ऑफ द रिकॉर्ड: कांग्रेस में पुराने नेताओं का पूरा दबदबा

punjabkesari.in Thursday, Oct 17, 2019 - 04:33 AM (IST)

नेशनल डेस्क: सोनिया गांधी का समर्थन प्राप्त किए पुराने कांग्रेसी नेताओं का दबदबा होने के साथ ही पार्टी में गुटीय लड़ाई चरम सीमा पर पहुंच गई है। राहुल गांधी फिर से सक्रिय हो रहे हैं और उन्होंने महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों में प्रचार भी किया है। यह अलग बात है कि उन्होंने हरियाणा के नूंह में केवल एक रैली को ही संबोधित किया है। इस बात का कोई यकीन नहीं कि वह भविष्य में भी रैलियों को संबोधित करेंगे। सोनिया गांधी भी महिंद्रगढ़ में एक रैली को संबोधित कर रही हैं। 

हरियाणा में पार्टी के लिए कोई स्टार प्रचारक नहीं है। पार्टी की दयनीय स्थिति यह है कि राहुल के सबसे विश्वसनीय समर्थक मिङ्क्षलद देवड़ा और संजय निरूपम उस समय दिखाई नहीं दिए जब राहुल ने मुम्बई में रैलियों को संबोधित किया था। राहुल को एक बड़ा झटका उस समय लगा जब उनके सबसे विश्वसनीय अशोक तंवर ने पार्टी को छोड़ दिया। राहुल गांधी ने तंवर को हरियाणा प्रदेश कांग्रेस का प्रमुख बनाया था। तंवर ने राहुल के स्वदेश लौटने तक का भी इंतजार नहीं किया। 

भीतरी सूत्रों का कहना है कि अशोक तंवर के फैसले के पीछे उनकी पत्नी अवंतिका का हाथ है जो वयोवृद्ध कांग्रेसी नेता स्वर्गीय ललित माकन की बेटी हैं। बताया जाता है कि अवंतिका ने इस बात पर जोर दिया था कि सोनिया गांधी ने बार-बार अनुरोध करने के बावजूद तंवर को मिलने का समय नहीं दिया था। जब तंवर ने धमकी दी कि वह उनके निवास के बाहर धरना देंगे तब भी सोनिया अपने स्टैंड से नहीं हिलीं। अब तंवर को कोई लेने को तैयार नहीं है। राहुल खामोश हैं और मनोहर लाल खट्टर ने उनके लिए भाजपा के दरवाजे बंद कर दिए हैं। 

अहमद पटेल, गुलाम नबी आजाद, कमलनाथ, अशोक गहलोत और कैप्टन अमरेंद्र सिंह के नेतृत्व में पुराने कांग्रेसी नेताओं ने पार्टी पर कब्जा किया हुआ है। अब इन नेताओं ने राहुल गांधी की बजाय प्रियंका गांधी पर अधिक विश्वास दिखाना शुरू कर दिया है। पिछले कुछ दिनों में राहुल गांधी के वफादारों द्वारा पार्टी नेतृत्व के फैसलों का उल्लंघन किए जाने से पुराने नेताओं के हाथ और मजबूत हो गए हैं। 

राहुल गांधी ने जब पार्टी अध्यक्ष का कार्यभार संभाला था तो उन्होंने अपनी अलग टीम बनाई थी और कई राज्यों में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, विधायक दल के नेता और अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के अलावा पार्टी कार्यकारी समिति के सदस्यों को नियुक्त किया था। इनमें से अधिकांश युवा नेता सोनिया का अभी तक विश्वास प्राप्त नहीं कर पाए और अब इनको एक के बाद एक बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है। अशोक तंवर यह बात भूल गए कि कुमारी शैलजा पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी की निजी पसंद हैं और उन्हें पार्टी छोडऩे से पूर्व कुछ समय तक इंतजार करना चाहिए था। 

राहुल गांधी के दो सहयोगी ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट भी निशाने पर हैं और पार्टी नेताओं को उनके अगले कदम पर नजर रखनी होगी। ऐसी अफवाह है कि सोनिया गांधी कुछ और महीनों के लिए इस पद पर बनी रहेंगी। उसके बाद राहुल गांधी फिर पार्टी की बागडोर संभाल सकते हैं लेकिन पुराने नेता किसी न किसी बहाने इस प्रस्ताव को रोकेंगे। जब तक परिवार प्रियंका के बारे फैसला नहीं कर लेता, सोनिया तब तक उनके लिए एक सुरक्षित दाव हैं।


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Pardeep

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