ऑफ द रिकॉर्ड: नरेन्द्र मोदी ने केरल के लिए आरिफ मोहम्मद को क्यों चुना

punjabkesari.in Friday, Sep 06, 2019 - 12:48 AM (IST)

नेशनल डेस्क: पिछले हफ्ते मोदी सरकार द्वारा नियुक्त किए गए 5 राज्यपालों में केरल के लिए आरिफ मोहम्मद खान की नियुक्ति इस बात का संकेत है कि भाजपा इस महत्वपूर्ण दक्षिणी राज्य में अपना प्रभाव बढ़ाना चाहती है। 
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प्रधानमंत्री मोदी ने खान को इसलिए चुना क्योंकि वह जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक की तरह एक मंझे हुए नेता हैं। आरिफ शुरू में कांग्रेस में थे। उसके बाद वह जनता दल, बी.के.एस., बसपा तथा आखिर में 2002 में भाजपा में आए। बाद में उन्होंने भाजपा छोड़ दी थी और लम्बे समय से अपने लिए राजनीतिक भूमिका की तलाश में थे। सत्यपाल मलिक के साथ भी ऐसा ही था। क्योंकि मोदी मुस्लिम बहुलराज्य के लिए एक राजनेता चाहते थे इसलिए मलिक को चुना गया।
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इसी प्रकार खान ने तीन तलाक कानून को समर्थन देना नहीं छोड़ा और यहां तक कि राजीव गांधी सरकार को छोड़ दिया था। मोदी ने उनके गुणों को देखते हुए उन्हें इस बात के लिए चुना। हालांकि खान राज्यसभा में जाना चाहते थे लेकिन मोदी ने उन्हें केरल का राज्यपाल बना दिया क्योंकि उनकी नजरें अब इस राज्य पर टिकी हैं। खान एक मंझे हुए नेता हैं और 68 की उम्र में वह सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं। वास्तव में मोदी पिछले कुछ समय से केरल पर ध्यान दे रहे हैं।
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उदाहरण के लिए उन्होंने ए.पी. अब्दुल्लाकुट्टी को भाजपा में शामिल करने के लिए काफी मेहनत की थी। अब्दुल्लाकुट्टी एक जाने-माने मुस्लिम नेता हैं। उन्हें गुजरात के विकास मॉडल की प्रशंसा करने पर सी.पी.एम. से निकाल दिया गया था। उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन की लेकिन मोदी की प्रशंसा करने के कारण वहां से भी निकाल दिए गए। अब्दुल्लाकुट्टी भाजपा में आने के इच्छुक नहीं थे लेकिन मोदी द्वारा जोर दिए जाने के कारण वह भगवा पार्टी में शामिल हुए। 
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जब वह मानसून सत्र के दौरान संसदीय कार्यालय में प्रधानमंत्री से मिले तो मोदी ने उनसे कहा कि उनके कारण उन्हें 2 पार्टियों से निकाला गया है इसलिए ‘‘बेहतर होगा कि आप मेरे साथ आएं, मैं आपको रिटायर नहीं होने दूंगा।’’ कुछ दिन बाद वह भाजपा में शामिल हो गए। मोदी केरल से फिल्मों में काम करने वाले सुरेश बाबू को राज्यसभा में लाए हैं। मोदी केरल से किसी योग्य व्यक्ति को कैबिनेट में शामिल करना चाहते हैं। के.जे. अल्फोंस के लोकसभा चुनाव हारने के बाद मंत्रिमंडल में केरल का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है।


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Pardeep

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