BMC चुनाव: शिवसेना-BJP के गठबंधन पर पड़ेगा क्या असर? उद्धव के सामने ये विकल्प

punjabkesari.in Thursday, Feb 23, 2017 - 02:51 PM (IST)

मुंबई: देश की सबसे धनी म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन में शामिल बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) की मतगणना के शुरूआती रुझानों के मुताबिक, शिवसेना आगे चल रही है। आज साफ हो जाएगा कि लगभग 37 हजार 52 करोड़ रुपए बजट वाली इस नगर निगम का कर्ताधर्ता कौन बनेगा। इश बार भाजपा और शिवसेना ने अकेले अपने दम पर चुनाव लड़ा जिसमें मुंबई में शिवसेना ने अपनी धाक जमाई है तो वहीं पुणे, नासिक और अन्य वार्डों में भाजपा आगे चल रही है।

25 साल का वोटिंग रिकॉर्ड टूटा
मंगलवार को महाराष्ट्र में कुल 10 महानगरपालिकाओं और 25 जिला परिषदों के साथ 283 पंचायत समितियों के लिए वोट डाले गए थे। वोटिंग में औसतन 56.40 फीसदी वोटिंग हुई थी। बीएमसी में वोटिंग का प्रतिशत 55.53 फीसदी दर्ज हुआ था, ये 25 सालों में सबसे ज्यादा मतदान है।

क्या पड़ेगा शिवसेना-भाजपा के रिश्ते पर असर
बीएमसी के यह नतीजे राज्य में चल रही शिवसेना-भाजपा गठबंधन सरकार के और उनके आपसी रिश्तों पर फर्क डालने वाले होंगे। शिवसेना महाराष्ट्र में अस्तित्व की लड़ाई मानती है क्योंकि मुंबई को वह अपनी राजनीति का केंद्र समझती है।
अगर शिवसेना अच्छा प्रदर्शन नहीं करती तो शायद उसके पास चुपचाप राज्य की सत्ता में भाजपा के छोटे भाई की भूमिका में बने रहना ही श्रेयस्कर होता लेकिन अब पासा पलट गया है। शिवसेना भारी मतों से आगे चल रही है, ऐसे में अब आगे की तस्वीर बदल सकती है।

भाजपा के लिए खड़ी हो सकती है मुसीबत
शिवसेना की बढ़त के साथ ही पार्टी फड़नवीस सरकार के लिए मुसीबत खड़ी कर सकती है। शिवसेना अब राज्य सरकार पर अपने प्रहार और तेज कर सकती है और सही मौका देखकर सरकार से समर्थन वापिस भी ले सकती है। लेकिन उसके समर्थन वापस लेने से फड़नवीस सरकार के लिए खतरा पैदा होगा, यह कहना भी एक जल्दबाजी होगी। बता दें कि शिवसेना भले ही भाजपा की सहयोगी पार्टी रही है लेकिन आए दिन उद्धव ठाकरे और शिवसेना की पत्रिका सामना केंद्र सरकार पर हमलावर होती रही है। हाल ही में नोटबंदी का भी शिवसेना ने विरोध किया था और पीएम के फैसले को गलत ठहराया था।

अब शिवसेना के पास क्या है विकल्प

भले ही शिवसेना बीजेपी से आगे निकल गई हो लेकिन बहुमत की रेस अभी भी मुश्किल दिख रही है। शिवसेना नेता संजय राउत ने ऐलान किया कि उनके पास बहुमत के लिए और भी विकल्प हैं और भाजपा की उन्हें जरूरत नहीं है।

पहला विकल्प

227 सदस्यीय बीएमसी में बहुमत के लिए 114 सीटों की जरूरत है। शिवसेना अभी 90 से अधिक सीटों पर आगे चल रही है और उसे बहुमत के लिए कुछ सीटों की जरूरत पड़ सकती है। उसके लिए पहला विकल्प हो सकती है भाजपा। बीजेपी 50 से अधिक सीटें जीत चुकी है। महाराष्ट्र और केंद्र में भाजपा और शिवसेना साथ मिलकर सरकार चला रही है। भले ही दोनों के रिश्तों में खटास हो लेकिन राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है। वैसे भी शिवसेना के लिए भाजपा के साथ गठबंधन सबसे आसान होगा क्योंकि इनका रिस्ता 20 साल पुराना है।

दूसरा विकल्प

शिवसेना के सामने दूसरा विकल्प है कांग्रेस। अगर शिवसेना कांग्रेस के साथ जाती है तो एनसीपी भी साथ आ सकती है, इन दोनों दलों को 20 से 25 तक सीटें मिलती दिख रही हैं।

तीसरा विकल्प

तीसरे विकल्प के रूप में शिवसेना एमएनएस और निर्दलिय सदस्यों का साथ ले सकती है। इन दलों को 10 से 20 के बीच सीटें मिलती दिख रही हैं।


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