50 वर्षों में पहली बार बैसाखी पर ननकाना साहिब पहुंचे सबसे अधिक भारतीय सिख, हुआ भव्य स्वागत (Video)
punjabkesari.in Monday, Apr 14, 2025 - 05:39 PM (IST)

Islamabad: पिछले 50 वर्षों में पहली बार सबसे अधिक भारतीय सिख श्रद्धालु सोमवार को बैसाखी पर्व मनाने पाकिस्तान पहुंचे। यह पर्व फसल कटाई के उत्सव के साथ-साथ सिख नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक है और मुख्य रूप से पंजाब तथा उत्तर भारत में मनाया जाता है। पाकिस्तानी अधिकारियों ने इस वर्ष भारत के 6,500 से अधिक सिख श्रद्धालुओं को वीजा जारी किया है। पिछले वर्षों की तुलना में यह संख्या अधिक है। आमतौर पर दोनों देशों के बीच यात्रा के लिए वीजा प्राप्त करना कठिन होता है, लेकिन सरकारों ने विशेष इंतजाम कर रखे हैं जिसके तहत श्रद्धालुओं को धार्मिक स्थलों के दर्शन के लिए वीजा प्रदान किए जाते हैं।
आज वैसाखी और खालसा सर्जना दिवस वाले दिन सिख श्रद्धालुओं का जत्था पहुंचा ननकाना साहेब ( पाकिस्तान) , जहां उनका बड़ी गर्म जोशी के साथ इस्तकबाल स्वागत किया गया।
— Davinder Pal Singh 幸王 دیویندر سنگھ ਦਵਿੰਦਰ ਪਾਲ ਸਿੰ (@dpsingh1313) April 13, 2025
Waheguru Ji ka khalsa
Waheguru Ji ki Fateh 🙏❤️ pic.twitter.com/Tg8huXjxLY
मुख्य बैसाखी समारोह ननकाना साहिब में आयोजित किया गया। यह स्थल सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी का जन्मस्थान है। लाहौर से लगभग 75 किलोमीटर पश्चिम में स्थित ननकाना साहिब में नौ प्रमुख गुरुद्वारे स्थित हैं, जिनमें गुरुद्वारा जनम स्थान प्रमुख है। गुजरात निवासी रिंकू कौर श्रद्धालुओं के एक दल के साथ पाकिस्तान पहुंचीं। उन्होंने कहा, "शुरुआत में मैं पाकिस्तान आने को लेकर हिचकिचा रही थी। परिवार ने भी समूह में जाने और सतर्क रहने की सलाह दी थी।"
#WATCH: “I had always dreamt of visiting Guru [Nanak] Ji’s shrine. Seeing it made me happier than the birth of my first child.”
— Arab News Pakistan (@arabnewspk) April 14, 2025
Sikh pilgrims mark Baisakhi festival at Pakistan’s Panja Sahib shrine. https://t.co/mepmDjtisJ pic.twitter.com/463i6vDvVq
उन्होंने बताया कि पाकिस्तान में लोगों ने बेहद गर्मजोशी से स्वागत किया। कौर ने कहा, "लोग अपने घरों से बाहर निकलकर हाथ हिला रहे थे। हमें ऐसा लग रहा था जैसे हम कोई 'सेलिब्रिटी' हों।" पाकिस्तान में कई प्रमुख सिख धार्मिक स्थल स्थित हैं। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने बैसाखी पर्व को "किसानों के लिए विशेष हर्ष का समय" बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व आशा, एकता और नवीकरण की भावना को बढ़ावा देता है, जो समुदायों को एकजुट करती है।