ऑफ द रिकार्ड: PMO असली वफादार की तलाश में

punjabkesari.in Sunday, Aug 27, 2017 - 01:38 PM (IST)

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) अपने ही चुने हुए अधिकारियों द्वारा दिए आघात के बाद बहुत चिंतित है। मुख्य चुनाव आयुक्त एके जोती और चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने मोदी सरकार को परेशानी में डाल दिया है। जोती गुजरात सरकार में मोदी के नेतृत्व में मुख्य सचिव रहे। ओपी रावत मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सलाहकार रहे। दोनों ने भाजपा की वफादारी का टैस्ट पास किया था। 
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पीएमओ में डिप्टी प्रिंसीपल सचिव पीके मिश्रा ने चुनाव आयोग जैसी स्वतंत्र संस्था में भेजने से पूर्व उनकी पूरी तरह जांच-पड़ताल की थी मगर दोनों ने उस समय पीएमओ और भाजपा नेतृत्व को आघात पहुंचाया जब उन्होंने गुजरात से राज्यसभा सीट के लिए अपना विवादास्पद फैसला सुनाया जिससे कांग्रेस के अहमद पटेल की जीत का मार्ग प्रशस्त हुआ। राज्यसभा चुनाव के इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था जब मत पेटी में डाले गए मतों को मतगणना से पूर्व निकाला जाए और उन्हें अवैध घोषित किया जाए।
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भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने अरुण जेतली सहित कई मंत्रियों को चुनाव आयोग भेजा था ताकि वह कोई विपरीत फैसला न दे मगर न तो जोती ने, न ही रावत ने भाजपा नेताओं की बात सुनी। दोनों अधिकारी अगले आम चुनावों से पूर्व सेवानिवृत्त हो जाएंगे इसलिए प्रधानमंत्री मोदी अधिक विश्वसनीय सेवानिवृत्त नौकरशाहों की तलाश कर रहे हैं जिन्हें चुनाव आयोग में भेजा जाएगा। नसीम जैदी के सेवानिवृत्त होने के बाद चुनाव आयोग में एक स्थान रिक्त है। जोती-रावत के गुजरात मामले में विद्रोही रुख के बाद सबसे बड़ा प्रश्र यह है कि कौन वफादार है और कौन विश्वासपात्र? अब जो भी मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्त किया जाएगा वह पद पर बना रहेगा जब लोकसभा के चुनाव होंगे। सरकार इस संबंध में बड़ी तलाश में है।
 


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