No Horn Day Rule: अब बिना जरूरत हॉर्न बजाया तो भरना पड़ेगा जुर्माना, इस शहर में कंट्रोल बोर्ड ने लिया बड़ा फैसला
punjabkesari.in Sunday, Aug 10, 2025 - 02:23 PM (IST)

नेशनल डेस्क: अगर आप पटना की सड़कों पर सफर करते हैं और ट्रैफिक में बेवजह हॉर्न की आवाज से परेशान रहते हैं तो अब आपके कानों को राहत मिलने वाली है। बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने राजधानी पटना में हर रविवार को ‘नो हॉर्न डे’ (No Horn Day) के रूप में मनाने का फैसला लिया है। यह फैसला शहर में तेजी से बढ़ते ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए लिया गया है। यह नियम 2 अक्टूबर 2025 तक लागू रहेगा। अक्सर देखा गया है कि ट्रैफिक सिग्नल या जाम में फंसी गाड़ियों के बीच कुछ वाहन चालक लगातार हॉर्न बजाते रहते हैं। यह सिर्फ चिड़चिड़ाहट ही नहीं बढ़ाता बल्कि मानसिक तनाव और सिरदर्द जैसी स्वास्थ्य समस्याएं भी पैदा करता है। ऐसे में अब हर रविवार, पटना की सड़कों पर बिना जरूरत हॉर्न बजाना पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा।
कितना खतरनाक है ध्वनि प्रदूषण?
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक 65 डेसिबल से ऊपर की ध्वनि को ध्वनि प्रदूषण माना जाता है जबकि 75 डेसिबल से अधिक की आवाज हानिकारक होती है। पटना में हाल ही में किए गए सर्वे के अनुसार, शहर के आवासीय और शांत इलाकों में भी ध्वनि स्तर 80 डेसिबल से ज्यादा दर्ज किया गया है। इससे लोगों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है।
क्यों जरूरी था ‘नो हॉर्न डे’?
बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने यह कदम इसलिए उठाया क्योंकि पटना जैसे शहरों में बेवजह हॉर्न बजाने की आदत आम होती जा रही है। इस तरह की आदतें बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों के लिए हानिकारक हैं। साथ ही इसका असर स्कूल, अस्पताल और अन्य शांत क्षेत्रों में भी देखने को मिलता है।
कब से कब तक चलेगा यह नियम?
इस पहल के तहत, हर रविवार को नो हॉर्न डे के रूप में मनाया जाएगा और यह अभियान 2 अक्टूबर 2025 तक जारी रहेगा। इस दौरान लोगों को जागरूक किया जाएगा कि ट्रैफिक में धैर्य रखें और बिना जरूरत हॉर्न बजाने से बचें।
नियम तोड़ा तो क्या होगा?
फिलहाल यह अभियान जागरूकता के उद्देश्य से चलाया जा रहा है लेकिन आने वाले समय में नियम तोड़ने वालों पर जुर्माना लगाया जा सकता है। ट्रैफिक पुलिस और पर्यावरण विभाग की टीमें सड़क पर निगरानी करेंगी और नियम का उल्लंघन करने वालों को चिन्हित करेंगी।
ध्वनि प्रदूषण हमारे जीवन पर गहरा नकारात्मक प्रभाव डालता है। लगातार तेज आवाजों के संपर्क में रहने से सिरदर्द और मानसिक तनाव जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं। इससे नींद की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है, जिससे व्यक्ति थकावट और चिड़चिड़ापन महसूस करता है। लंबे समय तक शोरगुल में रहने से उच्च रक्तचाप जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं। बच्चों की पढ़ाई पर भी इसका सीधा असर पड़ता है क्योंकि ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो जाता है। वहीं बुजुर्गों और बीमार लोगों के लिए यह और भी ज्यादा हानिकारक होता है क्योंकि उनकी सेहत पहले से ही कमजोर होती है, और तेज आवाजें उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को और नुकसान पहुंचा सकती हैं।
क्या कह रहे हैं अधिकारी?
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि नो हॉर्न डे सिर्फ एक नियम नहीं बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी है। हर नागरिक को चाहिए कि वह इस पहल का हिस्सा बने और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करे। उनका मानना है कि छोटे-छोटे बदलाव से बड़े परिणाम मिल सकते हैं।