएगा। मोदी ने स्पेनिश-भारतीय जेसुइट पादरी और लेखक फादर कार्लोस वैलेस को श्रद्धांजलि अर्पित की, जो पांच दशकों से अधिक समय तक भारत में रहे और उन्होंने गुजराती में गणित पर कई किताबें लिखीं। भारत सरकार ने उनके योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया है।