Viedo: पाकिस्तान सेना ने खाली किया बलूचिस्तानः 33 और 41 इन्फेंट्री डिवीजन भारत सीमा की ओर रवाना ! BLA के लिए बड़ा मौका
punjabkesari.in Tuesday, May 06, 2025 - 05:06 PM (IST)

International Desk: पहलगाम हमले के बाद भारत के साथ तनाव के बीच बलूचिस्तान से बड़ी खबर सामने आ रही है कि पाकिस्तान की XII कोर की दो अहम इन्फेंट्री डिवीजन 33वीं और 41वीं बलूचिस्तान से हटाकर भारत की सीमाओं की ओर भेजी जा रही हैं। यह दोनों डिवीजन पाकिस्तान आर्मी की बलूचिस्तान में सुरक्षा और सैन्य ऑपरेशनों की रीढ़ मानी जाती थीं।
क्या है मामला?
सूत्रों के अनुसार, भारत से जंग के हालात के बीच पाकिस्तानी सेना ने इन दोनों डिवीजन को बलूचिस्तान से हटाकर पंजाब और सिंध की ओर ट्रांसफर करना शुरू कर दिया है, जिससे उन्हें भारत के साथ संभावित सीमा तनावों या युद्ध की स्थिति में इस्तेमाल किया जा सके। यह कदम भारत-पाक सीमा पर बढ़ते सैन्य तनाव और संभावित टकराव की आशंकाओं के बीच उठाया गया है।
Pakistan Army leaving Baluchistan 33 & 41 Infantry Division Of XII Corps of Pak Army is moving From Balochistan To Indian Border.
— Lucifer (@krishnakamal077) May 5, 2025
I hope BLA freedom fighters is ready to do the needful on these convoys pic.twitter.com/fXScNQFqPK
बलूचिस्तान में सुरक्षा की स्थिति पर असर
इस सैन्य बदलाव से बलूचिस्तान में सुरक्षा व्यवस्था और स्थायित्व पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। यह वही इलाका है जहां बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) और अन्य स्वतंत्रता समर्थक गुट लंबे समय से पाकिस्तानी सेना के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं। सेना की इस वापसी को बलूच विद्रोहियों के लिए एक "खाली मैदान" की तरह देखा जा रहा है।
BLA की प्रतिक्रिया
हालांकि BLA की ओर से इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन स्थानीय विश्लेषकों का मानना है कि BLA और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के लिए यह एक रणनीतिक अवसर हो सकता है। माना जा रहा है कि वे इन सेना के काफिलों पर हमले की योजना बना सकते हैं या बलूच क्षेत्र को "सेना मुक्त" करने की दिशा में तेज़ी से कार्यवाही कर सकते हैं।
सैन्य विश्लेषण
33वीं और 41वीं डिवीजनें बलूचिस्तान के पर्वतीय और दुर्गम क्षेत्रों में आतंकवाद विरोधी ऑपरेशनों के लिए प्रशिक्षित थीं। इनके हटने के बाद पाकिस्तान को वहां पर सुरक्षा बनाए रखने के लिए अर्धसैनिक बलों या फ्रंटियर कोर पर निर्भर रहना पड़ेगा, जो पहले से ही कई हमलों का शिकार हो चुके हैं।