Online Gaming Bill: क्या गेमिंग इंडस्ट्री में मचेगा हाहाकार? 2 लाख लोगों की नौकरी पर खतरा, रातों- रात लटक सकता है 300 कंपनियों पर ताला!
punjabkesari.in Thursday, Aug 21, 2025 - 12:24 PM (IST)

नेशनल डेस्क: लोकसभा में ऑनलाइन गेमिंग बिल पास होने के बाद भारत में ऑनलाइन रियल मनी गेमिंग (RMG) इंडस्ट्री में भारी हलचल मच गई है। गेमिंग इंडस्ट्री का कहना है कि यह बिल उनके अस्तित्व के लिए एक बड़ा खतरा है और अगर यह कानून अपने मौजूदा स्वरूप में लागू होता है तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री के लिए बड़ा झटका
ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन और अन्य संगठनों ने इस बिल पर कड़ी आपत्ति जताई है। उनका अनुमान है कि इस बिल के लागू होने से 300 से ज़्यादा गेमिंग कंपनियाँ बंद हो सकती हैं, जिससे लगभग 2 लाख लोगों की नौकरियाँ खतरे में पड़ जाएँगी। इससे छोटे-छोटे गेमिंग स्टार्टअप्स को भी भारी नुकसान होगा और वे बंद होने की कगार पर पहुँच सकते हैं।
₹25,000 करोड़ का निवेश और जीएसटी राजस्व पर खतरा
ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री में अभी तक 25,000 करोड़ रुपये से ज़्यादा का निवेश किया गया है। इंडस्ट्री का मानना है कि इस बिल के पास होने से यह सारा निवेश डूब सकता है, जिससे न केवल कंपनियों को, बल्कि निवेशकों को भी भारी नुकसान होगा। यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि इस सेक्टर से सरकार को हर साल मिलने वाला 20,000 करोड़ रुपये का जीएसटी राजस्व भी बुरी तरह प्रभावित होगा, जिससे सरकारी खजाने को बड़ा घाटा होगा।
गैर-कानूनी प्लेटफॉर्म्स को बढ़ावा मिलने की आशंका
गेमिंग इंडस्ट्री ने यह भी चेतावनी दी है कि अगर मौजूदा बिल पास हुआ, तो लाखों गेमर्स वैध प्लेटफॉर्म्स को छोड़कर गैर-कानूनी और अनियमित ऑपरेटर्स की तरफ रुख कर सकते हैं। इससे सरकार के लिए इन गतिविधियों को नियंत्रित करना और भी मुश्किल हो जाएगा और अवैध बेटिंग वेबसाइट्स का इस्तेमाल बढ़ सकता है।
खेल लीग और स्पॉन्सरशिप पर भी नकारात्मक असर
यह बिल केवल गेमिंग कंपनियों को ही नहीं, बल्कि खेल जगत को भी प्रभावित कर सकता है। इंडस्ट्री का मानना है कि इससे लगभग 50% घरेलू और राष्ट्रीय स्तर की खेल लीग बंद हो सकती हैं। रियल मनी गेमिंग कंपनियों के स्पॉन्सरशिप राजस्व में 30 से 40% तक की कमी आ सकती है, जिससे गैर-क्रिकेट और जमीनी स्तर के खेलों को मिलने वाली आर्थिक सहायता लगभग खत्म हो जाएगी। साथ ही, विदेशी जुआ ऑपरेटर्स की वजह से भारत को 4 अरब डॉलर का राजस्व नुकसान होने की आशंका है, जो घरेलू आरएमजी इंडस्ट्री के राजस्व से कहीं ज़्यादा है।